मप्र सरकार पर नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर, लागत से कई गुना टोल वसूली मामले में नहीं दिया जवाब

मप्र शासन ने टोल वसूली मामले में सुप्रीम कोर्ट को अब तक जवाब प्रस्तुत नहीं किया है। कोर्ट शासन को नवंबर 2022 से अब तक कुल तीन अवसर प्रदान कर चुकी है।

मप्र सरकार पर नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर, लागत से कई गुना टोल वसूली मामले में नहीं दिया जवाब
पारस सकलेचा।

एसीएन टाइम्स @ भोपाल/रतलाम ।  लेबड-जावरा तथा जावरा-नयागांव टोल रोड पर लागत से कई गुना अधिक वसूली के मामले में मप्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी कोई असर नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन गुजरने के बाद भी शासन ने इस मामले में अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया है। इससे अब व्हिसब्लोअर पारस सकलेचा की याचिका पर शासन का पक्ष जाने बगैर ही सुनवाई होगी। 

व्यापमं विह्सलब्लोअर तथा पूर्व महापौर पारस सकलेचा द्वारा लेबड़-जावरा तथा जावरा-नयागांव फोरलेन पर लागत से कई गुना ज्यादा टोल वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें कोर्ट ने 24 अप्रैल को शासन को सात दिन में जवाब देने का आदेश दिया था। आदेश में स्पष्ट किया गया था कि नियत अवधि में जवाब नहीं आने पर प्रकरण पर नियमानुसार सुनवाई प्रारंभ कर दी जाएगी। यह डेडलाइन गुजरे करीब पांच दिन हो चुके हैं लेकिन शासन ने अब तक जवाब प्रस्तुत नहीं किया है।

तीन अवसर देने के बाद भी नहीं दिया जवाब

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड साहब की बेंच ने 24 नवंबर, 2022 को इस विषय पर  वरिष्ठ अभिभाषक देवदत्त कामत, एल जो जोसेफ तथा सर्वम रिदम खरे के तर्क सुनने के बाद शासन को नोटिस जारी किया था। तब से लेकर अब तक तीन अवसर दिए जा चुके हैं लेकिन शासन की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार सकलेचा ने कहा है कि इस मामले में जवाब को टालने की जगह शासन को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखना चाहिए। 

जानिए, टोल वसूली का गणित

सकलेचा द्वारा दायर याचिका में बताया गया है कि लेबड़-जावरा तथा जावरा-नयागांव फोरलेन पर टोल वसूली 2009 से प्रारंभ होकर नवंबर, 2033 तक चलेगी। वर्ष 2021 में लेबड़-जावरा पर ₹145 करोड़ तथा जावरा-नयागांव पर ₹200 करोड़ तथा नवंबर, 2022 से जनवरी, 2023 तक तीन माह मे  क्रमशः ₹45 करोड़ और ₹53 करोड़ टोल वसूला गया। जनवरी, 2023 तक जावरा-नयागांव पर लागत ₹425 करोड़ के एवज में ₹1865 करोड़ तथा लेबड़-जावरा पर ₹1655 करोड़ यानी लागत का क्रमशः 438% तथा 281% टोल वसूला जा चुका है। टोल राशि में प्रतिवर्ष 15% से 20% की वृद्धि हो रही है। दोनों टोल रोड पर मिलाकर वर्तमान में प्रतिदिन ₹1.2 करोड़ से ₹1.3 करोड़ टोल वसूला जा रहा है। सकलेचा द्वारा इस वसूली को बंद किए जाने की गुहार भी लगाई गई है।