रचनात्मक आनंदोत्सव : समाज की बेहतरी और मनुष्यता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध आयोजन है सुनें सुनाएं, 24वें सोपान में पढ़ी गईं कभी बूढ़ी नहीं होने वाली रचनाएं

रचनात्मकता का भाव जागृत करने के लिए शुरू किए गए सुनें सुनाएं का 24वां सोपान आनंदोत्सव के साथ संपन्न हुआ। इसमें रचनाधर्मियों ने कभी भी बूढ़ी नहीं होने वाली रचनाओं का पाठ किया।

रचनात्मक आनंदोत्सव : समाज की बेहतरी और मनुष्यता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध आयोजन है सुनें सुनाएं, 24वें सोपान में पढ़ी गईं कभी बूढ़ी नहीं होने वाली रचनाएं
सुनें सुनाएं 24 में पढ़ी गईं कभी भी बूढ़ी नहीं होने वाली रचनाएं।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । मनुष्यता पर आए ख़तरे से सारी दुनिया चिन्तित है। हर कोई मानवता की और समाज की बेहतरी के लिए यथा जतन कर रहा है। सुनें सुनाएं में चयनित रचनाएं भी इन्हीं कोशिशों का हिस्सा हैं। आयोजन में चयनित रचनाएं समाज की बेहतरी और मनुष्यता की रक्षा के लिए खुद को प्रतिबद्ध करती हैं।

उक्त विचार सुनें सुनाएं के 24वें सोपान में उभर कर सामने आए। दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस बार मुख्य सोपान के साथ अन्य रचनाओं का पाठ भी किया गया। इस आनंद उत्सव में शहर के बुद्धिजीवियों ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया और आयोजन को सार्थक करते हुए यह विश्वास जताया कि रचनाएं कभी बूढ़ी नहीं होतीं। न वे थकती हैं। न उन्हें झुर्रियां पड़ती हैं। उनकी ऊर्जा और क्षमता में कोई कमी नहीं आती। सृजन के पहले क्षण में जैसी आती हैं, आजीवन वैसी की वैसी बनी रहती हैं।

इन्होंने किया रचना पाठ

मीनू की ढाणी पर हुए आयोजन में सर्वप्रथम सुनें-सुनाएं के सदस्यों द्वारा पद्मश्री डॉ. लीला जोशी को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका अभिनंदन किया गया। तत्पश्चात रचनाधर्मियों द्वारा अपनी प्रिय रचनाओं का पाठ किया गया। आगाज़ अशोक कुमार शर्मा ने राहत इन्दौरी की रचना 'लोग हर मोड़ पर' का पाठ कर किया। इसके बाद रीता दीक्षित द्वारा रामधारी सिंह 'दिनकर' की रचना ’कोई अर्थ नहीं’ का पाठ, अनीस ख़ान द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना 'क्या फ़र्क पड़ता है' का पाठ, महावीर वर्मा द्वारा मोहित कटारिया की रचना 'ओ किस्सागो' का पाठ किया गया। वहीं जयवंत गुप्ते ने भरत व्यास की रचना 'हरी-हरी वसुन्धरा', कीर्ति कुमार शर्मा ने प्राण वल्लभ गुप्त की रचना 'धरती का है ब्याह, बाराती बादल आए', नूतन मजावदिया ने डॉ. आगम भटनागर की रचना 'किसलिए चुप बैठे हो तुम', डॉ. गायत्री तिवारी ने गोपाल दास 'नीरज' की रचना 'मैं पीड़ा का राजकुंवर हूं', राजीव पंडित ने डॉ. जयकुमार 'जलज' की रचना 'प्यार लो विद्यार्थियों मेरे', नरेन्द्र सिंह पंवार ने डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला की रचना 'दरवाज़ा खोलो जहांपनाह' का पाठ किया।

आनंदोत्सव ने दो गुना किया आनंद

सुनें सुनाएं के 24 सोपान पूरे होने पर सदस्यों की मंशानुरू आनंदोत्सव का आयोजन भी किया गया। आनंदोत्सव पर प्रकाश विनोद झालानी ने डाला जबकि सूत्रधार की भूमिका नरेंद्र सिंह डोडिया ने निभाई। आनंदोत्सव ने रचनात्मक आयोजन सुनें सुनाएं के आनंद को दो गुना कर दिया। इसमें सदस्यों ने अपनी स्वरचित रचनाएं भी प्रस्तुत कीं। इस मौके पर प्रो. प्रदीप सिंह राव दिवंगत उद्योगपति एवं समाजसेवी स्व. टेहम्पटन अंकलेसरिया पर आधारित आगामी पुस्तक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तकों के विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि में उनती ही राशि और मिला कर जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाने के अपने मिशन की जानकारी दी।

सुनें सुनाएं द्वारा आयोजित आनन्द उत्सव में सुनें सुनाएँ के सक्रिय सदस्य की तरह ही मीनू की ढाणी के संचालक माथुर साहब एवं उनके सुपुत्र ने सहयोग प्रदान किया। इसके लिए उनके प्रति आभार आनन्द उत्सव के संयोजक द्वय विनोद झालानी एवं नरेन्द्रसिंह डोडिया द्वारा प्रकट किया गया। 

इनका सहयोग रहा

आयोजन को सार्थक बनाने में रवि बोथरा, ललित चौरड़िया, आई. एन. पुरोहित, दिनेश जोशी, श्रीराम दिवे, नरेंद्र त्रिवेदी, अशोक दीक्षित, गोविंद काकानी, डॉ.  प्रदीप सिंह राव, रजनी व्यास, सुरेंद्र सिंह कोठारी, हरेंद्र सिंह कोठारी, जितेंद्र सिंह "पथिक", जमीर फारुकी, सुभाष यादव, प्रतीक यादव, प्रो. रतन चौहान, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, कीर्ति कुमार शर्मा, श्याम सुंदर भाटी, प्रकाश गंगराड़े, पं. मुस्तफा आरिफ, डॉ. गीता दुबे, डॉ. गायत्री तिवारी, अशोक शर्मा, अनीता शर्मा, मुकेश पुरी गोस्वामी, कविता व्यास, एच. एस. मंसूरी, अलक्षेंद्र व्यास, प्रो. अभय पाठक, विष्णु बैरागी, जयवंत गुप्ते, महावीर वर्मा, विजय सिंह रघुवंशी, मयूर व्यास, दिनेश राजपुरोहित, ओमप्रकाश मिश्र, सुमति पांडेय, नरेंद्र सिंह पंवार, दुर्गेश सुरोलिया, डॉ. श्वेता विंचुरकर, डॉ. दीप व्यास, डॉ. नरेंद्र कुमार गुप्ता, राकेश पोरवाल, संजय कोटिया, रणजीत सिंह राठौड़, नरेंद्र सिंह डोडिया, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, भावेश ताटके, नीरज कुमार शुक्ला, स्मिता शुक्ला, अनंत शुक्ला, जी. एस. खींची, प्रकाश मेहता, दिनेश कटारिया, इंदु सिंन्हा, अनीता दासानी, विनोद झालानी, प्रकाश हेमावत, लक्ष्मण पाठक सहित सुनें सुनाएं के साथियों का सहयोग रहा।

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