श्वान पालना है तो नगर निगम में करवाना होगा श्वान का पंजीयन और लाइसेंस भी लेना होगा लेकिन 2 से ज्यादा पालने की नहीं मिलेगी अनुमति
नगर निगम प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि शहर में लोगों को श्वान पालने के लिए पंजीयन करवाना होगा और लायसेंस भी लेना होगा।
नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 355 व 356 के तहत नगर में रहने वाले बिना रजिस्ट्रेशन नहीं पाल सकते श्वान
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 355 और 356 के तहत नगर में रहने वाले बिना पंजीयन के श्वान नहीं पाल सकते हैं। उन्हें अपने पालतू श्वान का पंजीयन करना और लायसेंस लेना अनिवार्य है।
नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया ने बताया कि नगरीय क्षेत्र अन्तर्गत लोग अपने पालतू श्वान को गले में बिना पट्टा डाले अथवा अन्य चिह्नों के बिना ही आवारा श्वान की भांति छोड़ देते हैं। इससे आम नागरिकों में भय का वातावरण निर्मित होता है। ऐसे श्वान और उनके मालिकों के लिए नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 355 व 356 के तहत अनिवार्य किया गया है।
नगर निगम प्रशासन ने श्वान पालकों से निगम के स्वास्थ्य विभाग की लायसेंस शाखा से अनिवार्य रूप से श्वानों का पंजीयन कराने और लायसेंस लेने की अपील की है। निगम ने लोगों से कहा है कि वे अपने श्वान के गले में पट्टा डालकर रखें और अन्य पहचान चिह्न भी जरूर लगवाएं।
यह है पंजीयन और लायसेंस शुल्क
श्वान पालक को नगर पालिक निगम के स्वास्थ्य विभाग अन्तर्गत लायसेंस शाखा में पंजीयन करवा कर लायसेंस लेना होगा। उन्हें प्रति श्वान 1000 रुपए देकर पंजीयन कराना होगा। इसके अलावा श्वान लेने के लिए लायसेंस भी लेना होगा। लायसेंस के लिए 500 रुपए प्रति श्वान चुकाने होंगे। लायसेंस का नवीनीकरण कराने के लिए प्रति श्वान 100 रुपए देने होंगे। कोई भी व्यक्ति अधिकत 2 श्वान पाल सकता है। इससे अधिक की अनुमति उन्हें नहीं दी जाएगी।