रतलाम गजब है ! SIR और बेहतर परीक्षा परिणाम का तनाव झेल रहे शिक्षकों को मिली सजा, कलेक्टर का अल्टीमेटम हवा में उड़ाने वाले अफसरों ने रोक दिया वेतन
रतलाम में SIR को सफल बनाने में मुस्तैदी से जुटे हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों के हिस्से मायूसी आई है। पांच माह से बीआरसी, बीएसी और सीएसी की काउंसलिंग की फाइलें दबा कर बैठे जिम्मेदारों ने उनका वेतन ही रोक दिया है।
5 माह से धूल खा रहीं BRC, BAC व CAC की काउंसलिंग की फाइलें
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । चुनाव आयोग के निर्देश पर 4 नवंबर से पूरे मध्य प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चल रहा है। इसमें जिले के हजारों कर्मचारियों ने दिन-रात मेहनत कर 90% तक काम पूरा भी कर दिया जिसमें शिक्षक भी शामिल हैं। छह माही परीक्षा की तैयारी, शिक्षण कार्य और फाइनल परीक्षा में बेहतर परिणाम का बोझ उठाए इन शिक्षकों को पुरस्कार मिलने तो दूर, जिले के शिक्षा विभाग ने उनका नवंबर माह का वेतन ही रोक दिया है। ये वही अफसर हैं जिनके पास शिक्षा व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए बीआरसी, बीएसी और सीएसी (जनिक्षकों) की काउंसलिंग करने तक समय नहीं है। ये अफसर काउंसलिंग को लेकर कलेक्टर द्वारा दिया गया निर्देश और अल्टीमेटम तक डकार गए हैं।
SIR के लगे कई बीएलओ की मौत की घटनाओं के बावजूद रतलाम जिले के कर्मचारियों ने अपना दायित्व निभाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। भारत निर्वाचन आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी के हर आदेश को सिर-आंखों पर रख मतदाता सूचियों के गहन पुनरीक्षण का कार्य शिद्दत के साथ किया। सबसे ज्यादा तनाव लेकर शिक्षा से जुड़ा अमला काम करते नजर आया। उन पर SIR का काम तो पूरा करने की जिम्मेदारी है ही, परीक्षा परिणाम न बिगड़े इसका भी दबाव है। सभी शिक्षकों को उम्मीद थी कि यह दोहरी जिम्मेदारी निभाने के लिए पुरस्कार भले ही न मिले, वरिष्ठ पीठ तो थपथाप ही सकते हैं, लेकिन उनकी उम्मीद एक अफसर के मौखिक आदेश के चलते काफूर हो गई।
काम का दबाव झेल रहे 9 हजार शिक्षक अब आर्थिक संकट में
यह नाउम्मीदी पिछले दिनों जिला शिक्षा अधिकारी अनीता सागर द्वारा जारी एक आदेश से मिली है। इसमें ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं करवाने वाले सभी शिक्षकों का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह आदेश जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी वैशाली जैन के कथित मौखिक आदेश के चलते जारी किया गया है। वेतन रोकने के इस आदेश के चलते जिले के करीब 9 हजार शिक्षक प्रभावित हुए हैं। इनमें से कई शिक्षक वे हैं जो विगत 6 महीने से बीआरसी, बीएसी और जनशिक्षकों की काउंसलिंग होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि शिक्षण व्यवस्था सुचारू रुप से चल सके और खामियां दूर हो सकें। इन शिक्षकों में ऐसे पदों के दावेदार तो हैं ही, वे शिक्षक भी शामिल हैं जिन्हें काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने से उन पर पड़ रहा काम का दबाव भी दूर हो सकता है।
सिविल स्कोर खराब होने का बढ़ा खतरा
वेतन रोके जाने से जिले के कर्मचारियों में जबरदस्त रोष है। आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार गोंड़ के अनुसार अधितर शिक्षकों पर कोई न कोई ऋण है। इसकी मासिक किस्त हर महीने 5 से 10 तारीख तक कटती है। वेतन नहीं मिलने से शिक्षकों का डिफाल्टर होना तय है और इससे उनका सिविल स्कोर खराब होने का खतरा भी बढ़ गया है। गोंड़ के अनुसार वेतन रुकने और ईएमआई नहीं भर पाने के कारण शिक्षकों पर भारी मानसिक तनाव है। यह विचारणीय यह भी है कि वेतन रोकने की कोई वैधानिक वजह भी नहीं है।
कलेक्टर का अल्टीमेटम भी हो गया हवा
आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के संभाग अध्यक्ष प्रकाश शुक्ला ने भी वेतन रोके जाने पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उनका कहना है कि किसी भी अन्य विभाग के कर्मचारियों की अपेक्षा शिक्षक सबसे ज्यादा सॉफ्ट टार्गेट रहता है जिस पर कोई भी जब चाहे अपनी ताकत दिखा सकता है। शुक्ला के अनुसार जो जिला पंचायत सीईओ पांच-छह माह से अटकी बीआरसी, बीएसी और सीएसी (जनशिक्षक) की काउंसलिंग करवाने का समय नहीं है, उनके सिर्फ मौखिक आदेश से बिना किसी वैधानिक कारण के जिलेभर के हजारों शिक्षकों का वेतन रोकना समझ से परे है। बता दें कि, विभाग की समीक्षा बैठक केक दौरान कलेक्टर मिशा सिंह ने कॉउंसलिंग प्रक्रिया पूरी करने के लिए 31 अक्टूबर 2025 तक का अल्टीमेटम दिया था लेकिन जिला पंचायत और जिला शिक्षा केंद्र के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारियों ने उनके आदेश को भी हवा में उड़ा दिया।
...तो करेंगे आंदोलन
संभाग अध्यक्ष शुक्ला ने कहा है कि यदि सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन भुगतान 5 दिसंबर तक नहीं होता है तो आजाद अध्यापक शिक्षक संघ आंदोलन के लिए विवश होगा। इतना ही नहीं, संगठन द्वारा ऐसे तुगलकी फरमान और निर्णय के विरुद्ध न्यायालय की शरण भी ली जाएगी और उसमें संबंधित अधिकारियों को पक्षकार बनाया जाएगा।
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