भगवान श्रीकृष्ण व माता तुलसी के विवाह में श्रद्धालु बने बराती, भजनों पर खूब झूमे, सर्वधर्म सम्मेलन में धर्मगुरुओं का हुआ सम्मान
गायत्री महायज्ञ के तहत भगवान श्री कृष्ण एवं तुलसी का विवाह और सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान धर्मगुरुओं का सम्मान भी हुआ। महायज्ञ का समापन रविवार को होगा।
विराट दीप यज्ञ से रोशन हुआ यज्ञ स्थल, 24 कुंडीय महायज्ञ का 15 जनवरी को होगा समापन
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अखिल भारतीय गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में शहर में चल रहे 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के दौरान तुलसी विवाह हुआ। ढोल-ढमाकों के साथ भगवान श्री कृष्ण और माता तुलसी की की बरात निकली तो बराती बने श्रद्धालु झूम उठे। बरात गायत्री महायज्ञ स्थल पहुंची तो वहां भी भक्तिरस बरस पड़ा। यहां शांतिकुंज हरिद्वार से आए यज्ञाचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह संपन्न कराया। शाम को दीप यज्ञ हुआ जिसमें रोशन दीपों से पंडाल जगमग हो उठा। सर्वधर्म सम्मेलन में धर्मगुरुओं का सम्मान किया गया। चार दिनी धार्मिक अनुष्ठान का समापन 15 जनवरी (रविवार) को होगा।
राजीव गांधी सिविक सेंटर स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास बनाए गई गायत्री महायज्ञ शाला में शांतिकुंज हरिद्वार से आए यज्ञाचार्य पं. जितेंद्र मिश्रा, सहायक बसंतीलाल सोलंकी, युग गायक प्रेमनाथ ध्रुव, युग वादक श्रवण कुमार, सारथी विवेकसिंह ने यज्ञ कराया। गायत्री मंत्रोच्चार के साथ भजन की प्रस्तुति से पंडाल धर्ममय हो गया। देव पूजन गायत्री परिवार मुख्य नगर ट्रस्टी पातीराम शर्मा, संगीता प्रकाश प्रभु राठौड़, अनिल झालानी आदि ने किया।
यज्ञ के बाद तुलसी विवाह हुआ। महायज्ञ शाला के बाहर से तुलसी की बारात निकाली गई। जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश प्रभु राठौड़ भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति और संगीता राठौड़ माता तुलसी (पौधे) को सिरोधार्य कर ढोल-ढमाकों के साथ यज्ञ स्थल पहुंचे। बारात के आगमन पर फूलों की वर्षा कर जोरदार स्वागत किया गया। इसके बाद तुलसी विवाह संपन्न कराया। संगीता राठौड़ द्वारा दो साल की गई साधना के दौरान सिद्ध गए रुद्राक्ष का वितरण भी राठौड़ परिवार ने किया। यज्ञ के साथ गुरुदीक्षा सहित अन्य संस्कार संपन्न हुए। रविवार 15 जनवरी को गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ विसर्जन, विदाई व समाज के अग्रजों का सम्मान किया जाएगा।
सफाई का विशेष रखा जा रहा ध्यान, छोटे-छोटे किंतु महत्वपूर्ण कार्य कर रहीं बहनें
शाम को गायज्ञी महायज्ञ स्थल पर बनाए यज्ञ कुंड सहित कुंड की क्यारियों के पर करीब 2500 दीप लगाए गए। प्रत्येक दीप पर संगीता राठौड़ ने रंग-रोगन किया है। गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ के विवेक चौधरी ने बताया कि प्रतिदिन यज्ञ पूर्ण होने के पश्चात गायत्री परिवार की बहनें यज्ञशाला की सफाई एवं अगले दिन के यज्ञ की तैयारियों में लग जाती हैं।
यज्ञ कुंड एवं यज्ञशाला की सफाई की जाती है। सफाई के बाद समिधा, घृत, पूजन सामग्री, इत्यादि की मात्रा चैक की जाती है। जो कम होता है उसे पूरा करके रख लिया जाता है। अगले दिन सुबह यज्ञ प्रारम्भ होने के पूर्व ही अभी सामग्री जमाकर रख दी जाती है। कलश को व्यवस्थित रखना, ज्वारों को जल से सींचना, पुराने पुष्पों एवं हार माला को बदलना जैसे छोटे छोटे किंतु महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न किए जाते हैं। गायत्री परिवार के महिला मंडल की बहनों द्वारा लगातार सेवा दी जा रही है।
पुस्तक मेले में आधे मूल्य में मिलेंगी पुस्तकें
गायत्री परिवार ट्रस्ट द्वारा अब विराट 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में लगाए गए युग साहित्य पुस्तक मेले में साहित्य आधे मूल्य पर उपलब्ध कराई जाएंगी। इस निर्णय लिए जाने के पूर्व समाजसेवी एवं गायत्री परिवार के सहयोगी अनिल झालानी के द्वारा विशेष घोषणा की। उन्होंने बताया सृजन कॉलेज के विद्यार्थी यज्ञस्थल के पुस्तक मेले से जितने मूल्य की पुस्तकें खरीदेंगे उन पुस्तकों का आधा मूल्य वे चुकाएंगे। उनका उद्देश्य यह है कि उनके कॉलेज के विद्यार्थी संस्कारवान एवं संवेदनशील बनें। गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित साहित्य के अध्ययन करने से कई लोगों को जीवन में प्रेरणा मिली है, सकारात्मक बदलाव आया है। इसलिए उन्होंने अपने छात्रों के भौतिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए तथा उन्हें प्रेरित करने के लिए यह पेशकश की।
सर्वधर्म सम्मेलन में हुआ धर्मगुरुओं का सम्मान
महायज्ञ के दौरान शाम को सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन कर धर्मगुरुओं का सम्मान किया गया। इस मौके पर मुख्य रूप से श्रृंगेरी मठ के स्वामी आत्मानंद सरस्वती, संत निरंकारी मंडल से राजकुमार गनवानी, अखंड आश्रम से महंत देवस्वरूप स्वामी, शहर काजी जनाब अहमद अली, भागवताचार्य ब्रह्मर्षि हेमंत कश्यप विशेष रूप से मौजूद रहे।
युवा प्रकोष्ठ के चौधरी ने बताया धर्मगुरुओं का स्वागत गायत्री परिवार नगर मुख्य ट्रस्टी पातीराम शर्मा व एमएम साहू सहित अन्य ने किया। धर्मगुरुओं ने वर्तमान समय की आवश्यकता के रूप में मानवीयता, संवेदनशीलता तथा परस्पर सहयोग, समन्वय के बारे में विस्तार संबोधित कर धर्म के प्रति अलख जगाई। साथ ही गायत्री परिवार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। इस दौरान धर्मगुरुओं का तिलक लगाकर दुपट्टे से स्वागत किया गया। युग साहित्य भी भेंट किया। सभी आयोजनों का संचालन विकास शैवाल ने किया।