ये हैं शिक्षा के रत्न : चरित्र-निर्माण और प्रगति के लिए शिक्षक और समाज की सम्मिलित भूमिका सर्वोपरि है- डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला
शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर पोरवाल समाज के शिक्षकों को शिक्षा के रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शिक्षकों के प्रति सम्मान का भाव सामाजिक चेतना का ही विषय है। पोरवाल समाज के बंधुओं ने शिक्षकों का सम्मान कर जो दायित्व निभाया है, वह केवल प्रशंसनीय ही नहीं है, अपितु अन्य सामाजिक संस्थाओं के लिए भी प्रेरणादायी है। युवा पीढ़ी में जीवन-मूल्यों का सृजन शिक्षक और समाज, दोनों मिलकर ही कर सकते हैं। चरित्र-निर्माण और प्रगति के लिए शिक्षक और समाज की सम्मिलित भूमिका सर्वोपरि है। पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन ने इसी विचार को आगे बढ़ाया था।
यह बात साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने शिक्षक दिवस (5 सितंबर) की पूर्व संध्या पर जिला शिक्षा केंद्र परिसर में पोरवाल समाज के शिक्षकों को सम्मानित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है, जब शिक्षक को समाज का नेतृत्व करना चाहिए। जब तक शिक्षक को सक्षम नहीं बनाया जाएगा, और उसके पद की गरिमा नहीं लौटाई जाएगी, तब तक सामाजिक उन्नति सम्भव दिखाई नहीं देती। शिक्षक दिवस की सार्थकता भी यही है, कि समाज सुयोग्य शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर भविष्य की नींव मजबूत करे।
ये हुए शिक्षा के रत्न अवॉर्ड से स्मानित
डॉ. चांदनीवाला ने समाज के शिक्षक डॉ. नरेंद्र कुमार गुप्ता, ममता गुप्ता, पूर्णिमा फरक्या, डॉ. दिव्या पोरवाल, अरविंद सेठिया, निखिल पोरवाल, धर्मेंद्र गुप्ता व प्रवीण फरक्या आदि को स्व. रामचंद्र-मीना पोरवाल स्मृति "शिक्षा के रत्न" अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
डॉ. राधाकृष्णन की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
इससे पूर्व सर्वप्रथम मुख्य अतिथि डॉ. चांदनीवाला, पोरवाल सोशल ग्रुप के अध्यक्ष सुनील पोरवाल भगत, युवाम संचालक धर्मेंद्र मंडवारिया, कार्यक्रम संयोजक राकेश पोरवाल एवं मेहंदीकुई बालाजी मंदिर ट्रस्ट सचिव संजय दलाल ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। समारोह में विकास पोरवाल, निर्मला धनोतिया, सुनील पोरवाल, उमंग पोरवाल सहित समाजजन मौजूद रहे। संचालन राकेश पोरवाल ने किया। आभार सुनील पोरवाल ने माना।