जन्मदिवस 13 जनवरी पर विशेष... प्रो. अजहर हाशमी : विद्यार्थियों के प्रेरणा पुंज, श्वेता नागर से जानें कि विद्यार्थी क्यों मानते हैं उन्हें अपना प्रेरणा पुंज

13 जनवरी को कवि, साहित्यकार एवं समालोचक प्रो. अज़हर हाशमी का जन्मदिवस है। प्रो. हाशमी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा पुंज हैं। उन्हें प्रेरणा पुंज क्यों कहा जाता है यह बता रही हैं लेखिका श्वेता नागर।

जन्मदिवस 13 जनवरी पर विशेष... प्रो. अजहर हाशमी : विद्यार्थियों के प्रेरणा पुंज, श्वेता नागर से जानें कि विद्यार्थी क्यों मानते हैं उन्हें अपना प्रेरणा पुंज
प्रो. अज़हर हाशमी (साहित्यकार, कवि एवं समालोचक)

-श्वेता नागर

पूजनीय हाशमी सर,

आप हमारे समस्त परिवार जनों के आदरणीय हैं..., बड़े-बुजुर्ग हैं... और पिता तुल्य भी...। आपको सादर चरण स्पर्श...।
....धन्य हैं हम जिन्हें आप जैसे महान व्यक्तित्व की छत्रछाया व सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ....।
यह रिश्ता ईश्वर की देन है जो खूबसूरत भी है... और अनमोल भी...। इसमें एक पिता की अपने बच्चों के प्रति चिंता और असीम स्नेह छिपा है... जो संबल देता है...।
...जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ या फिर कोई भी तीज त्यौहार हो... आपके आशीष वचन हमें ऊर्जा, सकारात्मक सोच व चुनौतियों का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते हैं...। ऐसा एहसास दिलाते हैं कि कोई शक्ति है जो सदैव हमारे साथ साए की तरह है...।
...समाज को दिशा देने वाली आपकी लेखनी हमारे लिए मार्गदर्शन और नई सोच का बीज अंकुरित करती है...।

...आप स्वस्थ रहें, आपका आशीर्वाद और सान्निध्य हम सभी परिवारजन पर बना रहे, यही ईश्वर से मंगलकामनाएं हैं...।

-एक विद्यार्थी

यह वॉट्सएप मैसेज भारतीय संस्कृति के अध्येता, गीता मनीषी और सर्व धर्म समभाव के प्रवक्ता श्रद्धेय प्रो. अज़हर हाशमी जी के प्रति अपने श्रद्धा भाव प्रकट करने के लिए (20/06/21) फादर्स-डे पर उनके एक विद्यार्थी ने मुझे भेजा था, ताकि मैं उनके इन पवित्र भावों को श्रद्धेय हाशमी जी तक पहुंचा दूँ। क्योंकि श्रद्धेय प्रो. अज़हर हाशमी जी मोबाइल फोन नहीं रखते हैं।

मैंने इस आलेख का प्रारंभ इस मैसेज के संदर्भ से इसलिए किया क्योंकि यह श्रद्धेय हाशमी जी के प्रति उनसे जुड़े उन सभी विद्यार्थियों और उनके परिवारों के श्रद्धा भाव को भी अभिव्यक्त  करता है।

नि:संदेह श्रद्धेय प्रो. अज़हर हाशमी जी से जो भी कभी जीवन में मिला होगा, वह उनकी आत्मीयता, अपनत्व और स्नेहपूर्ण आशीष को कभी नही भूल पाया होगा। जब वे वेद की ऋचाओं को बोलकर या जैन धर्म के नवकार मंत्र या कुरआन की आयतों या श्रीमद भगवद् गीता के श्लोक का उच्चारण अपने पवित्र कंठ से करते हुए शुभकामनाएं और आशीर्वाद देते हैं तो मानो ऐसा लगता है जैसे सकरात्मकता का ताबीज मिल गया हो। श्रद्धेय हाशमी जी ज्योतिषशास्त्र के ज्ञाता हैं और ज्योतिष को लेकर वर्तमान पीढ़ी में भी जिज्ञासा का भाव रहता है। इसलिए कई बार विद्यार्थियों के बीच उनकी लोकप्रियता का कारण ज्योतिष को समझ लिया जाता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी सही नहीं है।

