खेल-खेल में विज्ञान : बच्चों ने खुद बनाई घट्टी (चक्की) और घुमाकर जाना कि दादी मां और नानी मां अनाज पीसने के लिए घट्टी का हत्था परिधि के पास क्यों होता है
रतलाम जिले के पिपलौदा में रतलाम द यूनिक सोशल एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान बच्चों ने विज्ञान की अवधारणाएं देखी और खुद करके भी सीखीं।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । हमारी दादी माँ और नानी माँ दाल पीसने की परम्परागत घट्टी का हत्था परिधि के पास ही क्यों लगाती थी? यह बच्चों ने स्वयं की घट्टी बनाकर और घुमाकर देख लिया और सीख भी लिया। आश्चर्य ! खाली बोतल देखते ही देखते पिचक गयी तो सबने बजायी ताली।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर बुधवार को पिपलौदा के बच्चे बने साक्षी साइंस के कईं प्रयोगों के। स्वयं करके सीखने के साथ इन प्रयोगों के पीछे का साइंस भी समझा। रतलाम द यूनिक सोशल एंड वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर विज्ञान संचारक गजेंद्र सिंह राठौर की साइंस कार्यशाला हुई।
विकसित भारत के लिए स्वदेशी ज्ञान पर हुई साइंस कार्यशाला
विज्ञान संचारक राठौर के मार्गदर्शन में 60 से अधिक स्कूली विद्यार्थियों ने विज्ञान आधारित ज्ञान को स्वयं मॉडल बनाकर, गतिविधि करके सीखा। डोरी पर दौड़ता रॉकेट, खारे पानी में तैरने और घनत्व का संबंध, फव्वारे पर नाचती गेंद, हैंड पम्प का लंबा हत्था रखने के फायदे पर क्रियात्मक मॉडल द्वारा समझ, वायु दाब के नए और प्रचलित प्रयोग, संवेग और कोणीय संवेग के कांसेप्ट पर मॉडल आधारित गतिविधि, दाब की अवधारणा, द्रव्यमान और भार, रसायनों पर आधारित साइंस, न्यूटन के नियम आदि कई कांसेप्ट पर विद्यार्थियों नवक्रियात्मक रूप से स्वयं करके देखे।
कम या शून्य लागत से की गतिविधियां
प्रयोग की समस्त सामग्री या तो कम लागत की थी या शून्य लागत की घरेलू सामग्री। गुब्बारे, धागा, स्ट्रॉ, कांच के ग्लास, कीप, प्लास्टिक की वेस्ट बॉटल, पुराने फेंकने लायक डिब्बे आदि सामग्री का उपयोग किया गया। यूनिक क्लब के संयोजक पुनीत जैन ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित गजेंद्र सर की ये कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक और विज्ञान के दृष्टिकोण को जगाने वाली रही।
विद्यार्थियों के अनुभव
कार्यशाला में भाग ले रहे कक्षा 6 के विद्यार्थी नाव्या नोकवाल बताती है कि साइंस एक्टिविटी में कांसेप्ट कैसे पकड़ें, ये सीखने को मिला। प्रतिभागी छात्र रियांश (कक्षा 7) ने बताया है कि रॉकेट के सिद्धांत को समझने का अवसर एक्टिविटी से मिला। यूनिक कॉन्वेंट के छात्र अरसिन मंसूरी ने संवेग और ऊर्जा संरक्षण पर आधारित प्रयोग को मजेदार बताया। संचालन पुनीत जैन ने किया। आभार अदिति देराश्री ने माना।