न्यायालय में किरकिरी : बहुचर्चित लीज नवीनीकरण मामले में अपने ही कर्मचारी पर आरोप प्रमाणित नहीं कर पाया नगर निगम, कर्मचारी दिनेश राठौड़ दोषमुक्त
रतलाम के पॉश इलाके शास्त्रीनगर के एक भूखंड की लीज के नवीनीकरण में दोखाधड़ी करने के आरोप से सत्र न्यायालय नगर निगम के कर्मचारी को दोषमुक्त कर दिया है। कर्मचारी पर लीजधारक के साथ मिलकर फर्जी तरीके से लीज नवीनीकरण का आरोप था।
एसीएन टाइम्स @ रतलाम । तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश बरखा दिनकर ने नगर निगम के सहायक वर्ग-तीन दिनेश राठौड़ को बहुचर्चित लीज नवीनीकरण मामले में दोषमुक्त कर दिया है। उनके खिलाफ अभियोजन शास़्त्री नगर के भूखंड क्रमांक 167 की लीज का कूटरचना कर पत्रकार रमेश पिता चंद्रमणि मिश्र के नाम पर नवीनीकरण करने का आरोप प्रमाणित नहीं हुआ।
अभिभाषक प्रवीण भट्ट ने बताया कि सहायक वर्ग-तीन दिनेश राठौड़ पर दिनांक 7 अप्रैल 2015 को शास्त्री नगर के भूखंड क्रमांक 167 की लीज का खुद हस्ताक्षर कर नवीनीकरण करने का आरोप लगाया गया था। स्टेशन रोड थाना पुलिस ने तत्कालीन आयुक्त सोमनाथ झारिया की रिपोर्ट पर भादंवि की धारा 467, 167, 193, 197 के तहत राठौरड़ के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर 12 अगस्त 2016 को न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया था। मामले में सत्र न्यायालय ने 40 पृष्ठों में 64 बिंदुओं का आदेश पारित किया है। इसमें आरोपी दिनेश राठौड़ को सभी धाराओं के आरोपों से संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करते हुए मामले से स्वतंत्र कर दिया गया है।
31 मार्च 2014 को समाप्त हो गई थी लीज
गौरतलब है कि शास्त्री नगर स्थित योजना क्रमांक 20 का उक्त भूखंड पत्रकार रमेश पिता चंद्रमणि मिश्र को 15 नवंबर 1984 को लीज पर आबंटित किया गया था। इसका पट्टा 18 जून 1990 को संपादित कराया गया था। पट्टे के अनुसार लीज अवधि 31 मार्च 2014 को समाप्त हो गई थी और एक माह में लीज अवधि बढ़ाने की कार्यवाही की जाना थी। रमेश मिश्र ने 30 मार्च 2015 को लीज नवीनीकरण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था। मामले में नगर निगम प्रशासन ने दिनेश राठौड़ पर मिश्र के आवेदन को आयुक्त की अनुमति के बिना ही भूखंड की मूल नस्ती उपलब्ध नहीं होने पर भी लीज होल्डर के साथ मिलकर धोखाधड़ी पूर्वक लीज नवीनीकरण खुद के हस्ताक्षर से जारी करने का आरोप लगा था।
निलंबित कर दया गया था
मामले में कर्मचारी को 13 जुलाई 2015 को निलंबित कर पुलिस को रिपोर्ट की गई थी। दिनेश राठौड़ ने इस मामले में अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव में झूठा प्रकरण बनाकर फंसाने का आरोप लगाया था। न्यायालय में सुनवाई के दौरान प्रकरण में उनकी पैरवी अभिभाषक प्रवीण भट्ट द्वारा की गई।