खोट भारतीय गेहूं में या तुर्की की नीयत में ? तुर्की सरकार का भारत से भेजा गया 15 मिलियन टन गेहूं लेने से इंकार, बताई यह बड़ी वजह

भारतीय व्यापारियों द्वारा 15 मिलियन टन गेंहू तुर्की भेजा गया था। तुर्की सरकार के अफसरों ने गेहूं में फाइटोसैनिटरी व रुबेला वायरस इन्फेक्ट होने का हवाला देते हुए वापस कर दिया है।

खोट भारतीय गेहूं में या तुर्की की नीयत में ? तुर्की सरकार का भारत से भेजा गया 15 मिलियन टन गेहूं लेने से इंकार, बताई यह बड़ी वजह
तुर्की ने लौटाया भारतीय गेहूं।

गेहूं लेकर 29 मई को पहुंचा शिप तुर्की प्रशासन ने लौटाया

एसीएन टाइम्स @ नई दिल्ली । तुर्की प्रशासन ने भारत से व्यापारियों द्वारा भेजी गई गेहूं की खेप लेने से इनकार कर दिया है। तुर्की सरकार ने भारतीय गेहूं बीमारी ग्रसित होने का हवाला दिया है। करीब 15 मिलियन टन गेहूं लौटाने से यहां व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई है। इससे पहले मार्च में भारत ने 7 मिलियन टन गेहूं टर्की भेजा था।

तुर्की सरकार को भारतीय गेहूं में खोट नजर आई है। सरकार ने भारतीय व्यापारियों द्वारा वहां भेजा गया 15 मिलियन टन गेहूं लेने से मना कर दिया है। भारत से गेहूं लेकर 29 मई को एक शिप तुर्की पहुंचा था किंतु तुर्की के अफसरों ने भारतीय गेहूं में फाइटोसैनिटरी का संक्रमण होने से लौटा दिया।

एस एंड पी ग्लोबल कमोडिटी के मुताबिक भारत के गेहूं की खेत में रूबेला नामक बीमारी मिली थी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय पौधों में रूबेला बीमारी की गंभीर शिकायत है। इसके चलते ही तुर्की कृषि मंत्रालय ने गेहूं लेने से इनकार कर दिया।

निर्यात पर प्रतिबंध लगने से पहले भेजा गया था गेहूं

तुर्की द्वारा गेहूं लौटाए जाने को लेकर भारतीय कृषि मंत्रालय की ओर से अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है। बताया जा रहा है कि भारत से गेहूं लेकर उक्त शिप सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पहले ही भेजा गया था। यह गेहूं एक निजी कंपनी एमवी इंसे एकडेनिज से 56 हजार 877 टन गेहूं भेजा गया था। यह कंडाला पोर्ट से वापस आ रहा है।

इसलिए निर्यात पर लगाई रोक

बता दें कि, अप्रैल में महंगाई दर में उछाल आया था। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में महंगाई दर अपने उच्चतम स्तर 7.79 प्रतिशत पहुंच गई थी। खाद संबंधी वस्तुओं की कीमतों में भी 8.38 फीसदी का उछाल दर्ज हुआ था। इस दौरान सीजन होने के बाद भी गेहूं की कीमत में 20 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। ऐसे में किसानों और व्यापारियों को तो मुनाफा हुआ किंतु आम आदमी के लिए गेहूं की खरीदी महंगी पड़ रही थी। इसके बाद ही भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी।

युद्ध के कारण भारतीय गेहूं की बढ़ी मांग

रूस और यूक्रेन दुनिया की कुल खपत का 29 प्रतिशत गेहूं की आपूर्ति करते हैं। 99 दिन से दोनों देशों के बीच युद्ध जारी है। इससे वहां से होने वाली गेहूं की आपूर्ति प्रभावित है। नतीजतन दुनियाभर में खाद्य संकट गहराने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में भारत के पास गेहूं की सप्लाई का भारत के पास बड़ा मौका है। विश्व के अन्य देशों ने भी भारतीय गेहूं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं लेकिन भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाई गई रोक से व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई है।