Sharad Purnima Special में देखिए कवियों की नजर से सोलह कला में पारंगत 'ये पूनम का चांद' और अमृत बरसाता 'शरद की पूर्णिमा का चांद!'
Sharad Purnima Special : हर किसी के लिए चांद अलग महत्व रखता है। आइये, जानते हैं कि कवियों की नजर में शरद पूर्णिमा का चांद क्या महत्व रखता है।
चंद्रमा को सोलह कलाओं में पारंगत माना जाता है। जितनी इसकी कलाएं, लोगों के जीवन में उतने ही इसके महत्व हैं। किसी को यह चंदा मामा लगता लगता है तो किसी को इसमें अपनी प्रेमिका और प्रेमी नजर आती है। किसी के लिए यह अखंड सौभाग्य का प्रतीक है तो किसी के लिए चांदनी रात में खीर की कटोरी में अमृत बरसाने वाला देवता। इसके बिना ईद अधूरी है तो चौथ के चांद के बिना सुहाग भी। सूरज से तपते तन को शीतलता देने वाला चांद ही हर महीने की पूरणमासी पर सबका चहेता बन जाता है। ज्वार और भाटा लाने के लिए जिम्मेदार यही चांद शरद ऋतु की पूर्णिमा के आकाश पर सोलह शृंगार किए वहुए किसी नव यौवना से कम नजर नहीं आता। आइये, जानते हैं हमारे कवि और गीतकार शरद पूर्णिमा के चांद को किस रूप में देखते और ( Sharad Purnima Special ) परिभाषित करते हैं।
शरण की पूर्णिमा का चांद !
अज़हर हाशमी
रेशमी किरणों का गोला,
रंग जैसे धौला - धौला।
आसमां में जैसे थाली,
चांदनी की खीर वाली।
ऐसा दिखता है-
शरद की पूर्णिमा का चांद !
शून्य के आकार वाला,
तारों के दरबार वाला।
ज्योति ही देता है जग में,
घूमता रहता है नभ में।
कहीं न टिकता है -
शरण की पूर्णिमा का चांद !
इससे है अमृत बरसता,
जिससे आती है सरसता।
है गगन ही इसका दफ्तर,
और उजाला है रजिस्टर।
शुभ ही लिखता है-
शरद की पूर्णिमा का चांद।
अज़हर हाशमी
32 - इंदिरानगर,
रतलाम (मप्र)
दूरभाष - 07412 260221
ये पूनम का चांद
इतराता, बलखाता आए ये पूनम का चांद
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।
उजला - उजला रूप है इसका निखरा - निखरा रंग
देखके इसको खूब निखारे गोरी अपने अंग ।
शरमाता, भरमाता आए ये पूनम का चांद ।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।
काली-काली रात निखर कर गोरी गट्ट हुई
चांद को लेकर सब लोगों में लट्ठम - लट्ठ हुई
उलझाता, सुलझाता आए ये पूनम का चांद।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।
दादुर - झिंगुर मौन हुए हैं, जुगनू है खामोश
फूल, कली, तितली, भंवरों ने खोये अपने होश
सबके मन में आग लगाए ये पूनम का चांद ।
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद।
देख कलाएं सोलह इसकी हम सब हैं अभिभूत,
माना है 'आशीष' इसे ही श्यामसखा का दूत,
अमृत रस को जब छलकाए ये पूनम का चांद,
कितनी यादों को संग लाए ये पूनम का चांद ।
12/2, कोमल नगर
बरबड़ रोड
रतलाम - 457001
मो. 9827084966
(Sharad Purnima Special)
यह भी देखें... Dussehra Special में पढ़िए युवा व्यंग्यकार आशीष दशोत्तर का व्यंग्य- ‘बढ़ता रावण, घटता मानव’