बड़ा बयान ! केंद्र सरकार ने दिए मध्य प्रदेश में महिलाओं से बलात्कार के झूठे आंकड़े, मुख्यमंत्री कर रहे विधानसभा को गुमराह- विधायक ग्रेवाल

  बलात्कार के आंकड़ों को लेकर कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने केंद्र सरकार, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और एनसीआरबी पर झूठे आंकड़े प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है।

बड़ा बयान ! केंद्र सरकार ने दिए मध्य प्रदेश में महिलाओं से बलात्कार के झूठे आंकड़े, मुख्यमंत्री कर रहे विधानसभा को गुमराह- विधायक ग्रेवाल
विधायक प्रताप ग्रेवाल ने मप्र में बलात्कार के झूठे आंकड़े प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है।

एसीएन टाइम्स @ भोपाल । मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विधायक प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के उत्तर में स्वीकार किया है कि 2023 के महिला बलात्कार की एनसीआरबी की संख्या 6857 तथा अगस्त 2025 में प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न में दी गई संख्या 8120, दोनों सही है। मुख्यमंत्री ने यह भी माना कि अनुसूचित जाति तथा जनजाति की महिलाओं से बलात्कार की एनसीआरबी की संख्या 916 तथा प्रताप ग्रेवाल के उत्तर में वर्ग अनुसार संख्या 4279 सही है।

इस आशय की जानकारी विधायक प्रताप ग्रेवाल ने दी। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री का यह कहना कि समय के अंतराल के कारण संख्या में अंतर आया है, सही नहीं है। उनके प्रश्न का उत्तर जुलाई 2025 में तैयार हुआ तथा एनसीआरबी ने आंकड़े सितंबर 2025 में जारी किए। जबकि मार्च 2025 में विधायक पंकज उपाध्याय के प्रश्न के उत्तर में बलात्कार की संख्या 7202 और वार्षिक प्रतिवेदन जो फरवरी मार्च 2024 में विधानसभा में रखा गया, उसमें बलात्कार की संख्या 5346 बताई गई थी।

मुख्यमंत्री की बात सफेद झूठ

ग्रेवाल ने कहा कि अपहरण के प्रकरण बलात्कार में परिवर्तित होने से संख्या में अंतर होने की मुख्यमंत्री की बात सफेद झूठ है। वर्ष 2023 में वार्षिक प्रतिवेदन में अपहरण के प्रकरण 10,180 तथा एनसीआरबी में 10,179 बताए गए। अपहरण की संख्या मात्र एक का अंतर होने के बाद, महिलाओं से बलात्कार की संख्या में 1511 का अंतर कैसे आ गया। वार्षिक प्रतिवेदन में संख्या 5346 तथा एनसीआरबी में 6857 बताई गई।

2390 का अंतर है आंकड़ो में

प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि महिलाओं से कुल बलात्कार के आंकड़ों में 2020 से 2023 तक वार्षिक प्रतिवेदन, एनसीआरबी की रिपोर्ट, मार्च और अगस्त के विधानसभा के प्रश्नों के उत्तर में हजारों का अंतर आ रहा हैं। 2020 में प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के उत्तर में 6964, एनसीआरबी की रिपोर्ट में 5598 तथा वार्षिक पर्तिवेदन में 4574 बताए गए। प्रताप ग्रेवाल तथा वार्षिक प्रतिवेदन के आंकड़ों में 2390 का अंतर है। इसी प्रकार 2021 में 2418 तथा 2022  में 1762 तथा 2023  में 2774 का अंतर है।

2020 के आंकडों में इतना अंतर

प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि एससी-एसटी महिला से बलात्कार के आंकड़ों में 2020 से लेकर 2023 में चौकाने वाला अंतर है। 2020 में प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के अनुसार बलात्कार की संख्या लगभग 3806 है, वहीं एनसीआरबी में संख्या 848 है तथा 2958 का अंतर हैं। 2021 में 3208, 2022 में 3438 तथा 2023 में 3363 का अंतर है।

एससी-एसटी वर्ग पर झूठा आरोप

ग्रेवाल के अनुसार मुख्यमंत्री जी का कहना है कि एनसीआरबी तथा वार्षिक प्रतिवेदन में एससी-एसटी के आंकड़े एससी एसटी एक्ट के तहत है, तथा प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न में वर्ग अनुसार है। मुख्यमंत्री जी का यह कथन अनुसूचित जाति-जनजाति का अपमान है। 2023 अनुसार एससी-एसटी महिला से भिन्न वर्ग द्वारा बलात्कार करने की संख्या 916 है, तो इसका अर्थ यह हुआ कि, एससी-एसटी की महिला से उसी के वर्ग के 3363 पुरुषों द्वारा बलात्कार किया गया, जो अविश्वसनीय है। यह एससी-एसटी वर्ग पर झूठा आरोप है। 

सीएम बताएं कैसे कम हो गई संख्या

2020 के वार्षिक प्रतिवेदन अनुसार एससी-एसटी महिला से बलात्कार की संख्या 941,   एनसीआरबी में घटकर 848, वार्षिक प्रतिवेदन से 93 कम हो गई। इसी प्रकार 2021 में 1005 तथा 940 यानी 65 कम तथा 2022 में 996 तथा 948 यानी 48 कम है। यह तो मुख्यमंत्री जी ही बता सकते हैं कि यह संख्या कम कैसे हो गई। क्या एनसीईआरबी को स्टेट क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो ने असत्य जानकारी भेजी या एनसीआरबी ने जानकारी गलत दर्ज की। जबकि इन तीनों वर्षों में महिलाओं से कुल बलात्कार की संख्या वार्षिक प्रतिवेदन से प्रतिवर्ष 1000 से भी ज्यादा है।

प्रतिदिन 13 महिलाओं से हो रहा बलात्कार

प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में बुरी तरह असफल रही है। 2020 में महिला बलात्कार की 6964 की संख्या 2024 में बढ़कर 8498 हो गई। 2020 में प्रतिदिन 19 महिलाओं से बलात्कार बढ़कर 2024 में प्रतिदिन 23.3 हो गया। एससी-एसटी महिला से बलात्कार 2020 में 10 से बढ़कर 2024 में 13 महिलाओं से प्रतिदिन हो गया। सरकार बलात्कारियों को सजा दिलाने में भी असफल रही। वर्ष 2024 में माननीय न्यायालय में 392 प्रकरण के फैसले में 342 प्रकरण में आरोपी बरी हो गए तथा मात्र 50 प्रकरण में ही सजा हुई, यानी सजायाबी की दर 12.5% हैं।

झूठे आंकड़े दे रही एनसीआरबी

प्रताप ग्रेवाल का कहना है कि सरकार बलात्कारी पर अंकुश नहीं लगा सकी तथा महिलाओं से बलात्कार की लगातार बढ़ती संख्या तथा सजायाबी की घटती संख्या, यह बताती है, कि सरकार बैकडोर से बलात्कारियों को सरंक्षण दे रही है। भाजपा सरकार की काली करतूतों को छिपाने के लिए, एनसीआरबी भी झूठे आंकड़े दे रही है और विधानसभा में भी झूठे आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री जी को इस अलोकतांत्रिक कार्य के लिए जनता से माफी मांगना चाहिए।