सारी मोह-माया त्याग धर्मपथ पर चल दिए सकलेचा परिवार के तीन सदस्य, मुनि बोले- धर्मपथ पर अग्रसर होने से पहले सारी जिम्मेदारियां निभाना जरूरी, देखें वीडियो...

रतलाम के सकलेचा दंपती रत्नवल्लभ एवं वर्षा तथा उनकी पुत्री केंजल ने सांसारिक मोह-माया त्याग कर धर्मपथ पर चलने का संकल्प लिया है। आत्म कल्याण महोत्सव के दौरान उन्होंने अपनी सांसारिक वस्तुएं और रुपए-पैसे लोगों पर लुटा दिए।

मुमुक्षु रत्नवल्लभ, पत्नी वर्षा और बेटी केजल का निकला वरघोड़ा, 'गुरुदेव तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए...' और 'जैन धर्म न्यारा...' जैसे गीतों से गूंजा नगर

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । शहर के राकेश-मन्नालाल सकलेचा परिवार के मुमुक्ष 48 वर्षीय वल्लभरत्न, पत्नी वर्षा और 17 वर्षीय पुत्री केजल शनिवार को सांसारिक मोह त्याग धर्मपथ पर चल पड़े। आत्मकल्याण भूमि (जेएमडी परिसर) में आयोजित आत्म कल्याण उत्सव में मुनि श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज के सान्निध्य में दीक्षाविधि का शुभारंभ हुआ। दीक्षाविधि के पश्चात तीनों दीक्षार्थी मुनि श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज आदि ठाणा के साथ अहमदाबाद के लिए सागोद रोड, शिवगढ़, रावटी और कुशलगढ़ होते हुए विहार करेंगे।

धर्मपथ पर चलने से पहले सकलेचा दंपती और उनकी पुत्री ने सारी सांसारिक मोह-माया को त्याग दिया। उनके संकल्प और त्याग की अनुमोदना और उनके बहुमान के लिए परिवार जन ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में समाजजन उमड़ पड़े। धर्म के पथ पर अग्रसर होने के इस आत्म कल्याण महोत्सव को लेकर सकलेचा परिवार में महीनों से तैयारी चल रही थी। दीक्षा के लिए अहमदाबाद के लिए रवाना होने से एक दिन पूर्व शुक्रवार को दीक्षार्थियों का ऐतिहारिक वर्षीदान वरघोड़ा निकाला गया जिसमें तीनों दीक्षार्थी ऊंट बघ्घी पर वार होकर शहर में घूमे और सांसारिक वस्तुओं और रुपए-पैसे लुटाए।

'गुरुदेव तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए...' और 'जैन धर्म न्यारा...' जैसे गीतों से गूंजा नगर

शहर के घासबाजार क्षेत्र निवासी दीक्षार्थी सकलेचा दंपती व उनकी पुत्री वरघोड़े में शामिल बैंड पर 'गुरुदेव तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए...' और 'जैन धर्म न्यारा...' जैसे गीतों की स्वर लहरियां गूंज रही थी। वरघोड़े में आगे-आगे मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज आदि ठाणा चल रहे थे। जैन संतों और श्रद्धालुजन के साथ दीक्षार्थी दंपती व उनकी पुत्री ऊंट बग्घी पर सवार थे। चल समारोह जैन श्रद्धालुओं ने बहुमान भी किया। वरघोड़ा घास बाजार, माणकचौक, डालूमोदी चौराहा, नाहरपुरा, धानमंडी, तोपखाना होते हुए चांदनीचौक से लक्कड़पीठा मार्ग होते हुए सागौद रोड स्थित आत्मकल्याणक भूमि जेएमडी परिसर पहुंचा।

धर्मपथ पर पारिवारिज जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के बाद आगे बढ़ें- मुनि श्री कल्याणरत्न विजयजी

आत्मकल्याणक भूमि मुनि श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज ने आशीर्वचन प्रदान किए। उन्होंने कहा- जीवन में जो काम दवा नहीं करती वह काम सिर्फ आपके विचार कर देते हैं। मानव जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को अंतरात्मा से सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए सांसारिक जीवन की जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए। जीवन में यह मोड़ कई बदलाव लाता है। मोक्ष के रास्ते पर चलना ही जीवन का सही अर्थ है। मैं मुनिश्री ने कहा मैं ऐसा नहीं कहता कि आप पारिवारिक जिम्मेदारियों को छोडक़र सांसारिक मोह त्यागें। पहले पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निवर्हन करें और उसके बाद आपको लगे कि आपने अपने सभी कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाया है और अब आपके पास अन्य किसी प्रकार की जवाबदेही नहीं है, इसके बाद ही आप आत्मकल्याण के लिए अंतर्मन से विचार करें।
दीक्षार्थियों का वीडियो- राकेश पोरवाल (फोटो जर्नलिस्ट)