बड़ा सुझाव : लाउडस्पीकर को लेकर होने वाले विवादों का एकमात्र हल, हर जिले में नियुक्त हों ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी- अनिल झालानी
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग को लेकर कानून बनाने सहित महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने हर जिले में ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारियों की नियुक्ति की सलाह दी है।
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने केंद्र सरकार को दिया महत्वपूर्ण सुझाव
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । देश में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण नागरिकों के शांति से जीने के अधिकार का हनन कर रहा है। हाल के दिनों में मसजिदों के लाउड स्पीकर हटाने के लिए न्यायालय में याचिकाएं भी दायर की गई हैं। उच्चतम न्यायालय भी ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। बावजूद ध्वनि प्रदूषण कम होने के बजाय बढता ही जा रहा है। इस समस्या के समाधान भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी के सुझाव से हो सकता है। झालानी के अनुसार हर जिले में ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी की नियुक्ति इस समस्या का एकमात्र हल है।
भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने इस बड़ी समस्या का समाधान करीब पांच वर्ष पूर्व 5-7-2017 को ही देश के प्रधानमंत्री को दिया था। इसमें ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में एक ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी (एम्प्लीफायर कंट्रोलर) की नियुक्ति किए जाने का की बात सुझाई गई थी। इसके साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के निर्माता, क्रेता, विक्रेता और उपयोगकर्ताओं तक का रजिस्टर भी रखने की सलाह दी थी।
जरूरत के अनुसार हो ध्वनि विस्तारकों का वर्गीकरण
झालानी ने बताया था कि सबसे पहले ध्वनि विस्तारकों का वर्गीकरण किया जाना चाहिए जिससे कि ढोल-नगाडों जैसे पारम्परिक वाद्य यंत्रों को इस व्यवस्था से बाहर रखा जा सके। इसके पश्चात मान्य डेसीबल से अधिक क्षमता वाले ध्वनि विस्तारकों का निर्माण करने वाली इकाइयों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मान्य डेसीबल से अधिक क्षमता के ध्वनिविस्तारक यंत्रों का भी पंजीकरण किया जाना चाहिए।
वाहन के इंजिन की तरह जारी हो नंबर, शस्त्र लायसेंस जैसी बने व्यवस्था
झालानी ने प्रत्येक ध्वनि विस्तारक यंत्र का उत्पादन के समय ही एक नम्बर नियत किए जाने का सुझाव भी दिया था। यह नंबर ठीक उसी प्रकार होगा जैसे मोटर कार में इंजिन का नम्बर होता है। पंजीकृत ध्वनि विस्तारक यंत्र का वही नम्बर उत्पादन कर्ता से लगाकर विक्रेता, क्रेता, सेवा प्रदाता और अंतिम उपयोगकर्ता तक मान्य रखा जाए। वर्तमान में जैसी व्यवस्था शस्त्र लायसेंस के लिए बनाई गई है, कमोबेश उसी तरह की व्यवस्था बनाई जाए।
ऐसे काम करेगा ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी
झालानी के अनुसार जिले का ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी तय करेगा कि किस आयोजन पर कौन सा ध्वनि विस्तारक यंत्र बजेगा। उस यंत्र की उपयोगिता और कितने लोगों तक उसकी आवाज पंहुचाने की आïवश्यकता है और कितने समय तक है। इन बातों का औचित्य सिद्ध होने पर ही ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी द्वारा उसके उपयोग की अनुमति जारी की जाएगी। इसके लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने के लिए एक संक्षिप्त प्रारूप वाला आवेदन-पत्र तैयार करवाया जाए। ध्वनि विस्तारक का संचालन करने वाला या सेवा प्रदाता एजेंसी इस प्रारूप आवेदन में समस्त विवरण भरकर ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेगा। आवेदन प्रस्तुत कर सूचना देने को ही अनुमति स्वीकार माना जाए।
प्रतिबंध लगाने और दंडात्मक कार्रवाई का हो अधिकार
झालानी ने सुझाव में कहा है कि नियंत्रण अधिकारी ऐसे प्रत्येक आवेदन पर ध्यान दें और जहां उसे प्रतीत हो कि इस आयोजन में इतने डेसीबल के उपयोग की आवश्यकता नहीं है या अधिक समय उपयोग किया जा रहा है, तो वह लिखित आदेश जारी कर ध्वनि विस्तारक के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा सकेगा। वह उपकरण जप्त कर सकेगा। जरूरत पड़ने पर उपयोगकर्ता के विरुद्ध दण्डात्मक कार्रवाई भी कर सकेगा। झालानी ने सुझाव पत्र में एक कानून बनाने का सुझाव भी केन्द्र सरकार को दिया है ताकि देश में बढते ध्वनि प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सके। इससे नागरिकों के शांति से जीवन जीने के अधिकार का संरक्षण हो सकेगा।
इन सभी को स्मरण पत्र भी लिखा
झालानी ने अपने सुझावों के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद, अध्यक्ष विधि आयोग और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को 7 मार्च 2019 को पुनः स्मरण पत्र भी भेजा था। इसकी प्रतिलिपि तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण NGT के अध्यक्ष और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को भी भेजी गई थी।
सुझाव पर अमल से ये होंगे फायदे
झालानी ने उम्मीद जताई है कि सरकार उपरोक्त सुझावों पर अमल कर जल्द से जल्द कानून बनाकर ध्वनि विस्तारक यंत्र नियंत्रण अधिकारी की नियुक्ति करेगी। इससे सिर्फ ध्वनि प्रदूषण के मामलों में शासन को सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार मिल जाएगा। साथ ही ध्वनि प्रदूषण, शोर और कोलाहल से सम्बंधित सभी समस्याओं का समाधान भी हो सकेगा। इससे राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT ) को भी राहत मिलेगी।