क्या अप्रैल फूल बनाया ? तय दुकान से किताबें व यूनिफॉर्म खरीदने से रोकने के नाम पर हमारे यहां हुई औपचारिकता, और वहां 34 स्कूलों पर FIR हो गई

प्राइवेट स्कूल अभिभावकों किताबें और यूनिफॉर्म दुकान विशेष से खरीदने के लिए बाध्य न कर सकें, इसके लिए रतलाम जिले में औपचारिकता जारी है। शिक्षा सत्र शुरू होने के 4 दिन बाद शिक्षा विभाग द्वारा शिकायत दर्ज करवाने के लिए जिला स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू किया गया है।

क्या अप्रैल फूल बनाया ? तय दुकान से किताबें व यूनिफॉर्म खरीदने से रोकने के नाम पर हमारे यहां हुई औपचारिकता, और वहां 34 स्कूलों पर FIR हो गई
दुकान विशेष से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने से रोकने के नाम पर रतलाम जिले में हुई औपचारिकता।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । प्राइवेट स्कूलों द्वारा किताबों और यूनिफॉर्म नियत दुकानों से ही खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य नहीं करने को लेकर इस साल भी जिले में औपचारिकता हो चुकी है। 1 अप्रैल से नया शिक्षा सत्र शुरू भी हो चुका है और हमारे जिले के जिम्मेदारों को अब शिकायत के लिए कंट्रोल रूम स्थापित करने की याद आई है। वहीं प्रदेश में एक जिला जबलपुर है जहां किताबों और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए दबाव डालने के मामले में करीब तीन दर्जन प्राइवेट स्कूलों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है।

हर साल की तरह इस साल भी शैक्षणिक सत्र 2024-25 की शुरुआत 1 अप्रैल को हो चुकी है। जिला शिक्षा अधिकारी के. सी. शर्मा ने अधिकृत बयान जारी कर बताया है कि एक जिला स्तरीय कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। इसका लैंडलाइन टेलीफोन नंबर 07412 270446 और मोबाइल नंबर 7987134431 है। कहा गया है कि इन नंबरों पर अभिभावक प्राइवेट स्कलों द्वारा दुकान विशेष से ही किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य किए जाने पर शिकायत की जा सकती है। अभिभावक अवकाश वाले दिन को छोड़कर अन्य किसी भी कार्य दिवस में कार्यालयीन समय में प्राइवेट स्कूलों से संबंधित शिकायत कर सकते हैं। शिकायत कॉल करके अथवा एसएमएस और व्हाट्सएप के माध्यम से दर्ज कराई जा सकती है।

कई अभिभावक पहले ही खरीद चुके हैं किताबें

यहां गौर करने वाली बात यह है कि नए शिक्षा सत्र के लिए जिला के लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत जनवरी-फरवरी में ही शुरू हो गई थी। कुछ कक्षाओं की प्रवेश प्रक्रिया ही अब चल रही है और वह भी लगभग अंतिम दौर में ही है। नया शिक्षा सत्र भी चार दिन पूर्व शुरू हो चुका है। लगभग सभी स्कूलों में 1 अप्रैल से पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। इसके लिए ज्यादातर अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों के लिए किताबें और यूनिफॉर्म भी स्कूलों द्वारा नियत दुकानों से काफी दिन पूर्व ही खरीदी जा चुकी हैं। ऐसे में शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद प्राइवेट स्कूलों पर दुकान विशेष से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य नहीं करने का प्रतिबंध लगाने या उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाने की औपचारिकता निभाना समझ से परे हैं।

किताबों की सूची पोर्टल पर उपलब्ध कराने की सूचना भी देर से

करीब एक सप्ताह पूर्व ही शिक्षा विभाग द्वारा यह जानकारी भी सार्वजनिक की गई थी कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा कोर्स में लागू की गई किताबों की सूची जिले के एनआईसी पोर्टल पर अपलोड कर दी गई है। यह सूचना भी अधिकतर अभिभावकों द्वारा किताबें खरीदने अथवा स्कूलों द्वारा उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य कर दिए जाने के बाद ही जारी की गई थी। तब तक प्राइवेट स्कूलों से संबद्ध दुकानदार चांदी काट चुके थे जिससे अभिभावक खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

अभिभावकों को यह डर भी

अभिभावक चाह कर भी कभी प्राइवेट स्कूलों की ज्यादतियों की शिकायत दर्ज नहीं करा पाते हैं। इसकी वजह उनका यह डर है कि अगर उन्होंने शिकायत की तो स्कूल प्रबंधन उनके बच्चे के भविष्य को नुकसान पहुंचा सकता है। रतलाम में पूर्व में ऐसे उदाहरण समय-समय पर आ भी चुके हैं। फिर अभिभावकों को यह भी यकीन है कि उनके द्वारा शिकायत करने के बाद भी प्राइवेट स्कूलों का कुछ नहीं होगा। जिला शिक्षा विभाग हो या अन्य विभाग, स्कूलों को अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर का बताकर अपनी असमर्थता ही दर्शाएंगे, खासकर सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले और इंटरनेशनल नाम का तमगा लगाने वाले स्कूलों को लेकर।

...और उधर ऐसी कार्रवाई, अभिभावकों को भरोसा भी दिलाया

एक तरह रतलाम जिले में कागजी खानापूर्ति और औपचारिकताओं का प्रैक्टिकल हो रहा है वहीं दूसरी ओर प्रदेश के जबलपुर जिले में प्रशासन ने 34 प्राइवेट स्कूलों के विरुद्ध एफआईआर ही दर्ज करवा दी। एफआईआर दुकान विशेष से ही किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य करने सहित अभिभावकों को अन्य तरीकों से टॉर्चर करने के लिए दर्ज हुई है। इतना ही नहीं कलेक्टर दीपक सक्सेना ने अभिभावकों को भरोसा दिलाया है कि शिकायत दर्ज कराने पर उनके बच्चे के भविष्य के साथ प्राइवेट स्कूल वाले कुछ नहीं कर सकेंगे। उन्होंने कहा है कि ऐसा करने वाले स्कूलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। बता दें, जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का रतलाम कनेक्शन भी रहा है। वे रतलाम में सन 2000 से पहले डिप्टी कलेक्टर रह चुके हैं।