धर्म की रक्षा हम करेंगे तो हमारी सुरक्षा धर्म करेगा, धर्म अनुरूप आचरण ही लोगों को पापों से मुक्त कराता है- आचार्य महिधर शास्त्री

हनुमान बाग अमृत सागर में श्रीमद् भगवत गीता जयंती महोत्सव का आयोजन हुआ। इस दौरान आचार्य महिधर शास्त्री ने धर्म का महत्व बताया। डॉ. मंगलेश्वरी जोशी व आचार्य सत्यव्रत शास्त्री भी मौजूद रहे।

धर्म की रक्षा हम करेंगे तो हमारी सुरक्षा धर्म करेगा,  धर्म अनुरूप आचरण ही लोगों को पापों से मुक्त कराता है- आचार्य महिधर शास्त्री
धर्म का महत्व समझाते आचार्य महिधर शास्त्री जी।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । धर्म है तो हम सभी हैं। धर्म नहीं तो हम भी कुछ नहीं। धर्म की रक्षा हम करेंगे तो हमारी सुरक्षा धर्म करेगा। धर्म की छत्रछाया में ही हम सुरक्षित हैं। मनुष्य को धर्म का साथ विपत्ति के समय भी नहीं छोड़ना चाहिए और ना ही संपत्ति के समय। सुख-दुख में धर्म का पालन निहायत जरूरी है। धर्म की मर्यादा का पालन करेंगे तो मोक्ष की प्राप्ति होगी और जीवन में मोक्ष से बढ़कर कोई बड़ा फल नहीं। धर्म अनुरूप आचरण ही लोगों को पापों से मुक्त करता है।
यह विचार आचार्य महिधर शास्त्री ने मंगलवार को हनुमान बाग (अमृत सागर) में व्यक्त किए। वे 18वें श्रीमद् भगवत गीता जयंती महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। आयोजन गीता जयंती महोत्सव समिति के बैनर तले हुआ। इस दौरान मंच पर डॉ. मंगलेश्वरी जोशी व आचार्य सत्यव्रत शास्त्री भी मौजूद थे। आचार्य शास्त्री ने कहा सत्य का निवास वहीं होता है, जहां अहिंसा होती है। जीवन में जितनी इच्छा बढ़ेगी उतने ही कष्ट बढ़ेंगे। अत्यधिक लालसा ना रखें। संतुष्टि पूर्ण जीवन ही प्रेरणादाई है। जो प्रभु ने दिया है, उसमें संतोष करना सीखें। अभिलाषाओं का कोई अंत नहीं। 

जीवन को संवारना और बिगाड़ना दोनों मनुष्य के हाथ में 

शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. मंगलेश्वरी जोशी ने कहा जीवन में कभी भी अहंकार का भाव नहीं आना चाहिए। हमेशा व्यक्ति यही कहता है कि- मैंने किया। मैं हूं। मेरे अलावा कुछ नहीं। मैं-मैं तो पशु ही करता है, मनुष्य नहीं। मनुष्य में केवल 'हम' का भाव होना चाहिए, 'अहम्' का नहीं। प्रभु शक्ति के सामने आपका अस्तित्व कुछ भी नहीं। प्रभु तो अच्छे कार्य ही व्यक्तियों से करवाते हैं। जो व्यक्ति अच्छे कार्यों को छोड़कर बुरे कार्यों में लग जाते हैं, उनका अंत बुरा ही होता है। प्रभु ने मनुष्य को पूरी छूट दे रखी है कि उन्हें क्या करना है। जीवन को संवारना है अथवा बिगाड़ना, दोनों मनुष्य के हाथ में है। जीवन को संवारना है और मोक्ष प्राप्त करना है तो धर्म आचरण जरूरी है। 

इन्होंने किया गीता पूजन और गीता पाठ

मंगलवार को सुबह गीता जयंती महोत्सव की शुरुआत में आचार्य सत्यवती शास्त्री एवं धर्मपत्नी पूजा शास्त्री ने विधि-विधान से श्रीमद् भागवत गीता की पूजा-अर्चना की। आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ। तत्पश्चात 11 भूदेव ने गीता पाठ का पारायण शुरू किया। पं. हरीश चतुर्वेदी, भानुप्रकाश शर्मा, नरेंद्र परसाई, नंदकिशोर व्यास, शैलेंद्र जोशी, भरत शर्मा, विजय जोशी, दुर्गेश रावल सहित अन्य ने गीता पाठ किया। संचालन शरद वर्मा ने किया। आभार गीता जयंती महोत्सव समिति के संस्थापक एवं संयोजक पंडित पुष्पोद्भव शास्त्री ने माना।

भक्तों ने बैठकर किया ग्रहण किया प्रसाद

भुवनेश पंडित ने भजन प्रस्तुत किया। धर्मनिष्ठ बाबूलाल शर्मा, बद्रीलाल राठौर देवड़ा, सुरेंद्र सुरेका, वीरेंद्र वाफगांवकर, अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र शर्मा, डॉ. मुकेश राठौर, सुरेश मजावदिया, सहित महिला पुरुष धर्मालुओं ने आरती व पूजन किया। तत्पश्चात भक्तों ने बैठकर प्रसाद में फलाहार ग्रहण किया।

इन्होंने संभाली परोसगारी और अन्य व्यवस्थाएं

मनोज शर्मा, सतीश राठौर, शांतु गवली, विशाल शर्मा, मोहन गोधा, मुकेश कृष्णात्रे, संतोष सोनी के मार्गदर्शन में नवयुवक मंडल के प्रवीण शर्मा, रत्नोंद्भव द्विवेदी, मनीष दीक्षित, अजय टांक, अजय मौर्या, संदीप परमार, राजेश मेहरा, सिद्धार्थ द्विवेदी, श्याम सोनी, अमिताभ पवार, मोहित जैन, दिनेश धाकड़, रक्षित मेहता, योगेश शर्मा, हरे कृष्णा शर्मा, केशव द्विवेदी, गर्वित गुप्ता, किशन मीणा, राजेश वर्मा, हिमांशु गुप्ता, कमल माली, संदीप शर्मा आदि।