कमजोर दिल वाले वीडियो नहीं देखें : यह कोई रेस नहीं बल्कि स्कूल जाने के लिए जान हथेली पर लेकर फोरलेन पार करते मासूम बच्चे हैं
रतलाम जिले से गुजरने वाले लेबड़-नयागांव फोरलेन पर अब तक की सबसे भयावह और डरावनी स्थिति वाला वीडियो सामने आया है। इसमें मेवासा गांव के करीब 200 बच्चे रोज जान हथेली पर लेकर फोरलेन पार करते हैं।
जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते विद्यार्थियों के साथ बड़ा हादसे होने की आशंका में ग्रामीणों ने वीडियो बनाकर कलेक्टर को भेजा
ग्रामीण रोज ईश्वर से करते हैं अपने बच्चों की कुशलता की प्रार्थना, सातरुंडा हादसे के बाद ज्यादा बढ़ गई उनकी चिंता
एसीएन टाइम्स @ नामली । अगर आप कमजोर दिल के नहीं हैं तो यहां दिया वीडियो जरूर देखें। यह फोरलेन निर्माण के दौरान बरती गई लापरवाहियों, खामियों और अनदेखी की भयावह तस्वीर है। यह सीधे तौर पर किसी बड़े गंभीर हादसे को आमंत्रण भी है। पिछले दिनों सातरुंडा में हुए दिल दहला देने वाले हादसे के बाद से वीडियो में नजर आ रहे हालातों ने लोगों में अपने बच्चों की सुरक्षा की को लेकर चिंता और ज्यादा बढ़ा दी है।
यह वीडियो मप्र के रतलाम जिले के मेवासा गांव के बीच से गुजरने वाले लेबड़ - नयागांव फोरलेन का है। इसमें नजर आ रहे बच्चे किसी रेस का हिस्सा नहीं बल्कि इसी तरह वे रोज जान हथेली पर लेकर फोरलेन पार कर घर से स्कूल और फिर स्कूल से घर पहुंचते हैं। इन बच्चों की संख्या करीब 200 है जो रोज इसी तरह अपनी जान की परवाह किए बिना भविष्य संवारने के लिए सरकारी स्कूल जाते हैं।
रोज अपने ईष्ट से करते ही अपनी और बच्चों की सलामती की प्रार्थना
मेवासा की लगभग 2 हजार की आबादी रोज अपने-अपने ईष्ट से अपनी तथा अपने बच्चों की कुशलता की प्रार्थना करते हैं। इसकी वजह गांव को दो हिस्सों में बांटने वाले लेबड़-नयागांव फोरलेन है। एक तरह गांव का एक हिस्सा और दूसरी तरफ दूसरा हिस्सा है। इन दोनों ही हिस्सों की आबादी बराबर है यानि की करीब 1-1 हजार। इसी तरह गांव के एक तरफ मिडिल स्कूल है तो दूसरी तरफ प्राइमरी स्कूल। ग्रामीणों का कहना है कि जिस वक्त फोरलेन बन रहा था तब उन्होंने अंडर ब्रिज, सर्विस लेन सहित अन्य सुविधाओं की आवश्यकता जताई थी। तब जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। न तो सर्वे करने वालों ने ध्यान दिया और न ही निर्माण कंपनी के जिम्मेदारों ने इंसानियत दिखाई। जिले के जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी उदासीन बने रहे।
6 साल से कर रहे प्रयास, नहीं हो रही सुनवाई
पं. दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय समिति अध्यक्ष लाखन सिंह सिसौदिया ने एसीएन टाइम्स को बताया ग्रामीण 6 साल से समस्याओं के स्थायी समाधान की गुहार लगा रहे हैं। एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक और जिला पंचायत अध्यक्ष व विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी को पत्र भी लिख चुके हैं लेकिन अब तक निरीक्षण तक नहीं हुआ है। शायद सभी को मेवासा में भी सातरुंडा चौराहे की ही तरह किसी बड़े हादसे का इंतजार है।
दिनभर में 5 से 7 बार उठाते हैं जोखिम
सरपंच राजेंद्र सिंह सिसौदिया ने बताया ग्रामीणों और बच्चों को रोज दिन में 5 से 7 बार फोरलेन पार करने का जोखिम उठाना पड़ता है। ज्यादा दिक्कत बुजुर्गों, बच्चों व महिलाओं को होती है। बच्चों को स्कूल जाते समय फोरलेन के साथ ही उसके डिवाइडर व लोहे की रैलिंग भी पार करना पड़ती है जिससे कई बार वे चोटिल हो जाते हैं। अतः समस्या का स्थायी समाधान अत्यंत जरूरी है।
यह चाहते हैं ग्रामीण
- फोरलेन पर एक पाइंट है जहां अंधा मोड़ है जिसे सुधारा जाए।
- एक हिस्से से दूसरे हिस्से में आने-जाने के लिए अंडर ब्रिज बनाया जाए।
- फोरलेन के दोनों तरफ सर्विस लेन बनाई जाए। इसके लिए अगर अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता है तो हटाएं।
- फोरलेन पर गांव के आसपास पर्याप्त संकेत और सुरक्षा चिह्न लगाए जाएं।
- हादसों को टालने के लिए फोरलेन पर गांव के दोनों हिस्सों की तरफ स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं।
- पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था भी की जाए।
फोटो और वीडियो : हरीश चौहान (पत्रकार), नामली