व्याख्यानमाला : राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता के अग्रदूत थे जगद्गुरु शंकराचार्य : प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली में आयोजित व्याख्यानमाला में भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व निदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने जगदगुरु शंकराचार्य के विचारों पर प्रकाश डाला।

व्याख्यानमाला : राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता के अग्रदूत थे जगद्गुरु शंकराचार्य : प्रो. संजय द्विवेदी
व्याख्यानमाला को संबोधित करते प्रो. संजय द्विवेदी।

हंसराज कॉलेज में हुआ जगदगुरु शंकराचार्य व्याख्यानमाला का आयोजन

एसीएन टाइम्स @ नई दिल्ली । भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी का कहना है कि जगद्गुरु शंकराचार्य राष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता के अग्रदूत थे। भारतीय समाज के विविध सांस्कृतिक प्रवाहों को साथ लाकर उन्होंने राष्ट्रीय एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।

द्विवेदी हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) द्वारा आयोजित जगद्गुरु शंकराचार्य व्याख्यानमाला को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। भारतीय शिक्षा समिति (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन प्रो. हरीश अरोड़ा ने किया। प्रो. द्विवेदी ने कहा- ऐसे समय में जब समाज अपना आत्मविश्वास खो चुका था और आत्मदैन्य का शिकार था, जगद्गुरु शंकराचार्य ने उस महान राष्ट्र को उसकी अस्मिता से परिचित कराया। वेदों और उपनिषदों की ऋषि परंपरा का उत्तराधिकारी राष्ट्र कभी दीनता का शिकार नहीं हो सकता, इसका गौरवबोध करवाकर सोते हुए समाज को उन्होंने झकझोर कर जगाया।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि सिर्फ 32 साल की आयु में संपूर्ण देश का प्रवास, विपुल अध्ययन और लेखन के साथ चार मठों की स्थापना साधारण बात नहीं है। उनके प्रयासों से ही हमारी अस्मिता, धर्म और भारतबोध संरक्षित हो सके। उनका सपना भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित एक समर्थ, आध्यात्मिक समाज है जो विश्व मंगल और लोक-मंगल के सपने को सच कर सके।

जगद्गुरु शंकराचार्य भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता- डॉ. अरोड़ा

विषय प्रवर्तन करते हुए पीजीडीएवी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के प्राध्यापक डॉ. हरीश अरोड़ा ने कहा कि आज के समय में जगद्गुरु शंकराचार्य के विचार अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनके विचार व्यवहारिक जीवन के लिए भी उपयोगी हैं। वे भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता हैं, जिन्होंने हमें हमारे होने का अहसास कराया।

स्वागत व्याख्यान डॉ. नृत्यगोपाल शर्मा ने दिया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. रवि कुमार गौड़ और संचालन यशस्वी वशिष्ठ ने किया। आभार ज्ञापन डॉ. विजय कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर डॉ. प्रभांशु ओझा, भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी रीतेश पाठक, लेखक शिवेश प्रताप, नरेन्द्र कुमार रावत प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।