मॉर्निंग वॉक के लिए हनुमान ताल गई थी महिला और फिर हो गया ऐसा, जान कर आप भी रह जाएंगे हैरान, देखें वीडियो...
रतलाम शहर के हनुमान ताल पर मॉर्निंग वॉक के दौरान एक महिला का पैर फिसल गया जिससे वह ताल (तालाब) में जा गिरी। यह देख वहां मौजूद दो युवकों ने उसे पानी से निकाल कर प्राथमिक उपचार दिया। महिला ने बचाने के लिए युवकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
एसीएम टाइम्स @ रतलाम । कहते हैं कि जाको राखे साईंयां मार सके न कोय...। ऐसी ही घटना आज रतलाम के हनुमान ताल में भी घटित हुई। मॉर्निंग वॉक के लिए यहां आई एक महिला पैर फिसलने से पानी में जा गिरी। गनीमत रही कि उस समय वहां अन्य लोग भी मौजूद थे। दो युवकों ने तत्काल पानी में कूद कर महिला को जिंदा बचा लिया। महिला के पति रेलकर्मी हैं।
फोटो जर्नलिस्ट एवं रतलाम प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष राकेश पोरवाल रोज नियमित रूप से हनुमान ताल मॉर्निंग वॉक के लिए जाते हैं। शुक्रवार को भी वे अपने शेड्यूल के मुताबिक पहुंचे। हनुमान ताल पर एक स्थान पर लोगों को जमा पाया और गहमा-गहमी देखी। पोरवाल ने एसीएन टाइम्स को बताया सुबह के करीब 6.30 बजे थे। स्थानीय देवरादेवनारायण नगर निवासी रजनी सोलंकी मॉर्निंग वॉक के लिए हनुमान ताल पहुंची थीं। पहले उन्होंने मंदिर में हनुमान जी के दर्शन किए और फिर तालाब के किनारे टहलने लगीं। इस दौरान वे तालाब के पानी तक पहुंच गईं तभी उनका पैर फिसला और वे तालाब में जा गिरीं और डूबने लगीं। यह देख वहां मौजूद लोगों में से दो युवक आगे आए और बिना देर किए ही तालाब में कूद पड़े और महिला को जिंदा बचा लिया। युवकों ने महिला को उल्टा लेटाकर पेट का पानी निकाला और पुलिस को भी सूचना दी। कुछ ही देर में औद्योगिक क्षेत्र थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई। पानी में गिरने के कारण रजनी सोलंकी घबरा गईं थीं और कांप रहीं थीं। इसलिए नागरिकों ने अलाव जलाकर और उन्हें शॉल ओढ़ाकर ठंड से बचाया।
पति रेलवे में, बच्चे दाहोद में करते हैं पढ़ाई
रजनी ने पुलिस को बताया कि उनके पति रेलवे में हैं। बच्चे दाहोद (गुजरात) में पढ़ाई करते हैं। पति ड्यूटी पर गए थे। वे सुबह यहां घूमने आई थीं तभी हादसा हो गया। महिला ने कहा आज अमावस है और उन्हें पूजा करनी है, अतः उन्हें घर पहुंचा दें। इसके बाद पुलिस ने महिला को सुरक्षित घर पहुंचाया। रजनी ने उनकी जान बचाने वाले युवकों मिथिलेश कुमार पंवार व अन्य के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
डूबते को बचाने के लिए तैरना आना जरूरी है और तैरना सीखने के लिए स्वीमिंग पूल- काकानी
समाजसेवी और पूर्व एमआईसी सदस्य गोविंद काकानी ने महिला की जान बचाने वाले युवकों को साधुवाद दिया है और उनकी भी सराहना की जिन्होंने अलावा जलाकर व शॉल ओढ़ाकर महिला को ठंड से बचाया। काकानी के अनुसार यह ईश्वर का ही चमत्कार है कि महिला बच सकी क्योंकि जरूरी नहीं कि जितने लोग ऐसे स्थलों पर सैर करने जाते हों व सभी तैरना जानते ही हों। चूंकि युवक तैरना जानते थे इसलिए वे महिला को बचा पाए अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। काकानी का कहना है कि डूबते हुए को बचाने के लिए तैराना आना जरूरी है और तैरना सीखने के लिए सुरक्षित कुंड या स्वीमिंग पूल। कहने को तो रतलाम में स्वीमिंग पूल है लेकिन उसका होना ना होना कोई मायने नहीं रखता। स्वीमिंग पूल में कोई तैराना तभी सीख सकता है जब वह चालू हो। दुर्भाग्य से हमारा स्वीमिंग पूल लंबे समय से बंद है। अगर शहर का एकमात्र स्वीमिंग पूल पुनः चालू हो जाए तो कई लोग डूबतों को बचाना सीख सकते हैं, तैराकी स्पर्धाओं में शहर, प्रदेश और देश का नाम रोशन करने का ख्वाब देखने वाले अभ्यास कर सकते हैं।
दिव्यांग अब्दुल कादिर पर भी नहीं आया जिम्मेदारों को तरस
यह विडंबना ही है कि जिस दिव्यांग अब्दुल कादिर ने पैरालिंपिक स्पर्धाओं में रतलाम के नाम को बुलंदियों तक पहुंचाया उसे अभ्यास करने के लिए हमारे जिम्मेदार स्वीमिंग पूल की सुविधा उपलब्ध नहीं करा सके। जब राष्ट्रीय स्तर पर उसे सम्मान मिला और राष्ट्रीय स्पर्धा के आमंत्रण से लेकर जोधपुर शहर और आयोजन स्थल पर एक आइकन के रूप में उसके फोटो वाले फ्लैक्स, बैनर आदि लहरा रहे थे तब भी हमारे जिम्मेदारों को शर्म नहीं आई।