'सुनें-सुनाएं' का आठवां सोपान 7 मई को, अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करेंगे रचनाधर्मी, आप भी आएं, सुनें और सुनाएं
साहित्यिक और सांस्कृतिक वातावरण बढ़ाने के लिए शुरू किया गया सुनें-सुनाएं आठवें सोपान पर पहुंच गया है। आप भी इसमें रुचि रखते हैं तो रविवार को नियत समय पर पहुंचें, सुनें और फिर सुनाएं।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर में रचनात्मक वातावरण को बढ़ाने के लिए निरंतर जारी प्रयास 'सुनें-सुनाएं' का आठवां सोपान 7 मई (रविवार) को होगा। आयोजन सुबह 11 बजे जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल, एनेक्सी प्रथम तल रतलाम पर होगा। इसमें अपने प्रिय रचनाकारों की महत्वपूर्ण रचनाओं का पाठ एवं उन पर विमर्श किया जाएगा।
विगत सात माह से शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ाने तथा साहित्यिक-सांस्कृतिक रुझान रखने वाले लोगों को एक साथ बैठकर विमर्श करने का अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए 'सुनें -सुनाएं' आयोजन के आठवें सोपान में महत्वपूर्ण रचनाओं का पाठ होगा। आयोजन में इफ़रा अंसारी और गुलफिशां अंसारी द्वारा सिद्दीक़ रतलामी की रचना "ये दुनिया ख़ूबसूरत हो गई है" का पाठ किया जाएगा। रीता दीक्षित द्वारा मैथिलीशरण गुप्त की रचना "नर हो न निराश करो मन को" का पाठ किया जाएगा।
इसी तरह अलक्षेन्द्र व्यास अंजुम रहबर की रचना "खा ले, पी ले मौज उड़ा, कल क्या हो किसको पता" का पाठ, डॉ. गीता दुबे पं. सूर्यकांत निराला की कविता "वह तोड़ती पत्थर" का पाठ, अरविंद मेहता डॉ. विष्णु सक्सेना की कविता “हाथ अभी सिंदूरी है“ का पाठ, सुरेश बरमेचा मुनीर नियाज़ी की रचना 'हमेशा देर कर देता हूं मैं' का पाठ, ललित चौरड़िया कमलेश द्विवेदी की रचना 'अनायास ही इस जीवन में' का पाठ और प्रियेश शर्मा बल्ली सिंह चीमा की रचना 'ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के' का पाठ करेंगे।
समय पालन जरूरी है
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम की अवधि एक घंटा सुबह 11 से 12 तक निर्धारित है। इसमें 45 मिनट तक रचनाओं का पाठ होता है और 15 मिनट रचनाओं पर सार्थक विमर्श। आयोजन में कोई भी अपनी रचना नहीं पढ़ते हुए अपने प्रिय रचनाकार की रचना भी बगैर किसी भूमिका के पढ़ता है। 'सुनें-सुनाएं' ने रचनात्मकता के पक्षधर सुधिजनों से उपस्थित रहने का आग्रह किया है।