ऐसे कब तक जाएंगी जानें ? रतलाम में सांड के उत्पात ने ली युवक की जान, घटना से आक्रोशित लोगों ने शव सड़क पर रख किया चक्काजाम, जिम्मेदारों को जूड़ियां भी दिखाईं
रतलाम में दो दिन पूर्व सांड के हमले में घायल हुए एक युवक की बुधवार सुबह मौत हो गई। घटना से आक्रोशित लोगों ने शव सड़क पर रखकर चक्काजाम कर आक्रोश जताया तथा जिम्मेदारों को चूड़ियां भी दिखाईं।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर की सड़कों और मोहल्लों में आवारा मवेशियों की मौजूदगी जानलेवा साबित हो रही है। तेजानगर क्षेत्र में सांड के उत्पात में घायल एक युवक की बुधवार सुबह जान चली गई। इससे आक्रोशित लोगों ने युवक का शव संत रविदास चौक पर रख कर चक्काजाम कर नगर निगम के नाकारा सिस्टम के खिलाफ गुस्सा निकाला।
रविवार को तेजानगर क्षेत्र में एक सांड ने एक ही परिवार के तीन लोगों को घायल कर दिया था। हादसे में मोहनबाई पति ज्ञानसिंह गुगलिया और उनका बेटा राजेश घायल हुए थे। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां बुधवार सुबह करीब 6 बजे 45 वर्षीय राजेश ने दम तोड़ दिया। घटना से तेजानगर क्षेत्र में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि शहर में स्वच्छंद विचरण करते मवेशी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। ऐसे हादसे पहले भी हो चुके हैं जिनमें लोगों की जानें जा चुकी हैं।
चक्काजाम कर जताया आक्रोश
घटना से आक्रोशित तेजानगर के रहवासियों ने मुख्य सड़क पर चक्काजाम किया और नगर निगम के नाकारा सिस्टम के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों को समझाने के लिए महापौर प्रहलाद पटेल, आयुक्त हिमांशु भट्ट सहित अन्य पहुंचे लेकिन वे नहीं मानें। उन्होंने जिम्मेदारों को खूब खरी-खरी सुनाई और चूड़ियां तक दिखाई। उन्होंने निगम प्रशासन मुर्दाबाद के नारे भी बुलंद किए।
पहले भी जा चुकी हैं जानें
आक्रोशित लोगों का कहना था कि नगर निगम के जिम्मेदारों को बार-बार कहने के बाद भी सिर्फ कागजी खानापूर्ति होती है। सांड पकड़ने के बजाय निगम का अमला गायों को पकड़ कर ले जाता है और जैसे ही गायों के मालिक विरोध करते हैं तो उन्हें फिर छोड़ दिया जाता है। सांडों और कुत्तों को पकड़ने को लेकर अमला कतई गंभीर नहीं है। लगभर चार महीने पहले टाटानगर में भी ऐसी ही घटना हुई थी जिसमें घर के बाहर बाटी सेंक रही 60 वर्षीय बुजुर्ग शांताबाई की दो सांडों की लड़ाई में जान चली गई थी।