राम नवमी पर रचना अभी-अभी : ‘राम राष्ट्र की चेतना, राम राष्ट्र-सम्मान...’ -प्रो. अज़हर हाशमी

आपातकाल के दौरान 1976 में ‘राम वाले हिंदुस्तान’ की सार्जवनिक मंच से मांग करने वाले प्रो. अज़हर हाशमी द्वारा राम नवमी के अवसर पर अभी-अभी लिखे गए ये दोहे आप भी पढ़ कर और सुन कर देखिए। यकीन जानिए, आपके जेहन में भी मर्यादा परुषोत्तम श्री राम के व्यक्तित्व और कृतीत्व का शब्दचित्र खिंच जाएगा।

राम नवमी पर रचना अभी-अभी : ‘राम राष्ट्र की चेतना, राम राष्ट्र-सम्मान...’ -प्रो. अज़हर हाशमी
राम नवमी विशेष।

प्रो. अज़हर हाशमी

अनुपम – अनंत - अलौकिक, राम धैर्य के धाम ।

शौर्य - शक्ति - श्रीयुत् शिखर, कमलनयन श्रीराम ।।

 

राम, वचन की एकता, राम शील - प्रतिमान ।

राम यानी ‘चरैवेति’, सतत् सूर्य – गतिमान ।।

 

राम सरलता के सिंधु, सदय राम का रूप ।

शीतल छांव गर्मी में, सर्दी में ज्यों धूप ।।

 

राम मौन - गंभीर भी, राम सहज संवाद ।

राम कथानक कर्म के, नैतिकता के नाद ।।

 

राम स्वयं ही ब्रह्म हैं, राम ज्ञान - विज्ञान ।

राम राष्ट्र की चेतना, राम राष्ट्र – सम्मान ।।

 

(रचनाकार प्रो. अज़हर हाशमी ख्यात कवि, गीतकार, साहित्यकार, समालोचक और ज्योतिष के जानकार हैं। आपने 1976 में 'राम वाला हिंदुस्तान चाहिए...' जैसी ख्यात रचना लिखी थी। उनकी बेटियां पावन दुआएं हैं तो कई राज्यों के विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रमों का हिस्सा भी बनीं। ऐसे रचनाकार के उपरोक्त दोहों के साथ आप सभी को श्री राम नवमी की कोटिश: बधाई और शुभकामनाएं)