विचार, व्यवहार और संस्कार से परिपूर्ण थी जय किरण स्मृति संस्थान के संस्थापक स्व. मांगीलाल यादव की शख़्सियत

साहित्यकार एवं जय किरण स्मृति संस्थान के संस्थापक स्व. मांगीलाल यादव की स्मृतियों को ताजा करने के लिए स्मरण सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

विचार, व्यवहार और संस्कार से परिपूर्ण थी जय किरण स्मृति संस्थान के संस्थापक स्व. मांगीलाल यादव की शख़्सियत
स्मरण सभा में स्व. मांगीलाल यादव के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते वक्ता।

स्मरण सभा में वक्ताओं ने मांगीलाल यादव को याद किया

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । कोई व्यक्ति अपने विचार से समाज को अच्छाइयां प्रदान करे, अपने व्यवहार से सभी के साथ क़दम मिलाकर चले और अपने संस्कारों से परिवार और समाज की भलाई का प्रयास करे, तो ऐसा व्यक्तित्व विलक्षण होता है। मांगीलाल यादव ने अपने जीवन में ऐसी ही कई विशेषताओं को आत्मसात कर रखा था, जिसके कारण उनके मित्र हर विचारधारा, हर वर्ग और हर समाज से थे। उनका स्मरण हमारे शहर की एक महत्वपूर्ण परंपरा का स्मरण है।

उक्त विचार क्रांतिकारी विचारों के अध्येता एवं जय किरण स्मृति संस्थान के संस्थापक रहे स्व. मांगीलाल यादव की स्मरण सभा में वक्ताओं ने व्यक्त किए। सजन प्रभा सभागार में आयोजित स्मरण सभा में उपस्थित जनों ने न सिर्फ़ यादव के कार्यों का उल्लेख किया, बल्कि उनके साथ बिताए पलों को यादगार भी निरूपित किया। सिद्दीक़ रतलामी ने कहा कि यादव जी के व्यक्तित्व में बड़प्पन था, वे सभी से मित्रवत व्यवहार करते थे। उनके जीवन के हर पहलू में कोई न कोई भली बात नज़र आती थी।

प्रो. विजय वाते ने यादव के साथ बिताए पलों का भावुकता से स्मरण करते हुए कहा कि वे ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मुझे कई भलाइयों से परिचित कराया। सही मार्ग पर चलना सिखाया और बुराई से दूर रखने का प्रयास किया। प्रो. रतन चौहान ने कहा कि यादव जी मनुष्यता के पैरोकार थे। वे रचनात्मक कार्य के साथ इंसानियत का पैग़ाम भी दिया करते थे। उनके यहां सभी का एकत्र होना और रचनात्मक वातावरण बनना साबित करता है कि वे साहित्य के प्रति समर्पित थे।

अच्छे और बुरे की पहचान कराने वाले मार्गदर्शक

डॉ. दिनेश जोशी ने कहा कि यादव जी का हर कार्य योजनाबद्ध हुआ करता था। वे किसी भी कार्य को करने से पूर्व उस पर गहन मंथन करते थे। महेश दशोत्तर ने कहा कि यादव जी न सिर्फ एक अच्छे मित्र थे बल्कि अच्छे और बुरे की पहचान कराने वाले मार्गदर्शक भी थे। अब्दुल सलाम खोकर ने कहा कि वे न सिर्फ़ हिंदुस्तान बल्कि अरब के विद्वानों को भी खूब पढ़ चुके थे और उनके जीवन की बातों को दोहरा कर सभी का ज्ञानवर्धन किया करते थे।

सभी के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने वाले इंसान का न रहना व्यक्तिगत क्षवि

आशीष दशोत्तर ने कहा कि यादव जी के रहने से एक भले इंसान की अनुभूति हमारे बीच मौजूद थी। एक ऐसा इंसान जिसने सभी को समान दृष्टि से देखा और सभी के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की ऐसे इंसान का न रहना हमारे लिए व्यक्तिगत क्षति है। विचारक एवं एलआईसी अभिकर्ता विष्णु बैरागी ने कहा कि एक व्यक्ति के स्मरण के लिए इतने लोगों का एकत्रित होना ही यह साबित करता है कि यादव जी का व्यावहारिक पक्ष बहुत मज़बूत था और सभी के साथ उनके आत्मीय संबंध थे।

यादव की स्मृति चिरस्थायी बुनाने के लिए हर साल हो आयोजन

स्मरण सभा में श्रेणिक बाफना ने कहा कि यादव जी का जीवन आमजन के लिए समर्पित रहा और उन्हीं के लिए उन्होंने सदैव कार्य किए। पारस सकलेचा ने कहा कि श्री यादव की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए प्रतिवर्ष उनकी स्मृति में कोई कार्यक्रम शहर में किया जाना चाहिए। त्रिभुवनेश भारद्वाज ने यादव द्वारा किए कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि मनुष्यता की बात करने वाले ऐसे व्यक्ति सदैव दिलों में कायम रहते हैं। महेश अग्रवाल ने यादव के पुस्तक प्रेम को प्रभावी बताते हुए उनसे प्रेरित होने का उल्लेख किया। नरेंद्र सिंह पवांर ने कहा कि श्री यादव जीने रतलाम शहर को जो महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान किया है उसे आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है।

बेटियों के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की प्रारण 

नवनिर्वाचित पार्षद सलीम बागवान ने यादव की कौमी एकता संबंधी उल्लेखनीय बातों की चर्चा की। रणजीत सिंह राठौर ने कहा कि यादव भगत सिंह के जीवन दर्शन को बहुत गहराई से समझते थे। मोड़ीराम सोलंकी ने कहा बेटियों के लिए आयोजित कार्यक्रमों की प्रेरणा उन्हें यादव से ही मिली थी। स्मरण सभा में उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचारों से यादव जी के सद्कार्यों को याद किया। संचालन आशीष दशोत्तर ने किया। आभार प्रदर्शन विष्णु बैरागी ने किया। स्मरण सभा में यादव के मित्र, परिजन एवं परिवार के सदस्य मौजूद थे।