तीर्थ स्थल ही रहेगा सम्मेद शिखर जी, केंद्र सरकार ने पर्यटन स्थल का दर्जा वापस लिया, जानें- झारखंड सरकार को क्या दिए निर्देश

सम्मेद शिखर जी तीर्थ स्थल ही रहेगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर यहां ईको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगा दी है।

तीर्थ स्थल ही रहेगा सम्मेद शिखर जी, केंद्र सरकार ने पर्यटन स्थल का दर्जा वापस लिया, जानें- झारखंड सरकार को क्या दिए निर्देश
सम्मेद शिखर जी पवित्र तीर्थ स्थल ही रहेगा।

भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (वन्य जीव प्रभाग) ने झारखंड सरकार को लिखा पत्र

एसीएन टाइम्स @ नई दिल्ली / रतलाम । केंद्र की मोदी सरकार ने झारखंड (Jharkhand) के 'सम्मेद शिखर जी' तीर्थ स्थल (Sammed Shikhar Ji) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर इस तीर्थ स्थल पर ईको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगा दी है। झारखंड सरकार को भेजे एक पत्र में मंत्रालय ने एक समिति गठित की है जो निगरानी रखेगी।

भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (वन्य जीव प्रभाग) द्वारा झारखंड सरकार को पत्र लिखा है। केंद्रीय वन महानिरीक्षक (वन्य जीव) रोहित तिवारी के हस्ताक्षर से झारखंड के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल. के. खियांग्टे (आईएएस) को लिखे पत्र में सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल ही रहने देने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से अवगत कराया गया है। 

आदेश में केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए 2019 की अधिसूचना पर राज्य को कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है। 2019 की अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाई गई है। पर्यटन, ईको पर्यटन गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने और झारखंड सरकार को  तत्काल इस पर आवश्यक कदम उठाने के लिए भी निर्देशित किया गया है।

जैन समुदाय व आदिवासी समुदाय के लोगों को लेकर बनेगी समिति

मंत्रालय द्वारा पारसनाथ वन्य जीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना को लेकर एक कमेटी भी गठित की गई है। इसके साथ ही राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है कि समिति में जैन समुदाय के दो सदस्यों और स्थानीय आदिवासी समुदाय से एक सदस्य को शामिल करना होगा। ईको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी के लिए स्थानीय समुदायों को भी शामिल किया जा सकेगा। यह समिति पर्यावरण, (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा की उप-धारा (3) के तहत उक्त अधिसूचना की के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी करेगी।

पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में नहीं हो सकती ये गतिविधियां

पत्र में बताया गया है कि पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है। इसके खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाना जरूरी है। इसमें पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की ब्किरा करना, तेज संगीत बजाना या लाउडस्पीकर का उपयोग करना, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के अपवित्र स्थल जैसे पवित्र स्रक, झीलें, चट्टानें, गुफाएं और मंदिर, हानिकारक वनस्पतियों या जीवों, पर्यावरण प्रदूषण के कारण जंगलों, जल निकायों, पौधों, जानवरों के लिए हानिकारक कार्य करना या ऐसे स्थलों की प्राकृतिक शांति को भंग करना, पालतू जानवरों के साथ आना, पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर अनधिकृत कैंपिंग और ट्रेकिंi आदि की अनुमति नहीं है। पत्र में राज्य सरकार को पर्वत क्षेत्र में शराब एवं मांसाहारी खाद्य वस्तुओं के विक्रय एवं उपभोग पर प्रतिबंध को भी कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए हैं।

पर्यटन क्षेत्र घोषित करने को लेकर हुआ विरोध

बता दें कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने को लेकर देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में भी इस मुद्दे को लेकर जैन समुदाय ने कई दिनों से आंदोलनरत है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, नर्मदापुरम, खंडवा, बालाघाट, रतलाम सहित कई जिलों में विरोध प्रदर्शन कर जैन समाज ने नारजगी जाहिर की। मामले में रतलाम विधायक चेतन्य काश्यप द्वारा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र भी लिखा था और बात भी की थी। इसके अलावा रतलाम के ही पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने मामले में सीधे तौर पर केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए पर्यटन स्थल बनाने का अध्याधेश वापस लेने की मांग की थी।