भाजपा का ये कैसा टिकट वितरण : गाइडलाइन हुई हवा, वंशवाद व पदाधिकारियों का रहा बोलबाल, किसी को तीसरी बार के लिए मना किया, किसी को मिल गई रेवड़ी

रतलाम में भाजपा का टिकट वितरण विवादों में घिर गया है। जिन्हें टिकट नहीं मिला वे पार्टी से नाराज हो गए हैं। कुछ अपनी नाराजगी पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने का मन बना चुके हैं वहीं कुछ ने निर्दलीय लड़ने की भी बात कही है। कुल मिलाकर भाजपा के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहा।

भाजपा का ये कैसा टिकट वितरण : गाइडलाइन हुई हवा, वंशवाद व पदाधिकारियों का रहा बोलबाल, किसी को तीसरी बार के लिए मना किया, किसी को मिल गई रेवड़ी
भाजपा में वंशवाद और पदाधिकारियों का बोलबाला...।

नीरज कुमार शुक्ला

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भाजपा में पहले महापौर पद के प्रत्याशी को लेकर घमासान मचा रहा और अब पार्षद के टिकट वितरण ने पार्टी में 'आक्रोश की सुनामी' ला दी है। असंतुष्टों की मानें तो दूसरे दलों पर वंशवाद को लेकर हमले बोलने वाली भाजपा खुद ही वंशवाद और पदाधिकारियों के काकस से मुक्त नहीं हो पाने के आरोप से घिर गई है। कई टिकट कतिपय परिवारों में परंपरागत रूप से दिए गए हैं। वहीं कई वार्डों में कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर पदाधिकारियों की पत्नी, बहू व रिश्तेदारों को को रेवड़ियां बांटने का आरोप है। संभावना जताई जा रही है शुक्रवार का दिन भाजपा के असंतुष्टों के निर्दलीय नामांकन दाखिल करने के नाम रह सकता है।

पार्षद पद के टिकटों का ऐलान होते भाजपा में व्याप्त गुटबाजी खुलकर बाहर आ गई है। अब तक आदर्शों और गाइडलाइन को सिरोधार्य करने वाले ज्यादातर लोग वाट्सएप ग्रुपों खुलकर बोल रहे हैं। रात के 2.30 बज रहे हैं और यह समय सोने का है लेकिन टिकट वितरण के बाद आई सुनामी ने भाजपाइयों की नींद उड़ा दी है। जिन्हें टिकट मिला उन्हें बधाइयां मिल रही हैं, कई जगह ढोल बजे और आतिशबाजी भी हो गई।

इसके इतर, जिनकी दावेदारी को पार्टी ने ठेंगा दिखाया वे अगला कदम क्या हो, इसकी रणनीति बनाने में जुटे हैं। वाट्सएप ग्रुपों पर आक्रोश से भरे संदेशों के अलावा मोबाइल फोन भी चुप नहीं हैं। अब तक जो लोग वरिष्ठों की तारीफें करते नहीं थक रहे थे, वही उन्हें लानत देने में कोई मुरव्वत नहीं पाल रहे। कईयों ने तो शुक्रवार को निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल करने तक का मन बना लिया है। यानी रतलाम नगर निगम के अबतक हुए चुनावों में भाजपा के लिए यह चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बनता नजर आ रहा है।

वीसाजी मेंशन ने दिया अधिकतर को टेंशन

कई असंतुष्टों ने इस प्रतिनिधि को भी दूरभाष पर खुल कर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। हालांकि उन्होंने फिलहाल अपने नाम यहां सार्वजनिक नहीं करने की बात कही है। यह भी तय है कि ये नाम आज नहीं तो कल स्पष्ट हो ही जाएंगे। अब तक मिली प्रतिक्रिया का जो सार समझ आया है उसके अनुसार टिकट से वंचितों का टेंशन वीसाजी मेंशन के कारण बढ़ा। रतलाम शहर विधायक चेतन्य काश्यप संभागीय चयन समिति में होने के साथ ही टिकट में वितरण में उनकी निर्णायक भूमिका असंतुष्ट मान रहे हैं। इसका अंदाजा पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी ने पहले ही लगा लिया था और शायद यही वजह है कि जिसने भी उनसे टिकट दिलाने के लिए समर्थन मांगा उन्हें कोठारी ने वीसाजी मेंशन जाने की सलाह दी। कभी कोठारी के निकट रहे कुछ लोगों ने समय रहते मेंशन में जाकर हाजिरी लगवाई और उपकृत भी हो गए।

