कागज पर उतरी कलमकार की वेदना मजबूत आंदोलन की तरह समस्या का समाधान बनती है

अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आजादी की वर्षगांठ के मौके पर काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कागज पर उतरी कलमकार की वेदना मजबूत आंदोलन की तरह समस्या का समाधान बनती है
अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आयोजित काव्यगोष्ठी के दौरान उपस्थित रचनाधर्मी।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद की रतलाम इकाई ने किया काव्यगोष्ठी का आयोजन

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रचनाकार देश के सभी स्वरूप घटनाक्रमों, जन-जन की पीड़ा को शब्दों में समाहित कर, सीमा का शस्त्रधारी प्रहरी बनकर, राष्ट्रीयता की भावना जन-जन तक पहुंचाता है। शब्दभेदी बाण और आजादी के दीवानों का दृढ़ संकल्प के बल पर भारत को आजादी मिली। कलमकार की वेदना जब कागज पर उतर कर आती है तो वह एक मजबूत आंदोलन बनकर किसी समस्या का समाधान बन जाती है।

ऐसी भावना से प्रेरित होकर अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आजादी की वर्षगांठ के पावन अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। श्री रेस्टोरेंट में काव्य गोष्ठी साहित्यिक मिलन समारोह के रूप में हुई। जुझारसिंह भाटी ने सरस्वती वंदना पढ़कर कार्यक्रम का आगाज किया। अकरम शेरानी ने शायराना अंदाज में तिरंगे को सलामी देते हुए मोहब्बत का पैगाम दिया। सुरेश माथुर, दिनेश बारोट (सरवन), रामचंद्र गहलोत ‘अंबर’, जुझार सिंह भाटी ने तिरंगे के मान सम्मान और स्वाभिमान की गाथा को अपने शब्दों में बांधते हुए गीत पेश किए। संजय परसाई, रामचंद्र फुहार, डॉ. मोहन परमार, गीता दुबे, सुभाष यादव भी काव्यपाठ किया।

योगिता राजपुरोहित ने पर्यावरण पर केंद्रित रचना में हवा में घूरते ज़हर एवं परिंदों के दर्द को बयां किया। सतीश जोशी ने अपनी प्रतिनिधि रचना ‘आमंत्रण’ सुनाई।  हरिशंकर भटनागर ने गीत सुनाया, वैदेही कोठारी, यशपाल सिंह तंवर, इंदु सिन्हा, प्रकाश हेमावत, मुकेश सोनी ने वर्तमान हालातों को लेकर विभिन्न पक्षों को अपनी रचनाओं के माध्यम से व्यक्त किया। संचालन हेमावत ने किया। आभार बारोट सरवन ने माना।