एजुकेशन एक्सपोजर के तहत सीएम राइस विनोबा स्कूल के 94 विद्यार्थियों ने जाना चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास, गौरव गाथा से हुए रूबरू

सीएम राइज विनोबा स्कूल रतलाम के विद्यार्थियों ने शैक्षणक भ्रमण के तहत चित्तौड़गढ़ पहुंचे और वहां के इतिहास एवं गौरव गाथा से रूबरू हुए।

एजुकेशन एक्सपोजर के तहत सीएम राइस विनोबा स्कूल के 94 विद्यार्थियों ने जाना चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास, गौरव गाथा से हुए रूबरू
शैक्षणिक भ्रमण के लिए जाने वाला सीएम राइज विनोबा स्कूल रतलाम के विद्यार्थियों का दल, साथ हैं शिक्षकगण।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । चित्तौड़गढ़ सिर्फ एक शहर का नाम नहीं, समृद्धशाली इतिहास का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसकी गौरव गाथा आज भी इसे जानने और देखने वालों को जोश से भर देती है। ऐसा ही अनुभव हुआ रतलाम के सीएम राइज विनोबा हायर सेकंडरी स्कूल के विद्यार्थियों को। एजुकेशन एक्सपोजर थीम के तहत शैक्षणिक भ्रमण पर चित्तौड़गढ़ पहुंचे दल में स्कूल के 94 विद्यार्थी शामिल हुए।

सीएम राइज विनोबा स्कूल रतलाम के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत चित्तौड़गढ़ किले के इतिहास और गौरव गाथा को समझा। विद्यार्थियों का दल प्रभारी शिक्षकों, गजेंद्र सिंह राठौर, अमन सिंह राठौर, अमित पारिख, प्रहलाद बैरागी, हर्षिता सोलंकी, हर्षिता मकवाना, हिना शाह के साथ चित्तौड़गढ़ पहुंचा। यहां किले में स्थित विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, मंदिरों, हवेलियों की जानकारी प्राप्त की। इस दौरान म्यूजियम में चित्तौड़गढ़ की गौरव गाथा और वीरता के प्रमाणों से भी रूबरू हुए।

संस्था प्राचार्य संध्या वोरा ने बताया कि कक्षा 9वीं और 11वीं के तहत विद्यार्थियों के दल ने राज्य शासन की योजना के तहत भ्रमण किया। भ्रमण प्रभारी हिना शाह ने बताया कि विद्यार्थियों ने रानी पद्मिनी महल, विजय स्तम्भ, गौमुख कुंड, जौहर स्थल, मीरा महल, कालिका माता मंदिर सहित विभिन्न स्थलों के इतिहास और दर्शन को समझा।

विद्यार्थियों ने साझा किए अपने अनुभव

मुझे रानी पद्मिनी का ग्रीष्मकालीन समय में रुकने वाला महल बहुत आकर्षक लगा। महल की योजना, परिवहन अद्भुत लगे।

रानी मालवीय, कक्षा - 9वीं

मुझे विजय स्तम्भ बहुत अच्छा लगा जिसमें पत्थरोँ का इंटरलॉक किया गया। यह उस दौर की उच्च कोटि की निर्माण कला को दर्शाता है।

निकिता नायक, कक्षा - 9वीं

सीएम राइज स्कूल में हमारी ऐतिहासिक धरोहरों की विजिट की योजना विद्यार्थियों के लिए कभी न भूलने वाला अनुभव है।

गजेंद्र सिंह राठौर, उप प्राचार्य