रतलाम । कृषि भूमि पर खड़ा कर दिया होटल, प्रशासन के खिलाफ वाद भी दायर किया, न्यायालय ने वाद किया खारिज

रतलाम के कान्हा इंटरनेशनल होटल के संचालक द्वारा प्रशासन के विरुद्ध दायर किया वाद न्यायालय ने खारिज कर दिया। व्यवसायी ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे।

रतलाम । कृषि भूमि पर खड़ा कर दिया होटल, प्रशासन के खिलाफ वाद भी दायर किया, न्यायालय ने वाद किया खारिज
रतलाम में कृषि भूमि पर होटल बनाने वाले व्यवसायी द्वारा दायर वाद न्यायालय ने किया खारिज।
  • कान्हा इंटरनेशनल होटल के मामले में न्यायालय का फैसला
  • भूमि का डायवर्सन करवाए बिना ही खड़ा कर दिया होटल
  • तृतीय वर्ग व्यवहार कनिष्ठ न्यायालय ने खारिज किया वाद
  • होटल व्यवसायी ने जिला प्रशासन पर लगाए थे गंभीर आरोप 

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । भूमि उपयोग परिवर्तन करवाए बिना ही कृषि भूमि पर होटल निर्माण करने वाले व्यवसायी को न्यायालय से झटका लगा है। होटल मालिक द्वारा प्रशासन की कार्रवाई से बचने के लिए दायर किया गया वाद न्यायालय तृतीय व्यवहार कनिष्ठ खण्ड रतलाम के न्यायाधीश अतुल श्रीवास्तव ने ने खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने प्रशासन और अधिकारियों पर अवैधानिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से परेशान करने का आरोप लगाया था।

शासकीय अधिवक्ता समरथ पाटीदार ने बताया कि रतलाम के चांदनी चौक निवासी होटल मालिक चन्द्रप्रकाश पिता जगदीशचंद्र सोनी ने वर्ष 2020 में रतलाम न्यायालय में एक दावा दायर किया था। इसमें उन्होंने बताया था कि रतलाम के सेजावता में उनके आधिपत्य की भूमि सर्वे क्र. 128/8 रकबा 0.800 हेक्टेयर स्थित है। इस पर उनके द्वारा एक होटल का निर्माण किया गया है जिसमें वे अपना व्यापार संचालित करता हैं। सोनी का तर्क था कि उन्होंने उक्त भूमि दिनांक 28.11.1996 को पंजीकृत विक्रय-पत्र के माध्यम से क्रय की थी। तभी से वे उक्त भूमि के स्वत्वधारी एवं आधिपत्यधारी हैं। राजस्व अभिलेख में भी यह वादग्रस्त भूमि उनके नाम से दर्ज है।

राजस्व निरीक्षक व पटवारी की रिपोर्ट पर दर्ज हुआ था केस

होटल व्यवसायी ने न्यायालय को बताया था कि उनके द्वारा उक्त भूमि पर वर्ष 2012-13 में भवन का निर्माण प्रारंभ किया था। तब विधिक अज्ञानता के कारण उनके द्वारा वादग्रस्त भूमि का कृषि प्रयोजन से व्यावसायिक प्रयोजन में व्यपवर्तन (डायवर्सन) नहीं कराया गया था। इस त्रुटि के कारण अधीक्षक भू-अभिलेख रतलाम के राजस्व निरीक्षक और रतलाम के पटवारी द्वारा एक रिपोर्ट तैयार कर पंचानामा प्रस्तुत किया गया था। इसके आधार पर अनुविभागीय अधिकारी रतलाम ग्रामीण ने प्रकरण क्र. 04/अ-2/15-16 पंजीबद्ध किया।

प्रशासन ने किया था व्यवसायी पर अर्थदंड

अनुविभागीय अधिकारी न्यायालय द्वारा उक्त प्रकरण में दिनांक 21.12.2015 को एक आदेश पारित किया गया था। इसमें उक्त भूमि के व्यपवर्तन हेतु लिखित सूचना देने के लिए आदेशित किया गया था। होटल व्यवसायी ने स्वीकार किया कि उनके द्वारा भूमि व्यपवर्तन की लिखित सूचना उनके द्वारा नहीं दी गई। इसके चलते म.प्र. भू-राजस्व संहिता-1959 की धारा 172(1) एवं 59(2) के अंतर्गत व्यवसायी पर अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया। इसके साथ ही उक्त साथ वादग्रस्त भूमि को औद्योगिक प्रयोजन में व्यपवर्तित कर दिया गया था। इसके परिपालन में व्यवसायी सोनी ने अर्थदण्ड की राशि जमा कराई तथा सेजावता ग्राम पंचायत से विधिवत निर्माण अनुज्ञा प्राप्त कर भवन का निर्माण पूर्ण किया।

अधिकारी-कर्मचारियों पर यह लगाया आरोप

होटल व्यवसायी ने आरोप लगाया था कि न्यायालय में दावा प्रस्तुत करने के कुछ दिन पूर्व कलेक्टर के अधीनस्थ अधिकारी एवं कर्मचारी ने उनसे अवैधानिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से उनकी वादग्रस्त भूमि पर पहुंच कर नपती आदि की कार्रवाई शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं अधिकारी-कर्मकारी ने वादग्रस्त भवन के निर्माण को लेकर अनावश्यक आपत्तियां ली और भवन तोड़ने की धमकी भी दी। व्यवसायी सोनी के अनुसार प्रशासन द्वारा उन्हें किसी भी प्रकार का कोई सूचना-पत्र नहीं दिया गया और सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया।

न्यायालय ने नहीं माना व्यवसायी का तर्क

इससे भयभीत होकर उन्हें वादग्रस्त भूमि एवं भवन के संरक्षण के लिए यह वाद प्रस्तुत किया गया है। होटल व्यवसायी का तर्क है कि कलेक्टर के अधीनस्त किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को उनके भवन व निर्माण में तोड़-फोड़ का अधिकार प्राप्त नहीं है। शासकीय अभिभाषक के अनुसार न्यायालय ने वादी चंद्रप्रकाश व शासन दोनों पक्षों सुनने के बाद व्यवसायी चंद्रप्रकाश का दावा खारिज कर दिया।