कहां गए वंशवाद के दावे, कहां गई तीसरी बार टिकट नहीं देने की गाइडलाइन

भाजपा कांग्रेस पर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी समय-समय पर इसे लेकर विरोधियों पर हमला बोलते रहते हैं। पार्टी ने यह भी तय किया था कि दो बार पार्षद का चुनाव लड़ चुके व्यक्ति को टिकट नहीं दिया जाएगा। महिलाओं में भी उन्हें ही टिकट मिलेगा जो पार्टी की सक्रिय सदस्य हों। इसके अलावा पदाधिकारियों को टिकट नहीं देने पर भी जोर था। यदि ऐसे किसी को चुनाव लड़ना ही है तो उसके लिए पद छोड़ने की शर्त थी। बावजूद स्थानीय स्तर पर पार्टी ने न तो वंशवाद से परहेज रख पाई और न ही गाइडालइन का पालन ही ठीक से कर पाई।

दादी से लेकर पोते तक और मंडल अध्यक्ष से लेकर संयोजक तक सब हुए उपकृत

भाजपा द्वारा वितरित टिकटों पर नजर डालें तो कहीं दादी से लेकर पोते तक उपकृत हुए तो कहीं मंडल अध्यक्ष से लेकर वार्ड संयोजक तक को रेवड़ियां बांटने में कोई कसर नहीं रखी। टिकट वितरण से असंतुष्ट भाजपाइयों के अनुसार वार्ड 32 से टिकट पाने वाले योगेश पापटवाल परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं। सबसे पहले उनकी दादी फूलाबाई और बाद में उनके काका सुरेश को टिकट मिला। पूर्व जिला अध्यक्ष बजरंग पुरोहित के परिवार में तो बीते पांच चुनावों से लगातार किसी न किसी को टिकट मिल रहा है। अकेले पप्पू पुरोहित ही दूसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। नगर निगम और आरडीए में अध्यक्ष रहे विष्णु त्रिपाठी (अब दुनिया में नहीं) की पुत्रवधू सपना को टिकट दिया गया है। 

दो मंडल अध्यक्षों, दो मंडल मंत्रियों की पत्नियों और दो वार्ड संयोजकों के परिवारों को भी नवाजा है। इनमें भाजपा मुखर्जी मंडल के अध्यक्ष मयूर पुरोहित की पत्नी देवश्री को वार्ड नंबर 7 से टिकट दिया गया है। देवश्री पदाधिकारी की पत्नी होने के साथ ही दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ेंगी। इसी तरह दीनदयाल मंडल के अध्यक्ष कृष्णा सोनी की पत्नी संगीता को वार्ड नंबर 20 से टिकट दिया गया है। वार्ड 21 से टिकट पाने वाली मंगला सिलावट के पति भी मंडल स्तर के पदाधिकारी हैं। वे दीनदयाल मंडल के मंत्री बताए जाते हैं। इसके अलावा वार्ड 19 से कविता रोहित चौहान चुनाव लड़ेंगी जो कि इसी वार्ड के भाजपा संयोजक राजेंद्रसिंह चौहान की पुत्रवधू हैं। भाजपा के कार्यालय मंत्री मनोज शर्मा की पत्नी पूर्व पार्षद मनीषा शर्मा भी वार्ड 12 से मैदान में हैं। वार्ड 44 से पूर्व पार्षद ललिता पंवार को टिकट मिला है जो दीनदयाल मंडल मंत्री नंदकिशोर पंवार की पत्नी हैं। 

