कांग्रेस की नई गाइडलाइन बनी गले की हड्डी, शहर अध्यक्ष के परिजन सहित कई पार्षदों व दबंग नेताओं के टिकट संकट में, पदाधिकारियों ने साधी चुप्पी
जैसे-जैसे नाम निर्देशन पत्र जमा कराने की आखिरी तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे कांग्रेस के दावेदारों की धड़कने तेज हो रही हैं। कांग्रेस अभी तक रतलाम के लिए महापौर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। इसके साथ प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ द्वारा जारी पार्षद पद के टिकट की नई गाइडालइन ने यहां दावेदारों को संकट में डाल दिया है। इससे अंदर ही अंदर आक्रोश पनप रहा है।
आरक्षण के कारण दूसरे वार्डों से दावेदारी करने वालों की बढ़ी मुसीबत, अंदर ही अंदर पनप रहा आक्रोश
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के फरमान ने नगरी निकाय चुनाव के पार्षद पद के दावेदारों की मुसीबत बढ़ा दी है। जिस वार्ड की मतदाता सूची में नाम वहीं से टिकट देने की नई गाइडलाइन ने आम कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष और कई पूर्व पार्षदों की दावेदारी को खतरे में डाल दिया है। प्रभावित होने वाले दबी जुबान में यह कहते सुने जा सकते हैं कि हाईकमान ने पार्टी मजबूत करने की रणनीति बनाई है या फिर कमजोर करने की।
दो दिन पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने एक आदेश जारी किया। यह प्रदेश के उन सभी अध्यक्षों को जारी किया गया है जहां-जहां नगरीय निकाय चुनाव होने हैं। इसमें साफ कहा गया है कि कांग्रेस द्वारा उसी वार्ड से पार्षद का टिकट दिया जाएगा जहां की मतदाता सूची में उनका नाम हैं। इस गाइडलाइन के पीछे प्रदेश अध्यक्ष की मंशा सक्षम नेताओं के अन्य वार्डों में जाकर लड़ने पर रोक लगाने और वहां रहने वाले कार्यकर्ताओं को पर्याप्त अवसर प्रदान करना है। प्रदेश अध्यक्ष का यह आदेश उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा जो आरक्षण के फेर में उलझने से अपने-अपने वार्डों से चुनाव लड़ पाने की स्थिति में नहीं है।
वार्डों के नए सिरे से हुए आरण के कारण कई पूर्व पार्षद और पदाधिकारी और चुनाव लड़ने की इच्छुक नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया। ऐसे में उन्होंने दूसरे वार्ड चुन लिए और संगठन पर वहां से टिकट देने के लिए दबाव डालने लगे। इससे उनके वार्डों में जहां अभी तक मौका नहीं पा रहे कार्यकर्ताओं की पौ बाहर हो गई वहीं दूसरी ओर नेताओं के दूसरे वार्ड चुनने से वहां से चुनाव लड़ने का ख्वाब संजो कर तैयारी कर रहे कार्यकर्ताओं की इच्छाओं पर कुठाराघात हो गया। जैसे ही प्रदेश अध्यक्ष का नया फरमान आया वैसे ही सारे दावेदार चकरघिन्नी हो गए लेकिन उन्हें राहत मिली जिनके वार्ड से दूसरे नेता लड़ने की तैयारी कर बैठे थे।
ज्यादातर पूर्व पार्षद और दबंग नेता
कांग्रेस की नई गाइडलाइन से प्रभावित होने वालों में ज्यादातर पूर्व पार्षद और दबंद नेता ही शामिल हैं। इनमें से तो कुछ दो से तीन बार तक के पार्षद हैं। शहर और प्रदेश स्तर तक के पदों पर काबिज नेताओं की उम्मीदवारी भी खतरे में पड़ गई है। इनमें प्रदेश महिला कांग्रेस की एक पदाधिकारी के अलावा शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया भी हैं। बताया जा रहा है कि महिला दबंग महिला नेत्री द्वारा वार्ड 27 से टिकट के लिए दावेदारी की गई जबकि वे रहती अन्य वार्ड में हैं।
इसी प्रकार शहर अध्यक्ष कटारिया अपनी पत्नी तथा राष्ट्रीय स्तर की नेता व पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के नजदीकी विजय सिंह चौहान अपनी बहन व पत्नी के लिए अन्यत्र वार्डों से टिकट मांग रहे हैं। चौहान ने पत्नी के लिए शास्त्रीनगर और बहन के लिए गुलमोहर कॉलोनी (वार्ड 36) से टिकट दिलाना चाह रहे हैं। वार्ड 34 के निवासी मांगीलाल जैन अपनी पत्नी सुनीता के लिए 36 नंबर से टिकट मांग रहे हैं। गुलमोहर कॉलोनी क्षेत्र से दावेदारी जताई है जबकि ये सभी अन्य वार्डों के रहने वाले हैं।
इन्होंने भी मांगा दूसरे वार्डों से टिकट
नगर निगम में पूर्व नेता प्रतिपक्ष मुबारिक खान का अपना वार्ड महिला के लिए आरक्षित हो गया इसलिए उन्होंने वार्ड 46 से दावेदारी कर डाली जबकि यहां से कांग्रेस के ही एक अन्य नेता दावेदारी करने वाले थे। पूर्व पार्षद जगदीश आकोदिया ने वार्ड नंबर 32 से मांगा है वे यहां रहते नहीं हैं। इसी तरह पूर्व पार्षद मुकेश मीणा और राकेश झालानी सहित कुछ अन्य नाम भी हैं जो अपने लिए अथवा अपने परिजन के लिए दूसरे वार्डों से दावेदारी जता रहे हैं।
कुछ भी बोलने को तैयार नहीं पदाधिकारी
मामले में बनी ऊहापोह स्थिति से पदाधिकारियों का सिरदर्द भी बढ़ गया है। उन्हें अपनी कुर्सी तो खतरे में नजर आ ही रही है, प्रभावित हो रहे नेताओं की खरी-खोटी भी सुननी पड़ रही है। उन्हें दावेदारों की सूची बनाने के लिए नए सिरे से माथापच्ची करना पड़ी। वे उपजी समस्या से प्रदेश हाईकमान को अवगत भी करवा चुके हैं। इस बारे में शहर कांग्रेस अध्यक्ष कटारिया एवं जिला महासचिव राजीव रावत से चर्चा की तो वे पार्टी गाइडालइन का पालन कराए जाने से ज्यादा कुछ भी नहीं बोल पाए। उन्हें नई गाइडालइन में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। संभावना है कि जिनके वार्ड प्रभावित हुए हैं और यदि उनके जीतने की संभावना है तो उन्हें पास के वार्ड में टिकट दिया जा सकता है। फिलहाल इस बारे में अभी तक कोई नया आदेश जारी नहीं हुआ है। यही वजह है कि अभी तक कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी की सूची भी जारी नहीं कर पाई है। यहां तक कि अभी महापौर प्रत्याशी भी घोषित नहीं हुआ है।