नव वर्ष मंगलमय हो : आओ मनाएं नया साल, हम सब मिल प्रो. अज़हर हाशमी के साथ कहें ‘नव सम्वत्सर तेरा स्वागत !’
नव सम्वत्सर के मौके पर ख्यात साहित्यकार, कवि, गीतकार, व्यंग्यकार और चिंतक प्रो. अज़हर हाशमी का गीत सामयिक हो जाता है। आइये, हम सब मिल कर उनका यह गीत गाएं और उल्लास के साथ उनका लिखा यह गीत गाएं।

नव सम्वत्सर तेरा स्वागत !
नदियों का स्वर कल-कल कर दे,
जलस्रोत सभी निर्मल कर दे ।
बंजर को उर्वर-थल कर दे,
भूमि का हरित आंचल कर दे ।
कर दूर वनों की हर आफ़त !
नव सम्वत्सर तेरा स्वागत !
तरुणाई को पद-मान मिले,
महिलाओं को सम्मान मिले ।
श्रम को श्रम का प्रतिदान मिले,
खेती को जीवनदान मिले ।
व्यवसायी को भी दे राहत ।
नव सम्वत्सर तेरा स्वागत !
प्रो. अज़हर हाशमी
(गीत संग्रह ‘काभी काजू घना, कभी मुट्ठी चना’ से साभार)