जिस वार्ड में नहीं रहते वहां से लड़ेंगे चुनाव

पप्पू पुरोहित वार्ड 8 से किस्मत अजमाएंगे जबकि वे दूसरे वार्ड में रहते हैं। इसी तरह वार्ड 23 में रहने वाले 24 से और 24 में रहने वाले को 23 से टिकट मिला है। इनमें वार्ड 23 में रहने वाली विजय लक्ष्मी राठौड़ के पति विनोद राठौड़ वार्ड 24 से लड़ेंगे। विजय लक्ष्मी पूर्व में निर्दलीय लड़क कर भाजपा की पूर्व पार्षद शांता राहौरी को पराजित कर चुकी हैं किंतु अब भाजपा में हैं। ललिता पंवार भी रहती अन्य वार्ड में हैं लेकिन चुनाव 44 से लड़ेंगी। 

ये तीसरी बार भी मैदान में

गाइडलाइन के अनुसार जो व्यक्ति दो बार पार्षद रह चुका है उसे तीसरी बार टिकट नहीं दिया जाएगा। वहीं वार्ड 17 की प्रत्याशी अनीता कटारा को तीसरी बार पार्टी ने टिकट दिया है। वे पूर्व में दो बार पार्षद रह चुकी हैं। इसी तरह वार्ड 27 से पूर्व पार्षद मनीषा शर्मा का भी यह तीसरा चुनाव होगा। कुछ की आपत्ति निशा सोमानी के नाम पर भी है। वैसे तो वे पहली बार ही चुनाव लड़ रही हैं लेकिन उनके पति पवन सोमानी पूर्व में पार्षद, एमआईसी सदस्य व एल्डरमैन रह चुके हैं। वहीं 44 से प्रत्याशी ललिता पंवार भी पूर्व में दो बार पार्षद रह चुकी हैं। इसी तरह वार्ड नंबर 5 से टिकट पाने वाले भगत सिंह भदौरिया का भी यह तीसरा चुनाव है। 

कोरोना के सेवादारों को भूले, कालाबाजारी करने वाले याद रहे

असंतुष्टों की आपत्ति एक अन्य नाम पर भी है। वह नाम राजेश लड्ढा (माहेश्वरी) है। आरोप है कि इनकी मेडिकल फर्म पर कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर के वॉल्व अधिक दाम में बेचने का आरोप लगा था। हालांकि इसके बाद क्या हुआ किसी को नहीं पता। अब उनकी पत्नी स्मिता को अनारक्षित वार्ड क्रमांक 36 से भाजपा ने टिकट दिया है। टिकट वितरण से नाराज दावेदारों का कहना है कि कोरोना काल में कई लोगों ने तम-मन-धन से निःस्वार्थ सेवा की, ऐसे लोगों को पार्टी नेतृत्व ने लगभग भुला ही दिया। पार्टी ने तय किया था वार्डों से पार्टी की कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया जाएगा, घरेलू महिलाओं को नहीं जबकि कुछ को छोड़ दें तो ज्यादातर महिलाएं घरेलू होकर कभी कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय नहीं रहीं। 

ये वार्ड अभी उलझन में

वार्ड क्रमांक 11 ओबीसी के लिए आरक्षित है। यहां से पूर्व एमआईसी सदस्य और भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी अरुण राव सहित अन्य दावेदारी कर चुके हैं। हालांकि अभी यहां टिकट तय नहीं हुआ है। यहां दावेदारों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है। इसी तरह अनारक्षित वार्ड नंबर 48 के लिए भी अभी टिकट नहीं हुआ है। पार्टी सूत्रों की मानें तो यह वार्ड झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ की प्रदेश स्तर की पदाधिकारी रहीं अनीता कटारिया के लिए छोड़ा गया है। अगर उनका टिकट होता है तो यह भी पदाधिकारी के परिवार वाला टिकट होगा क्योंकि अनीता के पति निर्मल कटारिया भाजपा के जिला महामंत्री हैं।

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डिस्क्लेमर

यद्यपि पूरे विश्लेषण में वार्डों के क्रमांक, प्रत्याशियों के नाम और परिस्थितियों को क्रॉस चैक किया गया है। फिर भी यदि किसी के नाम, वार्ड क्रमांक या पदाधिकारियों के पद-नाम आदि व संबंध में कोई त्रुटि होती है तो हम खेद व्यक्त करते हैं। सुधार हेतु आपका सुझाव सदैव अपेक्षित है।