कड़कड़ाती ठंड में गीले खेत में फेंके नवजात का अपनी मां से मौन प्रश्न... अगर मुझे यूं ही मरने के लिए फेंकना था तो फिर पैदा ही क्यों किया ?

सैलाना विकासखंड के एक गांव में किसी ने नवजात शिशु को मरने के लिए कड़कड़ाती ठंड में झाड़ियों में फेंक दिया। जानकारी मिलने पर पुलिस ने उसे बाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। शिशु का उपचार जारी है।

कड़कड़ाती ठंड में गीले खेत में फेंके नवजात का अपनी मां से मौन प्रश्न... अगर मुझे यूं ही मरने के लिए फेंकना था तो फिर पैदा ही क्यों किया ?
सैलाना विकासखंड के धामनोद के खेड़ी गांव की झाड़ियों में फेंका गया नवजात शिशु।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । मां, क्या मैं इतना बुरा हूं ? ये मुझे किस अपराध की सजा दी है ? अपने जिगर के टुकड़े को भला यूं कड़कड़ाती ठंड में गीले खेत में मरने के लिए छोड़ता है ? कोई कितना ही मजबूर क्यों न हो लेकिन इतना जालिम नहीं हो सकता। तू बेशक इसे मजबूरी का नाम दे दे लेकिन जमाना तो इसे बेशर्मी ही कहेगा। पुलिस की शब्दावली में तो यह अपराध है। सच-सच बताना, अगर मुझे यूं ही मरने के लिए छोड़ना था तो फिर पैदा ही क्यों किया ?

यह मौन प्रश्न है बाल चिकित्सालय में भर्ती उस नवजात का अपनी मां से, जो जीवन और मौत से संघर्ष कर रहा है। कोई इसे बीती रात सैलाना विकासखंड के धामनोद के खेड़ी गांव निवासी राजेश पिता चतुर्भुज धाकड़ के खेत पर लावारिस छोड़ गया था। 'जा को राखे साईयां मार सके न कोय...' यह सिर्फ सुना ही था लेकिन इस मासूम को देख कर इसकी पुष्टि भी हो गई। नवजात गीले खेत में घंटों पड़ा रहा। गनीमत रही कि खेत मालिक राजेश की नजर पड़ी और उन्होंने सैलाना पुलिस को सूचना दी।

पुलिस ने भी बिना समय गंवाए उसे बाल चिकित्सालय पहुंचा दिया। यहां उसे नवजात शिशुओं की गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया है। डॉक्टर हर पल उसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं और नर्सों का स्नेह नवजात की सुरक्षा कर रहा है। बताते हैं कि बच्चा जब अस्पताल लाया गया था तब वह काफी गंभीर हालत में था इसलिए उसकी केयर ज्यादा करना पड़ रही है। उधर, सैलाना पुलिस अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भादंवि की धारा 317 के तहत प्रकरण दर्ज कर नवजात को मरने के लिए खेत में फेंकने वाले की तलाश कर रही है।