यहां न अतिथि, न भाषण, न गुणगान, सिर्फ़ रचनात्मक संवाद होता है, तो आप भी 1 दिसंबर को चले आइये सुनें सुनाएं के 27वें सोपान पर

सुनें सुनाएं का 27वां सोपान 1 दिसंबर को आयोजित होगा। यही एकमात्र रचनात्मक और सृजनात्मक आयोजन है जहां औपचारिकताओं के लिए कोई जगह नहीं है। यह समयपालन की भी मिसाल है।

यहां न अतिथि, न भाषण, न गुणगान, सिर्फ़ रचनात्मक संवाद होता है, तो आप भी 1 दिसंबर को चले आइये सुनें सुनाएं के 27वें सोपान पर
सुनें सुनाएं का 27वां सोपान 1 दिसंबर को।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । ऐसा आयोजन जिसमें कोई भी अपनी रचना नहीं पढ़ता है। समय पर प्रारंभ हो कर समय पर आयोजन समाप्त हो जाता है। जो यहां आता है वह एक घंटे में रचनात्मक ऊर्जा, आत्मीय सरोकार और मिलन स्नेह से अभिभूत हो जाता है। जहां अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ किया जाता है। जहां भूमिका, भाषण, गुणगान  नहीं होता है। जहां कोई अतिथि नहीं होता सभी साथी होते हैं।

ऐसा आयोजन है - 'सुनें सुनाएं'। पिछले दो वर्ष से शहर में रचनात्मक गतिविधियों के लिए वातावरण बना रहे 'सुनें सुनाएं' का 27वां सोपान 1 दिसंब (रविवार) को सुबह 11 बजे जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हाल रतलाम पर होगा। इस आयोजन में अपने प्रिय रचनाकार की रचना पाठ करने के साथ विमर्श भी होगा। इस बार रचना पाठ करने वालों में नरेन्द्र सिंह डोडिया द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी की रचना 'हिन्दू तन-मन' का पाठ, सविता राठौर द्वारा आशा मिश्रा की रचना 'गुम हुए सामान' का पाठ, अनीस ख़ान द्वारा शायरों के अशआर 'ज़ाहिद शराब पीने दे' का पाठ, मधु परिहार द्वारा मैथिलीशरण गुप्त की रचना 'दीपदान' का पाठ किया जाएगा।

ओमप्रकाश मिश्र द्वारा साहिर लुधियानवी की रचना 'ताजमहल' का पाठ, सरिता दशोत्तर द्वारा दयालसिंह पंवार की रचना 'अपना हिन्दुस्तान कहां है' का पाठ, विष्णु बैरागी द्वारा बालकवि बैरागी की हास्य कविता 'लाली चाली सासरे' का पाठ, जी.जी. सिंह राठौर 'आम्बा' द्वारा गोपालदास 'नीरज' की रचना 'जीवन नहीं मरा करता है' का पाठ, विनोद झालानी द्वारा कवियों के चंद मुक्तक का पाठ, देवेन्द्र वाघेला द्वारा अज़हर हाशमी की रचना 'ओस की बून्द सी होती हैं बेटियां' का पाठ, रणजीत सिंह राठौर द्वारा श्याम माहेश्वरी की रचना 'बहस करो' का पाठ किया जाएगा। 'सुनें सुनाएं' ने शहर के सुधिजन से उपस्थिति का आग्रह किया है।