वीर, बहादुर, पराक्रमी और साहसी व्यक्ति ही अहिंसा का पालन कर सकता है- कमल मुनि कमलेश

भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याण महोत्सव पर राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने अहिंसा का पालन करने वालों के गुणों पर प्रकाश डाला।

वीर, बहादुर, पराक्रमी और साहसी व्यक्ति ही अहिंसा का पालन कर सकता है- कमल मुनि कमलेश
संबोधित करते हुए राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । अगर कोई व्यक्ति अहिंसा को डरपोक, बुजदिल, पलायनवादी अथवा कायरता मानता है अथवा पुकारता है तो वह अहिंसा से अनभिज्ञ है। अहिंसा का पालन सिर्फ वीर, बहादुर पराक्रमी और साहसी व्यक्ति ही कर सकता है।

उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने भगवान पारसनाथ जन्म कल्याणक समारोह को संबोधित करते कही। वे मृदुल धाम काटजूनगर में संबोधित कर रहे थे। हिंसा को देखकर अहिंसा और कर्मों की दुहाई देकर अनदेखा कर लेने वाला व्यक्ति अहिंसा को कलंकित और बदनाम कर रहा है। मुनि कमलेश ने बताया कि जो अन्याय और अन्य को देखकर कफन का टुकड़ा सिर पर लेकर जीने-मरने की परवाह न करते हुए मैदान में खड़ा रहता है, वही सच्चा अहिंसावादी है। राष्ट्रसंत ने कहा कि जुल्म करना हिंसा है, तो जुल्म सहना भी हिंसा है। अन्याय, अनीति, हिंसा और जुल्म का प्रतिकार करना सच्ची अहिंसा है।

सांस्कृतिक पर हमला होने पर संगठित होकर करें मुकाबला

भव्य मुनि ने कहा कि पार्श्वनाथ प्रभु की क्रांतिकारी अहिंसा धर्म समाज देश और विश्व के लिए सदैव प्रासंगिक रहेगी। श्रीमद्भागवत गीता शक्तिपीठ केंद्र कुरुक्षेत्र के संस्थापक महंत गोविंदाचार्य जी ने कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति पर होने वाले हमले का प्रतिकार करने के लिए सभी धर्म के लोगों को एक मंच पर संगठित होकर मुकाबला करना होगा तभी हमारा अस्तित्व बचेगा। इस मौके पर श्रीमद् भागवत गीता शक्तिपीठ केंद्र कुरुक्षेत्र के संस्थापक महंत गोविंदाचार्य जी एवं राष्ट्रीय संगठन मंत्री राज्यश्री  ने सदस्यों के साथ राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश को भागवत गीता भेट कर अभिनंदन किया।

400 लोगों को वितरित करेंगे स्वेटर

अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच के प्रभारी नीलेश बाफना ने भी संबोधित किया। उन्होंने बताया मंच के रतलाम जिला महामंत्री प्रत्यूष चौधरी, जिला कोषाध्यक्ष जितेंद्र खिमेसरा, संजय गांग, दीपक श्रीमाल, भविष्य कुमार जैन, प्रवीण जैन, किरण मेहता ने भगवान पार्श्वनाथ की जयंती पर 400 लोगों को स्वेटर वितरित करने का संकल्प लिया।