एडवाइजरी : सिकलसेल एनीमिया से पीड़ित बच्चों का विशेष ध्यान रखें, इस बीमारी से ग्रसित महिला और पुरुष आपस में न करें शादी
स्वास्थ्य विभाग ने सिकलसेल पीड़ित बच्चों की देखभाल को लेकर एडवायजरी जारी की है। इस पर अमल के निर्देश भी दिए गए हैं।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सिकलसेल एनीमिया से पीड़ित बच्चों को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष एडवायजरी जारी की गई है। इसमें ऐसे बच्चों का विशेष ध्यान रखने और उन्हें अच्छा और सकारात्मक वातावरण देने के लिए कहा गया है। एडवायजरी में बताया गया है कि माता-पिता आवश्यक रूप से अपनी जाँच करवाएं। सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करें और तेलीय पदार्थों का प्रयोग न करें। बीमारी की गंभीरता को समझें तथा पीड़ित व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखते हुए उनकी समय पर जाँच एवं उपचार करें।
स्वास्थ्य विभाग ने यह एडवायजली एनीमिया मुक्त भारत और एनीमिया से बचाव के उद्देश्य से जारी की गई है। इसके अनुसार सिकलसेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति की रक्त कणिकाएँ हँसिए के आकार की होती हैं। इस कारण से बीमारी को सिकलसेल कहा जाता है। जनजातीय समुदाय में यह बीमारी अधिक होती है। इसके बचाव के समस्त उपाय किए जाने चाहिए। विवाह से पहले वर एवं कन्या, दोनों के खून की जाँच कराई जानी चाहिए। गर्भवती महिला की जाँच एवं प्रसव के 72 घंटे के अंदर शिशु के रक्त की भी जाँच अनिवार्य रूप से कराई जाए।
सिकलसेल एनीमिया पीड़ित महिला और पुरुष का न हो विवाह
एडवायजरी के अनुसार सिकलसेल एनीमिया से पीड़ित पुरुष एवं इसी समस्या से पीड़ित स्त्री का विवाह नहीं कराया जाना चाहिए। सामान्य पुरुष अथवा सामान्य महिला, पीड़ित पुरुष अथवा महिला से विवाह कर सकते हैं। बच्चों को नियमित रूप से आँगनवाड़ी केन्द्र भेजे जाने तथा उनकी स्वास्थ्य जाँच करवाने और दिव्यांग बच्चों की विशेष देखभाल भी की जानी चाहिए।
सिकलसेल एनीमिया के लक्षण
- क्रोनिक एनीमिया
- टैकिकार्डिया (Tachycardia), थकान
- ब्लड वेसल्स में ब्लॉकेज के कारण हाथों और पैरों में सूजन आना
- पीलिया (Jaundice)
- ग्रोथ धीमी होना
- सीने, पेट, जोड़ों और हड्डियों में तेज दर्द, जो कई घंटों से कई हफ्तों तक रहता है।
- सिकल सेल की कॉम्प्लिकेशन में किडनी और आंख संबंधी रोग, गैंग्रीन, स्ट्रोक और संक्रमण जैसे ओस्टियोमाइलाइटिस, निमोनिया शामिल हैं। गंभीर स्थिति में बोन मैरो रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन बंद कर देगा।