औरत को लेकर थी रंजिश इसलिए पत्थर मारकर कर दी थी हत्या, न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा, अर्थदंड भी किया

हत्या के एक अभियुक्त को न्यायालय ने आजीवन कारावास और 5 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया है। अभियुक्त ने अपने ही गांव के एक व्यक्ति की पत्थर मारकर हत्या कर दी थी।

औरत को लेकर थी रंजिश इसलिए पत्थर मारकर कर दी थी हत्या, न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा, अर्थदंड भी किया
हत्या के मामले में न्यायालय का फैसला।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । । तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने एक व्यक्ति को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अभियुक्त ने औरत को लेकर चली आ रही रंजिश के चलते अपने ही गांव में एक व्यक्ति की मत्थर मारकर हत्या कर दी थी। 

अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने बताया कि 1 अप्रैल, 2019 को रामचंद्र भूरिया निवासी इमलीपाड़ा खुर्द ने बाजना पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने पुलिस को बताया था कि उसका भाई नारायण गांव के ही मांगू के लड़के की शादी में बाना में 31 मार्च 2019 को गया था। वहां आरोपी लालू पिता थावरा मईड़ा निवासी इमलीपड़ा खुर्द थाना बाजना भी आया था। बाना खेलते समय औरत को लेकर चली आ रही रंजिश के चलते लालू ने भाई नारायण को मां-बहन की गालियां दी। जब नारायण ने गाली देने से मना किया तो आरोपी लालू ने नारायण के सिर में पत्तर मार दिया। इससे उसके सिर से खून निकलने लगा। लालू ने नारायण को जान से मारने की धमकी भी दी। घटना में गंभीर घायल नारायण को रामचंद्र ने डायल 100 को कॉल किया जिसने उसे अस्पताल पहुंचाया। इस आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धारा 294, 323, 506 के अंतर्गत लालू के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की थी।

हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हो गई थी मौत

घायल नारायण को धीरज हॉस्पिटल वडोदरा (गुजरात) रैफर किया गया था। वहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। नतीजतन प्रकरण में धारा 302 का इजाफा किया गया था। इसके बाद पुलिस ने अनुसंधान पूरा कर अभियोग पत्र सैलाना न्यायालय में प्रस्तुत किया था। जहां से प्रकरण विचारण हेतु तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में आया। तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्क न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए। न्यायाधीश वर्मा ने अभियुक्ति लालू मईड़ा को नारायण की हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास से दंडित किया। ₹5000 अर्थ दंड भी सुनाया। अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने की।