रतलाम के सोहनगढ़ में खुलेगा मप्र का दूसरा व उज्जैन संभाग का पहला संस्कृत विद्यालय, 6ठी से 12वीं तक निःशुल्क पढ़ाई होगी, भूमि पूजन 6 जनवरी को
संस्कृत बोर्ड द्वारा रतलाम के सोहनगढ़ में 500 बेड का आवासीय संस्कृत स्कूल संचालित किया जाएगा। यहां कक्षा 6 से 12 तक की निःशुल्क पढ़ाई होगी।
500 सीटों का आवासी विद्यालय होगा, नवोदय विद्यालय की तर्ज पर होगी चयन परीक्षा
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिले के पिपलोदा तहसील के सोहनगढ़ में 500 सीट का आवासीय संस्कृत विद्यालय खुलेगा। यह मध्यप्रदेश का दूसरा और उज्जैन संभाग का पहला आवासीय संस्कृत विद्यालय होगा। इसका भूमिपूजन 6 जनवरी को होगा।
स्कूल का संचालन संस्कृत बोर्ड द्वारा किया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग म.प्र. के उपक्रम महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान को कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी द्वारा स्कूल निर्माण व संचालन के लिए सोहनगढ़ में 2.850 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। जल्द स्कूल भवन निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया होगी। जिले के लिए यह बड़ी सौगात साबित होगी। स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया केंद्रीय नवोदय विद्यालय की तरह होगी। संस्कृत बोर्ड से विद्यालय में सभी प्रकार की भाषाओं में पढ़ाई करवाई जाएगी। जावरा क्षेत्र में योग क्लब का गठन भी किया जाएगा।
पिपलौदा तहसील मुख्यालय से करीब 20 किली मीटर दूर ग्राम सोहनगढ़ में खुलने वाले इस आवासीय संस्कृत विद्यालय में कक्षा 6 से प्रवेश मिलेगा। यह 12वीं तक रहेगा और पूर्णतः निःशुल्क रहेगा। कला, वाणिज्य व विज्ञान समेत सभी विषयों की पढ़ाई संस्कृत भाषा में होगी। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान म.प्र. भोपाल के अध्यक्ष भरत बैरागी (राज्यमंत्री) ने बताया विद्यालय में 500 सीटें रहेंगी। पढ़ाई इसी वर्ष शुरू हो जाएगी। चाहे भवन बनकर तैयार हो या नहीं। भवन नहीं बनने पर किराये के भवन में स्कूल का संचालन किया जाएगा।
सभी जिलों में खुलेंगे विद्यालय
बैरागी ने बताया आने वाले सालों में हर जिले में एक-एक आवासीय विद्यालय खोलने की प्लानिंग भी मध्यप्रदेश सरकार कर रही है। मध्य प्रदेश का पहला संस्कृत स्कूल डिंडोरी में शुरू हो चुका है। इसी साल बड़वानी, शाजापुर व इंदौर खोले जाएंगे। अगले साल दतिया, सिरोंज और आलीराजपुर में भी खुलेंगे। इस तरह प्रदेश के सभी 52 जिलों में कार्य किया जाएगा और मांग ज्यादा होने पर 313 तहसील में संस्कृत विद्यालय खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। एक आवासीय संस्कृत विद्यालय भोपाल में भी संचालित है लेकिन वह केवल बालिकाओं के लिए है।
संस्कृतक में डिप्लोमा प्रदान करना भी प्रस्तावित
बैरागी ने बताया कि पहले तक्ष विश्वविद्यालय हुआ करता था। दैनिक जीवन व पद्धति को देखते हुए केरल में अधिकांश संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाता है। बैरागी के अनुसार हमारी टीम ने 7 हजार हायर सेकेंडरी स्कूल में योग क्लब का गठन किया है। बैरागी ने बताया कौशल विकास, भारतीय विद्या ओर कला, कौशल, कृषि, पर्यावरण, ट्रेंड शिक्षा के क्षेत्र में चिंता की जा रही है। हमारा लक्ष्य है कि नई शिक्षा नीति के तहत योग्य प्लेटफॉर्म में योग ओर आयुर्वेद, वासु जैसी शिक्षा मिल सके। ज्योतिष सेंटर, एमएसडब्ल्यू की शिक्षा नीति के तहत समरसता की नीति के तहत पढ़ाई करवाई जाएगी। संस्कृत भाषा में छोटे उधोग से संबंधित डिप्लोमा भी देंगे। इससे संस्कृत पढ़ने वाले अपनी योग्यता के आधार पर कार्य व रोजगार के साथ अपना कार्य भी कर सकेंगे।