प्रज्ञावान-प्रज्ञा योग प्राणायाम एवं ध्यान शिविर में शिवरार्थियों ने किया ध्यान योग
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । मन जैसा कुछ होता ही नहीं है। मन मात्र विचारों का गठबंधन है। विचार बिना मन का कोई अस्तित्व ही नहीं है। इसलिए विचार बंद होते हैं तो मन का अंत हो जाता है। मन को समझने का एक मात्र जरिया होता है, ध्यान। ध्यान भी कुछ देर करना नहीं है, अपितु हर क्षण ध्यानमय होना है।
यह विचार डेन्टल सर्जन एवं योग प्रशिक्षिका डॉ. प्रज्ञा पुरोहित ने राजेन्द्र नगर स्थित सूभेदार आईएमए हाल में व्यक्ति किए। वे डॉ. अरुण पुरोहित मित्र मंडल एवं सर्व ब्राहम्ण महासभा द्वारा आयोजित प्रज्ञावान-प्रज्ञा योग प्राणायाम एवं ध्यान शिविर की संध्या में ध्यान योग कराते हुए व्यक्त किए |
डॉ. प्रज्ञा ने शिविरार्थियों को ध्यान साधना की जानकारी देते हुए कहा कि जीवन के आनंदमय कोष तक पहुंचने हेतु पहले शरीर और मन पर विजय पाना अनिवार्य है। डॉ. प्रज्ञा के अनुसार व्यक्ति जहां हैं, वहीं पूर्णतः होना ही ध्यान है। वास्तव में हम जहां होते हैं, वहां हम होते ही नहीं हैं| इसलिए जिस दिन हम ये सीख जाएंगे, उस दिन जीवन को जीयेंगे, काटेंगे नहीं।
मन और तन पर विजय पाने की बताएंगे विधियां
उन्होंने कहा कि शिविर के आने वाले दिनों में कैसे इस शरीर तथा मन पर विजय पा सकते हैं तथा आत्मा का आभास कैसे किया जाए, उसके लिए अलग-अलग ध्यान की विधियां बताई जाएंगी। आरम्भ में पंडित अजय जोशी ने डॉ. प्रज्ञा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। सोमवार सुबह योग शिविर में घुटनों के दर्द और ब्लड शुगर नियंत्रित करने के उपाय बताए गए|