विश्व एनेस्थीसिया दिवस विशेष : सिर्फ क्लोरोफार्म सुंघा कर बेहोश करना नहीं, ऑपरेशन थिएटर से व्यक्ति को जिंदा लाना है एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की जिम्मेदारी
विश्व एनेस्थीसिया दिवस के मौके पर विशेषज्ञ डॉ. गौरव यादव से जाने एनेस्थीसिया का चिकित्सा विज्ञान और सर्जरी में महत्व।
सौरभ कोठारी
एक समय था जब मरीज को सर्जरी से पहले बेहोश करने का मतलब था क्लोरोफार्म सुंघाना। अब यह प्रक्रिया भी समय बदलने के साथ बदल चुकी है और काफी अपडेट हो चुकी है। अब एसेस्थीसिया विशेषज्ञ का काम सिर्फ व्यक्ति को बेहोश करना भर नहीं है, बल्कि ऑपरेशन थिएटर में जिंदा पहुंचे व्यक्ति को जिंदा वापस लाने की जिम्मेदारी है।
विश्व एनेस्थीसिया दिवस के खास मौके पर इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. गौरव यादव ने। डॉ. यादव ने बताया कि सर्जरी के पहले एनेस्थीसिया की दवा के इस्तेमाल के बाद मरीज कुछ समय के लिए बेहोशी की स्थिति में होता है। ऐसे में उसे किसी प्रकार के दर्द और कष्ट का अहसास नहीं होता है। क्योंकि यह दवा मरीज की नसों के संकेतों को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर देती है। एनेस्थेटिक दवाओं का असर 12-18 घंटे तक रह सकता है। इस कारण ऑपरेशन के बाद भी उस स्थान पर दर्द का अनुभव नहीं होता है। दवाओं का असर समाप्त होने के बाद दर्द वापस आ सकता है। ऐसी स्थिति में दर्द दूर करने के लिए अन्य वैकल्पिक उपाय या दवाई का प्रयोग करना पड़ सकता है।
डॉ. गौरव के अनुसार एनेस्थीसिया चिकित्सा जगत का बेहद ही महत्वपूर्ण विभाग है। जागरूकता के अभाव में लोग इसे ज्यादा तवज्जो नहीं देते। हकीकत में किसी भी प्रकार की शल्य क्रिया चाहे वह सिजेरियन डिलीवरी हो अथवा कोई जटिल सर्जरी, इसमें एनेस्थीसिया की भूमिका बेहद अहम् होती है। बदलाव के इस दौर में एनेस्थीसिया के क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया है। पहले जहां लोग एनेस्थीसिया को क्लोरोफार्म सुंघा के बेहोश करना जानते थे वहीं आज इसका क्षेत्र व्यापक है। ऑपरेशन के दौरान शरीर के किस भाग की सर्जरी है, कौन सी सर्जरी है एवं मरीज की वर्तमान शारीरिक स्थिति और पूर्व में कोई बीमारी रही हो तो एनेस्थीसिया के प्रकारण का निर्धारण भी उसके अनुसार होता है। इसमें शुगर, बी.पी. (उच्च रक्तचाप), हृदय रोग के आधार पर सर्जरी के दौरान दिए जाने वाले एनेस्थीसिया का प्रकार अलग हो सकता है।
एनेस्थीसिया के विभिन्न प्रकार
लोकल एनेस्थीसिया (Local anesthesia) : इसका इस्तेमाल छोटी सर्जरी या सामान्य मेडिकल प्रक्रिया में किया जाता है। इसमें मरीज के शरीर के सिर्फ़ एक हिस्से को सुन्न किया जाता है। इस दौरान मरीज़ पूरी तरह से होश में रहता है। ये मोतियाबिंद सर्जरी, डेंटल सर्जरी या स्किन बायोप्सी के दौरान दिया जाता है।
जनरल एनेस्थीसिया (General anesthesia) : इसका इस्तेमाल लंबी और बड़ी सर्जरी से पहले किया जाता है। इस दवा का असर तुरंत होता है। लगभग एक मिनट में मरीज़ को हल्का-हल्का महसूस होने लगता है। इसके बाद वह बेहोश हो जाता है।
रीजनल एनेस्थीसिया (Regional anesthesia) : रीजनल एनेस्थीसिया शरीर के हिस्से में दर्द रोकने के लिए दिया जाता है। बच्चे के जन्म का दर्द कम करने, सी-सेक्शन, घुटने की सर्जरी, हाथों और कूल्हों की सर्जरी के दौरान इस तरह का एनेस्थीसिया दिया जाता है।
इन तरीकों से देते हैं एनेस्थीसिया
एनेस्थीसिया को तीन तरह से दिया जाता है। ये तीन तरीके हैं मास्क, इंजेक्शन या ट्यूब के ज़रिए देना। एक अच्छी सर्जरी के लिए सर्जन की निर्भरता अच्छे एनेस्थीसिया पर होती है। सर्जरी के दौरान मरीज का बी.पी., हृदय गति, रक्तस्त्राव नियंत्रित रखने की जिम्मेदारी निश्चेतना विशेषज्ञ की होती है। आम भाषा में कहें तो ऑपरेशन थिएटर में जिन्दा लेकर वापस जिन्दा लाने की जिम्मेदारी एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की है। सिर्फ ऑपरेशन के क्षेत्र में ही नहीं, आज एनेस्थीसिया विशेषज्ञ, दर्द निवारण के क्षेत्र में, दर्द रहित सामान्य प्रसव, बहुत सी जांचों को सुगमता से सफल बनाने के लिए गहन चिकित्सा क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
16 अक्टूबर को मनता है वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे
डॉ. यादव के दौरान 16 अक्टूबर, 1846 को अमेरिका के डेंटिस्ट विलियम टी. जी. मोर्टन ने एनेस्थीसिया का सबसे पहले प्रयोग आज ही के दिन किया था। एनेस्थीसिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल इस दिन वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाया जाता है।
(सौरभ कोठारी वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्र लेखक हैं)