विद्यार्थियों का उनके प्रति जो आदर और श्रद्धा भाव है उसका कारण उनकी वाणी और विचार है जो सकारात्मक ऊर्जा शक्ति से परिपूर्ण होते है जो कभी विद्यार्थियों को निराश नहीं होने देते। ज्योतिष को भी वे केवल ज्ञान के एक माध्यम की तरह लेते हैं और वे श्रीमद् भगवद् गीता के कर्म के सिद्धांत को ही अपना आदर्श मानते हैं। वे स्वयं भी सदैव अपने विद्यार्थियों को यही संदेश देते हैं कि- 'यदि वास्तव में समाज सेवा करना चाहते हो तो हमेशा ऐसी वाणी और शब्दों का प्रयोग करो जो किसी निराश व्यक्ति को आशा और उत्साह से भर दे, क्योंकि यह समाज को भी एकता और सौहार्द से जोड़ती है और समाज से नकारात्मकता को दूर करती है।'

मुझे इससे जुड़ा एक संस्मरण याद आ रहा है, जब मैंने श्रद्धेय हाशमी जी से एक बार पूछा था कि, "आप किसी के छोटे से कार्य की भी बार-बार प्रशंसा क्यों करते हैं?...क्यों दोहराते हैं? ...क्योंकि अगर आप एक बार भी कहेंगे तो भी सामने वाला सुन लेगा और समझ जायेगा।" तब उन्होंने हँसते हुए कहा था कि, "अगर ऐसा है तो फिर किसी के बारे में कुछ अच्छा कहा जाता है तो इंसान जल्दी क्यों भूल जाता है या फिर सुनता ही नहीं है और कुछ बुरा है तो उसे जल्दी सुन लेता है... और हमेशा याद रखता है। इसलिए मैं किसी के बारे में कोई अच्छी बात होती है तो बार-बार दोहराता हूँ। इसे मैं अपना नैतिक दायित्व समझता हूँ।"

ऐसे कईं संस्मरण हैं जो श्रद्धेय हाशमी जी के विराट व्यक्तित्व के अनुकरणीय पक्ष को रेखांकित करते हैं।

अपना सब कुछ समाज और राष्ट्र को समर्पित करने वाले श्रद्धेय हाशमी जी का एक स्वरूप समाज सेवक का भी है। वे अपने सेवा कार्यों का प्रचार-प्रसार नहीं करना चाहते। ऐसा इसलिए कि उनके सूफी पिता ने उनसे कहा था कि "कभी भी किसी जरूरतमंद की मदद करने के बाद फिर कभी उसके घर के सामने से गुजरना मत। क्या पता वह तुम्हें देखकर शर्मिंदा हो जाए।"
महान व्यक्तित्व श्रद्धेय प्रो. अज़हर हाशमी जी को उनके जन्मदिवस (13 जनवरी) पर सभी विद्यार्थियों की ओर से प्रणाम, शुभकामनाएं और बधाई।

श्वेता नागर

(लेखिका श्वेता  नागर भी प्रो. हाशमी की सुशिष्या हैं और लेखन के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं।)

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कोविड के कारण इस वर्ष नहीं होगा प्रो. हाशमी के जन्मदिन पर आयोजन

बता दें कि, चिंतक व वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. अज़हर हाशमी का जन्मदिन प्रतिवर्ष 13 जनवरी को विद्यार्थी परिवार द्वारा मनाया जाता है। कोविड गाइड लाइन के पालन के लिए इस वर्ष कार्यक्रम निरस्त किया गया है। विद्यार्थी परिवार के अध्यक्ष एडवोकेट सतीश त्रिपाठी के मुताबकि विद्यार्थी परिवार द्वारा 2003 से प्रो. हाशमी के जन्मदिन पर कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है। बीच में पठानकोट हमले, सुनामी व निर्भया हत्याकांड सहित समय-समय पर प्रो. हाशमी ने अपना जन्मदिन नहीं मनाया। इस वर्ष भी जन्मदिन का कार्यक्रम निरस्त किया गया है। त्रिपाठी के अनुसार शुभचिंतक उन्हें टेलीफोन पर शुभकामनाएं दे कर सकते हैं।