पुस्तक विमोचन : साधन, साधना और साहित्य का विज्ञान से गहरा संबंध है, आशीष दशोत्तर की कविताओं का साहित्य के साथ विज्ञान में भी महत्वपूर्ण स्थान है- डॉ. राजेंद्र पांडेय

युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर की विज्ञान कविताओं के समाविष्ट काव्य संग्रह 'तुम भी?'  का विमोचन जावरा विधायक डॉ. पांडेय के आतिथ्य में आयोजित समारोह में हुआ।

पुस्तक विमोचन : साधन, साधना और साहित्य का विज्ञान से गहरा संबंध है, आशीष दशोत्तर की कविताओं का साहित्य के साथ विज्ञान में भी महत्वपूर्ण स्थान है- डॉ. राजेंद्र पांडेय
युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर की पुस्तक 'तुम भी? का विमोचन करते अतिथि।'

युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर की किताब ‘तुम भी?’ का विमोचन करते हुए जावरा विधायक ने कहा 

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । ज्ञान, विज्ञान और विकास में साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है। वैज्ञानिक अवधारणाओं को हमारे प्राचीन विद्वानों ने काफी पहले समझा दिया था। साहित्य में भी विज्ञान का समावेश होता रहा है। कई वर्षों पहले तुलसीदास जी ने 'जुग सहस्त्र योजन पर भानु' और 'राम रसायन' जैसी वैज्ञानिक शब्दावली का प्रयोग अपनी काव्य अभिव्यक्ति में किया था। इस दृष्टि से रचनाकार आशीष दशोतर की विज्ञान कविताएं साहित्य में ही नहीं, विज्ञान में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

उक्त विचार जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय ने रचनाकार आशीष दशोत्तर की विज्ञान कविताओं के समाविष्ट काव्य संग्रह 'तुम भी?'  का विमोचन करते हुए व्यक्त किए। आयोजन में शासकीय कला विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वाय. के. मिश्रा, शासकीय कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर. के. कटारे, इंदौर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. पी. के. दुबे, जिला शिक्षा अधिकारी के. सी. शर्मा, जिला विज्ञान अधिकारी जितेंद्र जोशी भी मौजूद थे। 

साधन और अनुभव के आधार पर दिए जाते थे सिद्धांत

डॉ. पांडेय ने इस अवसर पर कहा कि प्राचीन काल में विज्ञान के सिद्धांत साधना और अनुभव के आधार पर दिए जाते थे। भारतीय विद्वानों ने विश्व को जो नियम दिए वे आज तक कायम हैं। आज साधना का स्थान साधन ने ले लिया है। आज के प्रयोग और विज्ञान के सिद्धांत साधन के आधार पर सिद्ध हो रहे हैं। इन सब के साथ साहित्य के माध्यम से भी विज्ञान की अवधारणाओं को समाज के सामने लाया जा रहा है। यह महत्वपूर्ण है। इसी से सामाजिक चेतना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जनता के बीच में पहुंचाया जा सकता है। इस अवसर पर अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया तथा रचनाकार दशोत्तर को शुभकामनाएं प्रदान की। बड़ी संख्या में सुधिजन मौजूद थे।