महारैली : धर्मांतरित को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने के लिए बुलंद की आवाज

जिले के जनजाति समाज ने 1 मई को रतलाम में महारैली का आयोजन किया। हजारों की संख्या में शामिल हुए जनजाति समाज के लोगों ने धर्मांतरित होकर ईसाई और मुसलमान बने लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने की मांग रखी।

महारैली : धर्मांतरित को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने के लिए बुलंद की आवाज
डीलिस्टिंग की मांग को लेकर रतलाम जिला मुख्यालय में एकत्र हुए जनजातीय समाज के लोग।

जनजाति सुरक्षा मंच के आह्वान पर तपती धूप में एकत्र हुए बड़ी संख्या में लोग

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । धर्मांतरित को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने की मांग के साथ रविवार को शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय परिसर से महारैली निकाली गई। जनजाति सुरक्षा मंच के आह्वान पर बड़ी संख्या में तपती धूप के बीच एकत्र हुए लोगों ने डीलिस्टिंग की आवाज बुलंद करने के लिए हाथों में झंडा लेकर महारैली में शामिल हुए। विभिन्न मार्गों से महारैली होते हुए पुन: शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय पर पहुंच विसर्जित हुई।

जनजातीय समाज से धर्मांतरित होकर अन्य समाज में जाने के बावजूद जनजाति समाज की सुविधाओं का लाभ लेने वाले सभी धर्मांतरित लोगों को डीलिस्टिंग की आवाज के साथ संदेश लिखी युवाओं की टोली हाथों में तख्तियां लेकर आगे-आगे चल रही थी। युवाओं की टोली के आगे जनजाति समाज के प्रमुख घोड़ों पर सवार होकर धर्म का पताका लहरा रहे थे। शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय परिसर से दोपहर 2 बजे महारैली शुरू हुई। महारैली जेल रोड, लोकेंद्र टॉकीज चौराहा, शहर सराय, धानमंडी, रानी जी का मंदिर, गणेश देवरी, बजाज खाना, तोपखाना, चांदनीचौक, चौमुखीपुल, घास बाजार, दौलत गंज, डालूमोदी बाजार, पैलेस रोड, महलवाड़ा, नगर निगम तिराहा से होते हुए शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय परिसर पहुंची। विभिन्न मार्गों पर महारैली का भाजपा पार्टी के अलग-अलग संगठनों के अलावा विभिन्न अन्य संस्थाओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय परिसर से महारैली की व्यवस्था संभालने में जनजाति सुरक्षा मंच के जिला संयोजक कैलाश वसुनिया, जिला मीडिया प्रभारी दीपक निनामा, सहसंयोजक कैलाश देवड़ा, प्रांत निधि प्रमुख रूपचंद मईड़ा, शहर संयोजक सुमित निनामा आदि ने विशेष भूमिका निभाई।

मूल जनजातियों का अधिकार छीन रहे धर्मांतरित

मालूम हो कि देश में 700 से अधिक जनजातियां हैं। इन जनजातियों के लोगों के विकास के लिए संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुवधिाओं का प्रावधान किया था। सुविधाओं का लाभ जनजातियों के स्थान पर वे लोग उठा रहे हैं जो अपनी जाति छोडक़र ईसाई या अन्य धर्म में परिवर्तित हो चुके हैं। दुर्भाग्यवश धर्मांतरित लोग मूल जनजातियों का अधिकांश अधिकार छीन रहे हैं।

महारैली के माध्यम से जनजाति सुरक्षा मंच की यह मांगे प्रमु

- अनुसूचित जनजाति सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि मांग के समर्थन में आवाज उठाएं। धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में से हटाने में मदद करें।

- राजनीतिक पार्टियां अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीट पर धर्मांतरित व्यक्ति को चुनाव के लिए टिकट नहीं दें।

- ग्राम पंचायत से लेकर सामाजिक पदों पर बैठे धर्मांतरित व्यक्तियों को बेनकाब करने के लिए अभियान चलाया जाए।

- जनजातिय वर्ग के लिए आरक्षित सरकारी नौकरियों को हथियाने वाले षडयंत्रकारी धर्मांतरित व्यक्तियों के खिलाफ पूरे देश में कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।

- धर्मांतरित लोगों को अनुसूचित जनजातिय की सूची से हटाकर उन्हें सभी प्रकार के संविधान अनुसार दिए जा रहे लाभ वापस लिए जाए।