सरकार से ऊपर DP का गुरूर ! कलेक्टर से किया वादा ही भूले, जानिए- संचालकों ने क्या किया था वादा
रतलाम के डीपी ज्वैलर्स के संचालकों पर गुरूर इस कदर हावी है कि उनके के लिए सरकार और उसके नुमाइंदे कोई मायने नहीं रखते। हमेशा नियमों को ताक पर रखने वाले संस्थान के जिम्मेदार तो कलेक्टर से किया वादा भी भूल गए। जानें- पूरा मामला...

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । रहवासी इलाके में ‘नियम’ और ‘कानून’ से ऊंची इमारत तानने वाले संस्थान ‘डीपी ज्वैलर्स’ के जिम्मेदारों ने खुद को सरकार से ही ऊपर मान लिया है। शायद यही वजह है कि वे कलेक्टर और जिला प्रशासन के अफसरों तक को कुछ नहीं समझते। यही वजह है कि उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर से किया गया वादा भी अभी तक नहीं निभाया है। आश्चर्य तो इस बात का है कि संचालक इस बारे में एक-दूसरे के पाले में गेंद उछाल रहे हैं।
पुराने कलेक्ट्रेट के पास ऐतिहासिक स्थल गुलाब चक्कर स्थित है। लंबे समय से यह दुर्दशा का शिकार था। ऐतिहासिक स्थलों और चीजों में रुचि रखने वाले राजेश बाथम कलेक्टर बन कर रतलाम आए तो उन्होंने यहां ऐसे स्थलों की दुर्दशा देखी तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने गुलाब चक्कर को संवारने का बीड़ा उठाया और उसे इस स्तर तक पहुंचा दिया कि वहां रोज सांस्कृतिक आयोजनों का सिलसिला ही चल पड़ा है। केंद्र सरकार की योजना का हिस्सा आकांक्षा हाट भी यहीं लगाया गया। एससे कभी उजाड़ रहने वाला गुलाब चक्कर अब लोगों से आबाद रहने लगा है।
वादा निभाने के लिए कलेक्टर को लगाने पड़े संचालक को फोन
गुलाब चक्कर में लोगों की आवाजाही बढ़ी तो यहां सुविधाघर की कमी महसूस हुई। इसके लिए भी समाज से सहयोग लिए जाने पर सहमिति बनी। डीपी ज्वैलर्स के संचालकों ने सीएसआर मद से गुलाब चक्कर में सुविधाघर बनाने का प्रस्ताव दिया जो स्वीकार भी हो गया लेकिन उसका काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। जब काम शुरू नहीं हुआ तो खुद तत्कालीन कलेक्टर बाथम ने संस्थान के संचालक संतोष कटारिया को काल कर वादा याद दिलाया। शोरूम के भवन निर्माण में नियमों की अवहेलना के बोझ तले दबे डीपी ज्वैलर्स के संचालकों ने अगले ही दिन अपना एक कर्मचारी शहरी विकास अभिकरण के दफ्तर भेज भी दिया। उसे गुलाब चक्कर का अवलोकन करवा कर उचित स्थान भी बता दिया गया परंतु उसके बाद न तो संस्थान के कर्मचारी ने सुध ली न ही संचालकों ने।
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क्या बनेगा, कैसा होगा स्वरूप, किसी को पता नहीं
गुलाब चक्कर में आमजन जो सुविधा उपलब्ध कराने का वादा संस्थान द्वारा किया गया है उसका क्या स्वरूप होगा, कब तक बनेगा और बनेगा भी या नहीं, अब तक यह स्पष्ट नहीं है। वजह यह कि जिन कलेक्टर से संस्थान के जिम्मेदारों ने वादा किया था उनका स्थानांतरण हो चुका है। इससे अब उनका रवैया टालमटोल वाला है। कहा जा रहा है कि जिस संस्थान के जिम्मेदारों ने जिस अधिकारी से वादा किया था, उन्हें ही टरका दिया, वे भला उनके जाने के बाद क्यों कुछ करेगा।
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जिम्मेदार एक-दूसरे के पाले में डाल रहे गेंद
एसीएन टाइम्स ने डीपी ज्वैलर्स के संचालकों से संपर्क कर उनसे यह जानने का प्रयास किया कि उनके द्वारा तत्कालीन कलेक्टर से क्या वादा किया गया था और वह कब तक पूरा होगा तो उनमें से किसी के पास इसका जवाब नहीं मिला। संचालक विकास कटारिया ने जानकारी होने से ही इनकार कर दिया, वहीं संतोष कटारिया ने व्यस्तता का हवाला देते हुए बिजनेस हेड तरुण बोहरा से बात करने का कह दिया। तरुण बोहरा को कई बार काल किया, उन्हें संस्थान के संचालकों द्वारा उनसे बात करने के लिए कहे जाने की जानकारी वाले मैसेज भी किए गए हैं लेकिन उन्होंने अब तक प्रत्युत्तर देना उचित नहीं समझा।
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