सफर शहादत का : शहीदों की मजारों पर फरिश्ते ही नहीं खुदा भी आते-जाते रहते हैं- ज्ञानी मान सिंह

सिख समाज के ज्ञानी मान सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश वर्ष के तहत आयोजित संगत में गुरु गोविंद सिंह और उनके परिवार की शहादत पर प्रकाश डाला।

सफर शहादत का : शहीदों की मजारों पर फरिश्ते ही नहीं खुदा भी आते-जाते रहते हैं- ज्ञानी मान सिंह
संगत को संबोधित करते ज्ञानी मान सिंह।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । सिक्ख समाज के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के मद्देनजर शहर में प्रभातफेरियों का दौर शुरू हो गया है। इसके साथ ही समाजजन गुरु गोविंद सिंह जी के साहबजादों की शहादत को भी याद किया जा रहा है। इसी क्रम में बरबड़ रोड स्थिति खालसा सभागृह में शबद कीर्तन और संगत का आयोजन हुआ। इस मौके पर ज्ञानी मानसिंह जी ने संगत से कहा कि गुरु गोविंद सिंग जी जैसा ना कोई हुआ है और ना कोई होगा।

ज्ञानी मानसिंह जी ने कहा कि गुरु गोविंद सिंग ने धर्म व पंथ की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व कुरबान कर दिया। उनके साहबजादों की कुर्बानी कभी भुलाए नहीं जा सकती। ज्ञानी जी ने कहा कि शहीदों की मजारों पर फरिश्ते भी आते-जाते हैं, मैं इंसान क्या कहूं, वहां तो खुदा भी आते-जाते हें। शिरोमणि गुरद्वारा कमेटी की ओर से उज्जैन से आए बलदेव सिंह उग्रा ने गुरु  गोविंद सिंहं के साहेबजादे की वीरता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि "नाम अजीत है, जीता नहीं जाऊंगा, जीता जो गया तो जीता ना आऊंगा। वे इतने वीर थे और वे चमकौर के युध्द में मुगलों से लड़ते हुए शहीद हुए थे। ज्ञानी जी ने शबद प्रस्तुत किए। श्री गुरु तेग बहादुर शैक्षणिक विकास  समिति ने सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्द सिंग के प्रकाश पर्व के अवसर पर यह आयोजन किया गया था।

ये उपस्थि रहे, लंगर भी बरता

इस अवसर पर समिति अध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह डंग, उपाध्यक्ष हरजीत चावला, सचिव अजीत छाबड़ा, कोषाध्यक्ष देवेंद्र वाधवा, सहसचिव हरजीत सलूजा, प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह भामरा, सदस्य  सतपाल सिंह डंग, धर्मेन्द्र गुरुदत्ता, जावरा से आए ज्ञानी हंसराज सिंग हंस, कुलवंत सग्गू, कश्मीर सिंग, जसपाल बग्गा, कंवलजीत सिंग मक्कड़, जसमीत कौर सहित समाजजन मौजूद थे। अरदास कर गुरु का अटूट लंगर बरता।