रतलाम जिले में बनेंगे 145 स्वच्छता परिसर, 79 का काम हो चुका है पूरा, अगले माह 66 और हो जाएंगे पूरे

जिले में स्वच्छता परिसर का निर्माण जारी है। 145 स्वच्छात परिसर जिले में बनना है जिसमें 79 बन चुके हैं।

रतलाम जिले में बनेंगे 145 स्वच्छता परिसर, 79 का काम हो चुका है पूरा, अगले माह 66 और हो जाएंगे पूरे
स्वच्छता परिसर।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम  स्वच्छ भारत मिशन के तहत रतलाम जिले में स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया जा रहा है। फिलहाल जिले के उन तमाम सार्वजनिक स्थानों पर यह परिसर बनाए गए हैं। जिले में कुल 145 स्वच्छता परिसर बनाए जाना है जिनमें से 79 बन चुके हैं। रतलाम जिला 4 साल पहले खुले में शौचमुक्त घोषित हुआ है।

जिले के विभिन्न स्थानों पर जिनमें से 79 परिसर का निर्माण हो चुका है। अगले एक माह में 66 परिसर भी बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। स्वच्छता परिसर बस स्टैंड, हाट बाजारों इत्यादि स्थलों पर बनाए जा रहे हैं। साथ ही संदेश दिया जा रहा है कि खुले में शौच नहीं करना है। स्वच्छता परिसर की खास बात यह है कि परिसर के बाहर दो दुकानें बनाई जा रही है। इन दुकानों का संचालन स्थानीय   समूह कर रहे हैं। परिसरों की सफाई का जिम्मा स्व सहायता समूह उठा रहे है। इसके बदले समूह को दुकानों का किराया नहीं चुकाना होता है। जिले की विभिन्न पंचायतों में 465 स्क्वेयर फीट में इस परिसर का निर्माण 45 लाख की लागत किया जा रहा है। परिसर के बाहर बनने वाली दुकानें 36-38 स्क्वेयर फीट की है।

सबसे खास बात यह है कि इन जगहों में कहीं किराना, सलून, होटल तो कहीं टेलरिंग की दुकान खुली है और इसका संचालन भी शुरू हो चुका है। कुछ परिसर फोरलेन सड़क पर बने हैं जिसका फायदा स्वसहायता समूह को हो रहा है। 5 से 10 महिलाओं का समूह इसका संचालन करता है और आपस में मिलकर दिन में दो बार परिसर की सफाई भी करते हैं। फिलहाल रूपनगर फंटा, बड़ोदिया, कराडिया, बडावदी, करिया, आक्याकला, रुपडी सहित 79 गांवों के स्वच्छता परिसरों में दुकानें चल रही है। योजना के तहत आलोट में 33, बाजना में 25, जावरा में 20, पिपलोदा में 20, रतलाम 31, सैलाना में 16 स्वच्छता परिसर होंगे।

जिले की ग्रामीण क्षेत्रों में गांव की स्वच्छता के लिए घर-घर से कच्चा संग्रहण का काम किया जा रहा है। जिले में 2000 से अधिक आबादी वाले 157 गांव है। यहां ई-रिक्शा से कचरा संग्रहित होगा, यह स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के तहत किया जा रहा है। गांव में ही सेग्रीगेशन शेड बनाए जा रहे हैं जहां कचरा ले जाया जाएगा। स्वं सहायता समूह की महिलाएं इसमें काम कर रही हैं, अभी 84 गांव में यह शुरू किया जा चुका है।