मैं पास्ट में ज्यादा नहीं देखता, मुरैना के गांव से मैं यहां तक पहुंचा, आप तो रतलाम से और ऊंचाइयां छू सकते हैं- न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी

रतलाम के डॉ. कैलाशनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के नए भवन भवन का लोकार्पण सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी ने किया। समारोह की अध्यक्षता मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यदव रहे।

मैं पास्ट में ज्यादा नहीं देखता, मुरैना के गांव से मैं यहां तक पहुंचा, आप तो रतलाम से और ऊंचाइयां छू सकते हैं- न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी
लोकार्पण समारोह को संबोधित करते सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी।

डॉ. कैलाश नाथ काटजू विधि महाविद्यालय के नवीन भवन का हुआ लोकार्पण

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । मैं पास्ट में बहुत ज्यादा मुड़ कर नहीं देखता। उसको याद जरूर करता हूँ क्योंकि यदि मैं उसे याद नहीं रखूंगा तो आगे नहीं बढ़ सकूँगा। मैं पास्ट को उखाड़ता नहीं हूँ। मैं वर्तमान में जीने वाला आदमी हूँ। जो पास्ट में था उससे नसीहत लेकर वर्तमान अच्छा बनाने की कोशिश करता हूँ। आज मैं सबके साथ हूँ, यह मेरा अच्छा वर्तमान है।

यह बात सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी ने कही। वे रतलाम एजुकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने महाविद्यालय के नए भवन का फीटा काटकर लोकार्पण किया। समारोह की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने की। विशिष्ट अतिथि बार कौंसिल ऑफ इंडिया के को-चेयरमैन प्रताप मेहता रहे। रतलाम एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष एवं शहर विधायक चेतन्य काश्यप सहित महाविद्यालय के ट्रस्टीगण मंचासीन थे।

इसके बाद एक होटल में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने विधि विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा पास्ट सबने सुनाया। एक चीज़ का ध्यान रखें, आपके लिए बहुत अच्छा भगवान ने सोच रखा है। आप तो अपना वर्तमान अच्छा करते जाइए, भविष्य आपका अपने आप अच्छा हो जाएगा और इसका उदाहरण मैं आपके सामने हूँ। आप जिस रास्ते को चुनें उसी पर आगे बढ़ें। मुरैना जिले के एक गांव से निकलकर मैं यहां तक पहुंचा हूं, तो आप और ऊंचाइयों पर जा सकते है।

विधि व्यवसाय बढ़ने से बढ़ती है विश्लेषण करने की क्षमता

न्यायमूर्ति ने कहा कि विधि व्यवसाय चुनने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि व्यक्ति की विश्लेषण करने की क्षमता बढ़ जाती है। इस क्षेत्र में ईमानदारी, समर्पण और मेहनत करने वाले को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। विद्यार्थियों को रीडिंग, राइटिंग, डिस्कशिंग एवं थिंकिंग पर ध्यान देना आवश्यक है। इससे कभी विफलता नहीं मिलेगी। 5 साल संघर्ष करके बहुत आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन युवा पीढ़ी को मालूम नहीं की उसे कहां दिमाग लगाना चाहिए। शिक्षा पूर्ण करते ही यह पीढ़ी सीधे मल्टीनेशनल कंपनियों से जुड़ना पसंद कर रही है, जबकि भविष्य का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए।

मातृभाषा में शिक्षा देने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य- डॉ. मोहन यादव

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि न्यायमूर्ति माहेश्वरी मध्य प्रदेश का गौरव हैं। मध्य प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि मेडिकल की शिक्षा मातृभाषा में शुरू करने वाला वह पहला राज्य बना है। उन्होंने कहा कि महाराजा विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था अनुकरणीय थी। उससे प्रेरित होकर ही विधि के क्षेत्र को सुदृढ़ करने का कार्य रतलाम एजुकेशनल सोसायटी कर रही है।

देश में ऐसा यूनिक कॉलेज नहीं मिलेगा- प्रताप मेहता
बार कौंसिल ऑफ इंडिया के को-चेयरमैन प्रताप मेहता ने कहा कि देश में ऐसा यूनिक कॉलेज नहीं मिलेगा। इसमें बी.ए. एल.एल.बी. प्रारंभ करने के लिए निरीक्षण पर जब वे आए थे, तो सुविधाएं नहीं थीं। सोसायटी अध्यक्ष एवं विधायक चेतन्य काश्यप ने जब उन्हें आश्वस्त किया कि सारी सुविधाएं विकसित करवाई जाएंगी, तब सशर्त अनुमति दी गई थी। खुशी की बात है कि आज महाविद्यालय का नया भवन बन चुका है। मेहता ने महाविद्यालय में अच्छी फैकल्टी रखने पर जोर दिया, जिससे रतलाम का नाम रोशन हो।

अलाभकारी शिक्षा का मॉडल है रतलाम लॉ-कॉलेज- चेतन्य काश्यप

रतलाम एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष एवं विधायक चेतन्य काश्यप ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि संविधान में शिक्षा अलाभकारी पद्धति से चलाने का प्रावधान है और रतलाम लॉ-कॉलेज का संचालन उसी आधार पर हो रहा है। विधि, खेल और शिक्षा के क्षेत्र में देश को जब तक उच्च स्तर पर नहीं पहुंचाएंगे, तब तक सही मायने में विकास नहीं कर पाएंगे। रतलाम का लॉ कॉलेज अलाभकारी संस्था है। इसकी आधारशिला छोटे शहरों एवं कस्बों में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की प्राप्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रखी गई है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश से कई विभूतियां निकली हैं। न्यायमूर्ति माहेश्वरी भी उनमें से एक हैं, जो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के बाद आंध्रप्रदेश, सिक्किम में कार्य कर आज सर्वोच्च न्यायालय में प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं।

दीप प्रज्जवलन कर किया शुभारंभ

लोकार्पण समारोह के आरंभ में ट्रस्ट के सचिव डॉ. वाते ने संस्था परिचय दिया। उन्होंने बताया कि 1962 में नगर पालिका के पार्षदों ने ट्रस्ट बनाकर लॉ कॉलेज की स्थापना की थी। पहले वर्ष 25 विद्यार्थियों से शुरू हुए विधि महाविद्यालय में आज 500 से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। ट्रस्ट अध्यक्ष काश्यप, सचिव डॉ. वाते, कोषाध्यक्ष केदार अग्रवाल, भवन निर्माण संयोजक एवं ट्रस्टी निर्मल लुनिया, ट्रस्टी सुभाष जैन, कैलाश व्यास, उमेश झालानी, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला सहित प्राचार्य डॉ. अनुराधा तिवारी, विद्यार्थी मंथन मूसले, जिला अभिभाषक संघ अध्यक्ष अभय शर्मा, कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी एवं एस.पी. अभिषेक तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया। अधिवक्ता परिषद ने इस मौके पर न्यायमूर्ति माहेश्वरी को तुलसी का पौधा भेंट किया। अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। संचालन ट्रस्टी डॉ. चांदनीवाला ने किया। आभार उपाध्यक्ष ने माना।