क्रिकेट खेलने और रंजिश के चलते 10 साल पहले किया था हमला, न्यायालय ने पिता-पुत्र सहित 8 अभियुक्तों को दी 5-5 वर्ष के कारावास की सजा

रतलाम जिले के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने पिता-पुत्र सहित 8 लोगों को कारावास की सजा सुनाई है।

क्रिकेट खेलने और रंजिश के चलते 10 साल पहले किया था हमला, न्यायालय ने पिता-पुत्र सहित 8 अभियुक्तों को दी 5-5 वर्ष के कारावास की सजा
रतलाम जिला न्यायालय का फैसला।

एसीएन टाइम्स @ रतलाम । क्रिकेट खेलने एवं रंजिश को लेकर 10 वर्ष पूर्व हुए विवाद में पिता-पुत्र सहित आठ अभियुक्तों को न्यायालय ने पांच-पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। सभी पर 6-6 हजार रुपए का अर्थदंड भी किया गया है। न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार खरादी ने 123 कार्य दिवस में सुनवाई पूरी कर फैसला सुना दिया।

अपर लोक अभियोजक सतीश त्रिपाठी ने बताया कि गोटू उर्फ वीरेंद्र सिंह पिता मानसिंह निवासी जवाहर नगर रतलाम ने औद्योगिक  क्षेत्र पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी। इसमें बताया था कि 3 फरवरी 2014 को रात 10:45 बजे अमृत बोराणा एवं राहुल भांभी में क्रिकेट खेलने को लेकर विवाद हो गया। इसकी रिपोर्ट मौसेरे भाई  दादू उर्फ रणजीत सिंह ने की थी। इसे लेकर उसी दिन रात को 11:30 आरोपी इमरान पिता मोहम्मद सिद्दीकी (21), राहुल पिता रमेश सिंगला (18), नानू उर्फ दीपक पिता मांगीलाल जाट (20), मोहम्मद सिद्दीकी पिता बदरुद्दीन (50), अमीन पिता मोहम्मद शाह  (29), नासिर उर्फ ड्रीम पिता नन्हे खां (39), निजामुद्दीन उर्फ गुड्डू पिता बदरुद्दीन (45), मो. नौशाद पिता नन्हे खां सभी निवासी जवाहर नगर रतलाम मेरे घर आए और कहा कि दादू कहां हैं।

सभी आरोपियो ने गाली-गलौज करते हुए मेरी कार का कांच फोड़ दिया। इसी दौरान मेरा भाई रविंद्र सिंह आ गया जिस पर सभी ने एकमत होकर सरिया एवं लकड़ी से हमला कर दिया। हमले में वह घायल होकर वहीं बेहोश हो गया। उसका उपचार जिला अस्पताल में किया गया। इस आधार पर पुलिस ने विभिन्न धाराओं में आरोपियों के विरुद्ध केस दर्ज कर विवेचना शुरू की।

किस धारा में क्या हुई सजा

औद्योगिक क्षेत्र पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। विचारण के बाद द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार खरादी ने सभी आरोपियों को दोष सिद्ध माना। सभी को भादंवि की धारा 148 में एक-एक वर्ष, धारा 323 और 149 में 6-6 माह, 307 व 149 में पांच-पांच वर्ष तथा 427 व 149 में 6-6 माह के  कारावास की सजा सुनाई। प्रत्येक आरोपी पर 6-6 हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया। शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक सतीश त्रिपाठी ने की।