साहित्य विमर्श : 'सुनें - सुनाएं' का पंद्रहवां सोपान 3 दिसंबर को, दस रचनाधर्मी पढ़ेंगे अपनी प्रिय रचना
रचनात्मक वातावरण बनाने के लिए सुनें-सुनाएं का 15वां सोपान 3 दिसंबर (रविवार को होगा) इसमें 10 साथी अपनी प्रिय रचना प्रस्तुत करेंगे।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर में रचनात्मक वातावरण बनाने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए 'सुनें - सुनाएं' आयोजन का पंद्रहवां सोपान 3 दिसंबर (रविवार) को होगा। सुबह 11 बजे जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल प्रथम तल, रतलाम पर होने वाले आयोजन में दस साथी अपनी प्रिय रचना का पाठ करेंगे।
इस आयोजन में नरेंद्र त्रिवेदी द्वारा डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' की रचना 'जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला' का पाठ, जी. एस. खींची द्वारा कृष्ण बिहारी 'नूर की रचना 'तमाम जिस्म ही घायल था' एवं पं. मुस्तफा आरिफ द्वारा पीरूलाल 'बादल' की रचना 'थारी छाणी-छाणी वात' का पाठ किया जाएगा। इसी तरह कैलाश वशिष्ठ जुझार सिंह भाटी की रचना 'मुझको रिझाती है तेरी बिदियां', अनीस खान शकील आज़मी की रचना 'दर्द की रात है', संजय शर्मा डॉ. हरिवंश राय 'बच्चन' की रचना 'अग्निपथ' का पाठ करेंगे।
विक्रांत भट्ट द्वारा विष्णु खरे की रचना 'तरमीम' का पाठ, सान्त्वना शुक्ला द्वारा डॉ. संजय 'मधुप' की रचना "दीप" का पाठ, ललित चौरड़िया द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना 'अपनी कमियों को' का पाठ, श्याम सुंदर भाटी द्वारा सुरेन्द्र शर्मा की रचना 'रै काडू आग्या रै' का पाठ किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में कोई भी व्यक्ति अपनी रचना का पाठ नहीं करता है। प्रस्तुतकर्ता अपने प्रिय रचनाकार की रचना का बिना किसी भूमिका के पाठ करते हैं। 'सुनें - सुनाएं' ने शहर के सृजनशील साथियों से उपस्थिति का आग्रह किया है।