ये कैसी राहत ? GST कटौती के बावजूद रतलामी नमकीन के दाम क्यों नहीं घटे ? ग्राहक पंचायत ने उठाया मुद्दा

केंद्र सरकार ने GST घटाया, लेकिन रतलामी नमकीन के दाम अब भी ऊंचे! अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने उठाया मुद्दा। जानें क्यों नहीं मिल रही ग्राहकों को राहत और रतलामी सेव की गुणवत्ता का सच।

ये कैसी राहत ? GST कटौती के बावजूद रतलामी नमकीन के दाम क्यों नहीं घटे ? ग्राहक पंचायत ने उठाया मुद्दा
रतलामी नमकीन
  • केंद्र सरकार की GST कटौती, फिर भी नमकीन महंगी

  • अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की मांग, कीमतें कम करें

  • रतलामी नमकीन की गुणवत्ता और कीमतों का अंतर

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । केंद्र सरकार ने नमकीन निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री पर GST की दर 12-18% से घटाकर 5% कर दी, लेकिन रतलामी नमकीन के दामों में कोई कमी नहीं आई। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए रतलाम के नमकीन निर्माता एवं विक्रेता संघ के प्रतिनिधि भाजपा नेता और नमकीन व्यवसायी मनोहर पोरवाल से मुलाकात की और कीमतें कम करने की मांग की। रतलामी सेव, जिसे जीआई टैग प्राप्त है, की गुणवत्ता और कीमतों में भारी अंतर चिंता का विषय है। कुछ व्यवसायी 140 रुपये प्रति किलो में नमकीन बेच रहे हैं, तो कुछ 300 रुपये तक वसूल रहे हैं। रेलवे स्टेशन पर बाहरी ठेके और घटिया सामग्री के उपयोग ने रतलाम की साख को भी नुकसान पहुंचाया है। आइए, जानते हैं इस पूरे मुद्दे की सच्चाई और ग्राहक पंचायत के प्रयास।

केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में कटौती के बाद भी रतलामी नमकीन के दाम नहीं घटाने पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को भाजपा नेता एवं नमकीन व्यवसायी मनोहर पोरवाल से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें एक पत्र भी सौंपा जिसमें नमकीन निर्माण में उपयोग होने वाली वस्तुओं के कोड और जीएसटी की दर बताते हुए नमकीन के दाम कम करवाने के लिए कहा।

प्रतिनिधमंडल में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के मालवा प्रांत के उपाध्यक्ष अनुराग लोखंडे, महेंद्र भंडारी, श्याम ललवानी, सत्येंद्र जोशी, कमलेश मोदी, पत्रकार नीरज कुमार शुक्ला आदि मौजूद रहे। इस दौरान प्रांत उपाध्यक्ष लोखंडे ने पोरवाल से कहा कि नमकीन निर्माण में उपयोग होने वाली सभी वस्तुओं पर 22 सितंबर से सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी ही लागू है जो पहले 12 से 18 फीसदी तक था। इसके बावजूद नमकीन के दाम कम नहीं होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की मंशा अनुरूप ग्राहकों को राहत नहीं मिल पा रही है।

नमकीन व्यवसायियों को काई एसोसिएशन ही नहीं !

चर्चा के दौरान भाजपा नेता पोरवाल ने बताया कि रतलाम में नमकीन व्यवसायियों का कोई एसोसिएशन नहीं है। फिर वे सभी व्यवसायियों से चर्चा कर ग्राहकों को राहत दिलाने की दिशा में प्रयास करेंगे। पोरवाल ने नमकीन व्यवसायियों की परेशानियों से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि रतलामी सेव के नाम पर बाहर के उत्पादक और ब्रांड मुनाफा कमा रहे हैं। इस पर लोखंडे ने आश्वस्त किया कि ग्राहक पंचायत द्वारा आम ग्राहकों के साथ ही व्यवसायियों की परेशानी को भी उचित मंच पर उठाया जाएगा क्योंकि व्यवसायी भी ग्राहक ही हैं।

रेलवे स्टेशन पर बाहरी ठेके का मुद्दा

लोखंडे ने बताया कि चर्चा के दौरान रतलाम रेलवे स्टेशन पर रतलामी सेव के नाम पर बाहर के व्यक्ति को नमकीन बेचने का ठेका दे दिया गया है। उसके द्वारा बेचे जाने वाले नमकीन की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होने से जहां ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है वहीं रतलाम का नाम भी खराब हो रहा है। अतः ग्राहक पंचायत द्वारा डीआरएम से मुलाकात कर रेलवे स्टेशन पर नमकीन की बिक्री के लिए स्थानीय नमकीन व्यवसायी को ही अधिकृत करने की मांग की जाएगी क्योंकि रतलाम को रतलामी सेव बनाने के लिए जीआई टैग भी हासिल हो चुका है। लोखंडे के अनुसार यदि ग्राहकों को GST में हुई कमी का लाभ नहीं मिलता है तो ग्राहक पंचायत आंदोलन भी करेगा।

मुनाफे का गणित, जीआई टैग और चुनौतियां...

बता दें, रतलाम में सेव की कीमतों में काफी अंतर है। कहीं 140 रुपए प्रति किलो तो कहीं 280 से 300 रुपए प्रति किलो तक बिक रही है। गुणवत्ता की बात करें तो कुछ ही व्यवसायी ऐसे हैं जिनके उत्पाद की गुणवत्ता आज भी कायम है वहीं ज्यादातर तिवड़े का बेसन, पॉम ऑइल आदि का उपयोग होता है। इसमें पर्याप्त मसाले भी नहीं डाले जाते हैं। इसे लेकर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने विशेषज्ञों से चर्चा कर इसकी निर्माण लागत की जानकारी भी निकाली जिसके अनुसार अच्छी से अच्छी गुणवत्ता वाली 1 किलोग्राम सेव बनाने पर अधिकतम 220 से 225 रुपए तक लागत आती है। इसके उलट कम गुणवत्ता वाली सेव 120 रुपए प्रति किलो तक भी बन जाती है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से घातक है। गुणवत्ता और कीमतों में इस अंतर के चलते ही जीआई टैग हासिल होने के बाद भी यहां के व्यवसायी रतलाम नमकीन के नाम पर मुनाफा कमाने वाले व्यापारियों से लड़ नहीं पा रहे हैं।