सफलता : SI राजेश कुंभकार की पत्नी रूपाली बनीं असिस्टेंट प्रोफेसर, संयुक्त परिवार और 3 वर्षीय बेटे की जिम्मेदारी निभाते हुए MPPSC की चयन प्रक्रिया में हुईं सफल
मप्र पुलिस में उप निरीक्षक राजेश कुंभकार की पत्नी रूपाली झीनीवाल (कुंभकार) ने पहले ही प्रयास में असिस्टेंट प्रोफेसर की चयन प्रक्रिया में सफलता हासिल कर ली है। वे इसका श्रेय अपने सास-ससुर, पति एवं माता-पिता से मिली प्रेरणा और सहयोग को देती हैं।

सास-ससुर ने बेटी जैसा दिया दुलार ताकि पढ़ सकें रूपाली, पुलिस की ड्यूटी के बाद पति भी करते थे पढ़ाई में मदद
एसीएन टाइम्स @ उज्जैन / रतलाम । मध्यप्रदेश पुलिस में उप निरीक्षक के पद पर पदस्थ राजेश कुंभकार की धर्मपत्नी रूपाली झीनीवाल (कुंभकार) का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ है। उन्होंने तीन वर्षीय बेटे और संयुक्त परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए यह सफलता अर्जित की है। पढ़ाई के दौरान उन्हें लगा ही नहीं कि वे अपनी ससुराल में हैं क्योंकि सास-ससुर से उन्हें बेटी सा दुलार मिला और सहयोग भी। खुद पुलिस में अफसर पति ने भी अपनी ड्यूटी निभाने के बाद उनकी पढ़ाई में मददगार बने।
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा पिछले दिनों असिस्टेंट प्रोफसर के लिए हुई चयन प्रक्रिया का परिणाम घोषित किया गया। इसमें रूपाली झीनीवाल (कुंभकार) ने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली। रूपाली अपनी सफलता का श्रेय अपनी सास रामकन्या, ससुर रामचरण, पति राजेश कुंभकार से मिले सहयोग एवं माता शकुंतला तथा पिता रामेश्वर झीनीवाल से मिले प्रोत्साहन को देती हैं। रूपाली के पति राजेश वर्तमान में उज्जैन में उप निरीक्षक के पद पर पदस्थ हैं। इससे पूर्व में रतलाम में डीआईजी मनोज कुमार सिंह के साथ सेवाएं दे चुके हैं।
बेटा छह माह का और क्लियर कर ली नेट
एक गृहिणी के लिए संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन करना काफी मायने रखता है वह भी तब जबकि खुद का छोटा बच्चा भी हो। रूपाली ने इन दोनों ही जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। जब उनका बेटा महज 6 माह का था तभी नेट क्लियर कर ली थी और जब वह तीन साल का हुआ तो MPPSC द्वारा आयोजित अस्टेंट प्रोफसर की चयन प्रक्रिया में भी सफल हो गईं। रूपाली बताती हैं कि उनके माता-पिता हों या फिर सास-ससुर और पति, सभी बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के विचार को तरजीह देते हैं। यही वजह है कि उन्हें अपने मायके देवास में तो पढ़ाई को लेकर प्रोत्साहन मिला ही, ससुराल में भी उनकी हर जरूरत का ख्याल रखा गया।
खाना बनाते समय हेडफोन लगा कर तैयारी करती थीं
मूलतः ब्यावरा (राजगढ़) के निवासी एसआई राजेश धर्मपत्नी रूपाली के अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित होने पर काफी खुश हैं। वे कहते हैं कि परिवार और बच्चे के हिस्से का समय देने के बाद भी रूपाली ने अपनी पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय दिया। वे खाना बनाते-बनाते हेडफोन लगाकर के भी तैयारी करती रहती थीं। खुद राजेश भी पुलिस की ड्यूटी पूरी करने के बाद घर आकर उनकी पढ़ाई और अन्य कार्यों में मदद करते थे। एक कृषक परिवार का बेटा पुलिस अधिकारी और बहू का असिस्टेंट प्रोफेसर बनना मायने भी रखता है और दूसरों के लिए प्रेरणादायक भी है।