सावधान ! ये डॉक्टर और अस्पताल फर्जी हैं... लाइसेंस मेडिकल स्टोर का और कर रहे थे मरीजों का इलाज, डॉक्टर होने का प्रमाण भी नहीं दे सके

राज्य शासन और कलेक्टर के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय जांच दल द्वारा की गई जांच में जिले में बिना डिग्री और पंजीयन के दो फर्जी अस्पताल चलते पाए गए हैं। दल ने जांच प्रतिवेदन सीएमएचओ को सौंपा है जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

सावधान  ! ये डॉक्टर और अस्पताल फर्जी हैं... लाइसेंस मेडिकल स्टोर का और कर रहे थे मरीजों का इलाज, डॉक्टर होने का प्रमाण भी नहीं दे सके
रतलाम में दो जगह चलते मिले भर्जी अस्पताल जहां फर्जी डॉक्टर कर रहे थे लोगों का इलाज।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । जिले में डॉक्टरी की डिग्री के बिना ही लोगों के उपचार की शिकायतें आए दिन सुनने को मिलती हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही थी। दिल्ली और भोपाल स्तर के अफसरों के साथ ही कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लिया तो विभागीय अमला हरकत में आया और जांच शुरू की। इसमें जिले और जिले से लगी सीमा के गांवों में दो फर्जी अस्पताल चलते पाए गए। जांच में यहां मेडिकल स्टोर संचालन के लिए तो लाइसेंस मिला लेकिन उपचार करने वाले व्यक्ति के पास डॉक्टर होने संबंधी डिग्री नहीं मिली। जांच दल ने दोनों ही स्थानों से बड़ी मात्रा में दवाइयां जब्त की हैं और पंचनामा भी बनाया है।

सीएमएचओ डॉ. एमएस सागर के अनुसार अवर सचिव भारत सरकार के निर्देश पर संचालक  विनियमन एवं नीति लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग भोपाल से निर्देश प्राप्त हुए थे। इसमें बताया गया था कि डॉ. एहसान अली एवं डॉ. अली हुसैन निवासी एवरिया जिला रतलाम के विरुद्ध फर्जी क्लीनिक एवं मेडिकल स्टोर संचालित किए जाने की शिकायत मिली है। अतः उसकी जांच कर तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। इस संबंध में जिला स्तरीय जांच दल डॉ. प्रणब मोदी, डॉ. राजेश मंडलोई, आशीष चौरसिया एवं पुष्करराज शर्मा आदि ने मलवासा गांव स्थित पटेल मेडिकल स्टोर एवं जनरल स्टोर पर दबिश दी। यहां जांच में संचालक के पास मेडिकल स्टोर संचालक का वैध लाइसेंस पाया गया।

नहीं दे सके डॉक्टर होने का प्रमाण, पंजीयन भी नहीं मिला

डॉक्टर सागर के अनुसार निरीक्षण के दौरान मेडिकल स्टोर के पीछे बने कक्ष में एहसान अली बिस्तर आधारित भर्ती व्यवस्था के आधार पर लोगों का उपचार करते हुए भी पाए गए। पूछताछ में एहसान अली ने जीएनएम ट्रेंनिंग का प्रमाण-पत्र होने की बात कही। वे स्वयं के चिकित्सक होने संबंधी कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सके। उनके पास मेडिकल काउंसिल ऑफ मध्य प्रदेश का चिकित्सा व्यवसाय संबंधी पंजीयन भी नहीं पाया गया।

यह भी अनियमितता मिली, FIR के लिए दिया आवेदन

निरीक्षण के दौरान कथित अस्पताल में बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम 2016 एवं 2018 नियम 4 का उल्लंघन होना पाया गया। इतना ही नहीं नर्सिंग होम एक्ट के प्रावधान अनुसार अस्पताल का वैधानिक पंजीयन नहीं होना पाया गया। जिला स्तरीय जांच दल ने उक्त कथित अस्पताल में उपलब्ध दवाइयां जब्त कर पंचनामा बनाया गया। मामले में नामली थाने में एफआईआर कराने संबंधी कार्रवाई की गई है।

जनसुनवाई में मिली थी शिकायत, कलेक्टर ने लिया संज्ञान

मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान आवेदक भेरूलाल ने कलेक्टर राजेश बाथम को शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि उनकी पत्नी जसोदा का उपचार जितेंद्र राजपूत निवासी नायन जिला रतलाम द्वारा किया गया था। लापरवाहीपूर्वक किए गए उपचार के कारण उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। इस पर कलेक्टर ने जनसुनवाई कक्ष से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सागर को कार्रवाई कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इस पर जिला स्तरीय जांच दल ने ग्राम नायन पहुंचकर निरीक्षण की गई किंतु जितेंद्र प्रजापति वहां नहीं मिले। तब भेरूलाल ने बताया कि वर्तमान में जितेंद्र प्रजापत ग्राम कनवास में मरीजों का इलाज करते हैं। इससे जांच दल ने कनवास भी पहुंचा जहां जितेंद्र प्रजापति द्वारा मेडिकल स्टोर का संचालन और पीछे के कक्ष में मरीजों को भर्ती कर इलाज करने के प्रमाण मिले। प्रजापत के पास मेडिकल स्टोर संचालन का तो लाइसेंस मिला लेकिन मरीजों के उपचार करने संबंधी वैधानिक लाइसेंस और दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके।

नारकोटिक्स एक्ट में आने वाली दवाओं का रिकॉर्ड भी नहीं मिला

जांच दल को मौके पर बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम 2016 संशोधित 2018 नियम 4 का उल्लंघन किया जाना और वेस्ट मटेरियल जला हुआ पाया गया। प्रजापति द्वारा नारकोटिक्स एक्ट के अंतर्गत चिन्हित दवाइयां भी विक्रय करने का रिकॉर्ड मेंटेन करना भी नहीं पाया गया। चूंकि कनवास गांव उज्जैन जिले की खाचरोद तहसील में आता है अतः पंचनामा बनाया गया है। दल द्वारा प्रतिवेदन सीएमएचओ रतलाम को सौंपा जाएगा जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।