माता-पिता को वृद्धा आश्रम भेजोगे तो 25 वर्ष बाद आपका भी नंबर आएगा, माता-पिता की पूजा से ही करें दिन की शुरुआत- आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर जी

आचार्य श्री विजय कुलबोधित सूरीश्वर जी म.सा. ने रतलाम में रविवार को हुए विशेष प्रवचन में माता-पिता के महत्व और संतान पर उसके उपकारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने युवाओं से पांच गुरु दक्षिणा ली और सभी को तीन संकल्प भी दिलाए।

माता-पिता को वृद्धा आश्रम भेजोगे तो 25 वर्ष बाद आपका भी नंबर आएगा, माता-पिता की पूजा से ही करें दिन की शुरुआत- आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर जी
रतलाम । विशेष प्रवचन के दौरान संबोधित करते आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर जी म.सा.।

"मां-बाप को भूलना नहीं" विषय पर हुए विशेष प्रवचन

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । माता-पिता, दादा-दादी की सेवा करो, इससे आपकी 7 पीढ़ी तर जाएंगी। माता-पिता से हमारा संबंध नहीं, अनुबंध है। मां पुण्य से मिलती है और पत्नी पसंद से। यदि आज आप माता-पिता को वृद्धा आश्रम भेजोगे तो 25 वर्ष बाद आपका भी नंबर आ जाएगा। इसलिए माता-पिता के उपकार को कभी भूलना मत। रोज सबसे पहले माता-पिता की पूजा कर दिन की शुरुवात करना चाहिए

यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने कही। वे मोहन टॉकीज सैलाना वालों की हवेली में रविवार को "मां-बाप को भूलना नहीं" विषय पर विशेष प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन की शुरुआत मां से होती है। भारतीय संस्कृति में 5 माताएं- भारत माता, गाय माता, नदी माता, धरती माता और जन्म दात्री है। आज ये पांचों माताएं मुश्किल में जी रही हैं। जीवन में जितना त्याग माता का होता है, उतना पिता का भी होता है। हम पर माता-पिता के अनगिनत उपकार हैं। विश्व में आज रोज 5 करोड़ से अधिक अबॉर्शन होते हैं, इसलिए उन सबके बीच हमारा जन्म लेना भी एक उपकार ही है। आचार्य श्री ने कहा कि किसी पर उपकार करो, तो उसे याद मत दिलाओ और किसी से उपकार लिया हो, तो उसे कभी भूलना मत।

मां सबसे बड़ा तीर्थ

आचार्य श्री ने कहा कि "मदर" से अगर "एम" हटा दो तो अदर हो जाता है। "मदर इज मदर, नो नीड अदर" क्योंकि सारे तीर्थ बाद में, सबसे बड़ा तीर्थ मां होती है। व्यक्ति जब दिनभर काम करके शाम को घर आता है, तब पिता पूछता है कितना कमाया, पत्नी पूछती है कितना बचाया, पुत्र पूछता है क्या लाया और मां ही पूछती है कि बेटा कुछ खाया कि नहीं? माता-पिता का आशीर्वाद जिसके साथ होता है, वह संसार में सबसे भाग्यशाली रहता है।

आचार्य श्री ने युवाओं से मांगी पांच गुरु दक्षिणा

पहली : सुबह उठकर माता-पिता के चरण स्पर्श करो।

दूसरी : माता-पिता को कुछ भी गलत मत बोलो।

तीसरी : जब भी कुछ सुपुर्द करो तो माता-पिता को करो।

चौथी : दिन या रात में 10 मिनट माता-पिता के पास बैठो।

पांचवीं : घर में माता-पिता को अच्छा स्थान दो।

सबको दिलाए 3 संकल्प

पहला : माता-पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ना नहीं।

दूसरा : पत्नी को कभी तलाक मत देना।

तीसरा : अबॉर्शन मत कराना।